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गुड टच बैड टच के बारे में बात करने से ही बंद होंगी यौन शोषण की घटनाएं

बाल यौन शोषण के प्रकरणों में सामने आया है कि इन घटनाओं को ज्यादातर करीबी व चहेतों की ओर से अंजाम दिया जाता है। अगर इस कुरिति पर बच्चे बोलना शुरू कर दें तो ये घटनाएं अपने आप कम हो जाएंगी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 07:54 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 07:54 PM (IST)
गुड टच बैड टच के बारे में बात करने से ही बंद होंगी यौन शोषण की घटनाएं
गुड टच बैड टच के बारे में बात करने से ही बंद होंगी यौन शोषण की घटनाएं

जागरण संवाददाता, पटियाला

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बाल यौन शोषण के प्रकरणों में सामने आया है कि इन घटनाओं को ज्यादातर करीबी व चहेतों की ओर से अंजाम दिया जाता है। अगर इस कुरिति पर बच्चे बोलना शुरू कर दें तो ये घटनाएं अपने आप कम हो जाएंगी। इस विषय पर बात नहीं होने के कारण वीरवार को पेरेंट्स और टीचर्स भी इस विषय इस विषय पर खुलकर बात करने से हिचकिचाते हैं। घर और स्कूल में बच्चों को इतना खुला माहौल मिले कि वो इस विषय पर खुलकर बात कर सकें।

दैनिक जागरण व परवरिश की ओर से बाल यौन शोषण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की कड़ी में वीरवार को पटियाला-सर¨हद रोड पर स्थित स्कॉलर फील्ड स्कूल में बाल यौन शोषण अब बस विषय पर सेमिनार में दिल्ली से आई विषय विशेषज्ञ मानवी खंडूजा ने कहीं। इस दौरान स्कूल ¨प्रसिपल चंदनदीप कौर और वाइस ¨प्रसिपल ¨बदू कोहली ने टीम का स्वागत करते हुए वर्कशॉप शुरू करवाई। वर्कशॉप में उपस्थित 5वीं से 7वीं तक की छात्र-छात्राओं को किसी भी अवांछित स्थिति का डटकर सामना करने और आत्मविश्वास के साथ इसका सामना करने की सीख दी गई। परवरिश एनजीओ की ओर से छात्राओं से यौन शोषण के कारण व बचाव बताते हुए कहा कि वे अपने या अपने किसी परिचित छात्रा के साथ अवांछित व्यवहार की जानकारी पर चुप नहीं रहें। छात्राओं को समझाया कि गलत भावना से किसी के स्पर्श यानि बैड टच को कैसे पहचानें, गंदे अंकल कौन होते हैं, यह जानें। ऐसी किसी स्थिति में घिरने लगें तो चुप नहीं रहें बल्कि शोर मचाएं। इसके अलावा किसी अजनबी से चॉकलेट या किसी तरह की खाने-पीने की चीजें नहीं लेने, सावधान रहने और किसी को बेहिचक नहीं कहने को लेकर भी उन्हें जागरूक किया गया। छात्राओं से कहा गया कि वे अपना आत्मविश्वास बढ़ाएं और आत्मविश्वास की ताकत को पहचानें। जहां कुछ गलत होता दिखे, तुरत आवाज उठाएं। इस दौरान मानवी के साथ उनकी साथी एकता भी उनका साथ दे रहीं थी। एकता खुद भी पहले अध्यापक रह चुकी हैं।

अध्यापकों ने अपने जीवन के उदाहरण किए शेयर

सेशन के दौरान अध्यापकों ने अपने ¨जदगी से जुड़ी यौन शोषण के उदाहरण देते हुए बताया कि कही न कहीं हर व्यक्ति यौन शोषण से पीड़ित है। उन्होंने बताया कि किस तरह पब्लिक ट्रांसपोर्ट और पब्लिक प्लेस पर कुछ व्यक्ति गलत तरीके से टच करके स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। इसलिए अग उन्हें वहीं से सख्ती से रोक दिया जाए तो आगे से वो ऐसा करने से डरेंगे। लेकिन हमारे समाज में इस विषय पर खुलकर बात करने का माहौल नहीं है। इसलिए इन लोगों को को बढ़ावा मिलता है और वे ऐसी गंदी हरकतें जारी रखते हैं। इसके अलावा अध्यापकों ने ये संश्य भी दूर किए कि वो स्टूडेंट्स से कैसे इस विषय पर बात कर सकते हैं और उन्हें कैसे समझा सकते हैं कि कौन सा टच गुड है और कौन सा टच बैड है।

