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पंजाबी यूनि. के अपने नियमों से प्रोफेसरों में रोष

पटियाला यूनिवर्सिटी यूजीसी के नियमों को अनदेखा कर अपने नियम लागू कर रही है। इससे प्रभावित प्रोफेसरों में यूनिवर्सिटी को लेकर रोष है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 12:27 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 06:09 AM (IST)
पंजाबी यूनि. के अपने नियमों से प्रोफेसरों में रोष
पंजाबी यूनि. के अपने नियमों से प्रोफेसरों में रोष

बलविदरपाल सिंह, पटियाला

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पंजाबी यूनिवर्सिटी यूजीसी के नियमों को लागू करने की जगह अपने नियम को लागू करने पर लगी हुई है। जिसके चलते कुछ प्रोफेसरों में रोष है कि यूनिवर्सिटी उनकी पिछली सर्विस काउंट नहीं कर रही। हालांकि दूसरी ओर प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि वह यूजीसी के हर नियम को लागू कर रही है। वहीं दूसरी ओर यूनिवर्सिटी प्रशासन खुद सिडीकेट की मीटिग में लिए फैसले को भी लागू करने में जानबूझकर देरी कर रही है। सूत्रों के अनुसार इस देरी का कारण यूनिवर्सिटी की वित्तीय हालत है।

बता दें कि अगर कोई प्रोफेसर किसी दूसरे कॉलेज से नौकरी करके यहां यूनिवर्सिटी में नौकरी करता है, के मामले में यूनिवर्सिटी संबंधित प्रोफेसर के कॉलेज के दौरान की सर्विस को काउंट नहीं कर रही। हालांकि, यूजीसी के नियम के अनुसार सर्विस को काउंट करना बनता है। बावजूद इसके यूनिवर्सिटी दूसरे कॉलेजों से आए प्रोफेसरों पर अपने नियम थोप रही है।

सूत्र बताते हैं कि यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा पिछले समय में काफी संख्या में प्रोफेसरों की पिछली सर्विस काउंट की गई है। मगर, अब जो प्रोफेसर इस आस में बैठे हैं कि यूनिवर्सिटी उनकी पिछली सर्विस भी काउंट करेगी, पर करीब 6 कंडिशन यूनिवर्सिटी ने लागू की हैं। जब तक संबंधित प्रोफेसर यूनिवर्सिटी द्वारा लागू की इस कंडीशन को पूरा नहीं करते, तब तक उन्हें किसी भी प्रकार का कोई फायदा नहीं मिलेगा। प्रोफेसर मांग कर रहे हैं कि यूनिवर्सिटी द्वारा पिछले समय में जिन प्रोफेसरों की पिछली सर्विस काउंट नहीं की गई, तो अब यह कंडिशन उन पर क्यों लागू की जा रही है।

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असिस्टेंड प्रोफेसर लगेंगे विभाग के हेड, का मामला लटका

पिछले समय में यूनिवर्सिटी द्वारा सिडीकेट की मीटिग में यह फैसला किया गया था कि असिस्टेंट प्रोफेसर, जो पिछले करीब 8 साल से ज्यादा समय से काम कर रहे हैं, विभागीय हेड लग सकेंगे। मगर, अब यूनिवर्सिटी द्वारा इसे लागू करने से रोक दिया गया है। अब यूनिवर्सिटी का कहना है कि आर्डीनेंस में संशोधन के लिए केस सिडीकेट के विचार हित के लिए रख दिया गया है। संशोधन करने संबंधी केस भेजने से पहले दोबारा एक मीटिग कर इस फैसले को हर पक्ष से विचार कर जाना चाहिए। ऐसे में असिस्टेंट प्रोफेसरों को विभागीय हेड लगाने का मामला लटक गया है।

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'प्रोफेसर के सभी बैनीफिट के लिए सर्विस काउंट होनी है। इसलिए जो सर्विस काउंट होनी है, से संबंधी दस्तावेज जुटाने के लिए ही यह कंडीशन लागू की गई है। पोस्ट रेगुलर होनी चाहिए, असिस्टेंट प्रोफेसर की हो, फुल स्केल हो, बिना वेतन के कोई छुट्टी न ली हो, अगर ली है तो वह सर्विस काटी जाएगी। अगर यूनिवर्सिटी के पास रिकार्ड नहीं है तो कॉलेज की सिलेक्शन कमेटी से लिखवाकर दे सकते हैं। वहीं दूसरी ओर असिस्टेंट प्रोफेसर विभागीय हेड लगाने के मामले को दोबारा विचारा जाना है। फैसले को लेकर डीन फैक्लटी की मीटिग होनी बाकी है। फैसले को स्वीकार कर लिया गया है।'

डॉ. मनजीत सिंह, रजिस्ट्रार।

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-ये छह कंडीशन लगाई पंजाबी यूनि. ने

-फार्म नं 16

-इनकम टैक्स की रिटर्न

-बिना वेतन के कोई छुट्टी ली

-जॉब के दौरान कोई मेजर ब्रेक

-हर महीने वेतन किस बैंक में गई

-कॉलेज में की जॉब संबंधित यूनिवर्सिटी से अप्रूव करवाना।


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