प्राइवेट पा‌र्ट्स पर चुप हो गए बच्चे

मानवी ने जब स्टूडेंट्स से प्राइवेट पा‌र्ट्स के बारे में पूछा तो हॉल में पिन ड्रॉप साइलेंस हो गई। इसके बाद मानवी ने बच्चों को प्रेरित किया तो बच्चों ने कुछ प्वाइंट्स जरूर बताए लेकिन इसके बाद मानवी ने ठीक ढंग से उन्हें समझाने के लिए प्रोजेक्टर के जरिए कुछ सलाइड्स दिखाई। इसके बाद उनसे विस्तार से चर्चा की गई। इस दौरान बच्चों को समझाया कि इन पा‌र्ट्स को टच करना अनसेफ है और इसे अनसेफ टच कहा जाता है। बच्चों की इस झिझक को दूर करना, इस संजीदा विषय पर उनको खुलकर बुलवाना ही दैनिक जागरण का मुख्य मकसद है।

शॉर्ट फिल्म को बच्चों ने संजीदगी से देखा और समझा

फोटो 5, 6 और 7

यौन शोषण विषय पर करवाई वर्कशॉप के पहले दिन स्टूडेंट्स और टीचर्स को एक शॉर्ट फिल्म भी दिखाई गई। जिसमें दिखाया गया कि कैसे एक लड़का उसके साथ हुए यौन शोषण की घटना के बारे में इशारों से अपने पेरेंट्स को समझाता है कि उसके चाचा ने उसके साथ यौन शोषण किया है। दूसरी फिल्म में एक कोमल नाम की बच्ची को दिखाया गया है जो अपने पिता के दोस्त द्वारा यौन शोषण का शिकार होती है और इस सब के लिए खुद को जिम्मेवार समझते हुए चुप चुप रहने लगती है। लेकिन इस दौरान टीचर द्वारा अहम रोल अदा करते हुए बच्ची से घटना के बारे में जाना और इसके बाद पुलिस को शिकायत कर उसके खिलाफ कार्रवाई करवाई।

इस शॉर्ट फिल्म के दौरान बच्चे इतना इस फिल्म में खो गए कि उनके चेहरे के हाव भाव ऐसे हो गए जैसे उनके साथ कुछ गलत हुआ हो। मानवी ने बताया कि अगर आपको किसी का टच ठीक नहीं लग रहा तो तुरंत उसपर चिल्लाकर उसे मना करें। लेकिन अगर टच अनसेफ हो तो इसके बारे में तुरंत अपने पेरेंट्स या टीचर को बताएं।

टीचर्स की भी हुई वर्कशॉप

बच्चों की वर्कशॉप के बाद टीचर्स की भी दो घंटे की वर्कशॉप हुई। इस सेशन दौरान टीचर्स से भी सेक्सुअल हरासमेंट पर खुलकर बात हुई। वर्कशॉप दौरान हालांकि टीचर्स पहले बात करने में कुछ हिचकिचाए लेकिन बाद में अपने ¨जदगी से जुड़ी कुछ घटनाएं भी बताई। मानवी ने टीचर्स को समझाया कि इस संबंधी हफ्ते में एक बार बच्चों से बात जरूर करें क्योंकि इस बारे में लगातार बात करने से स्टूडेंट्स का हौंसला बढ़ेगा और इस तरह की घटना होने पर तुरंत अपने टीचर को बताएंगे।

बच्चों को सेक्सुअल हरासमेंट से बचाने से दस मुख्य सुझाव :

-बच्चों को अपना मित्र बनाएं, उनसे हर बात शेयर करें।

-बच्चों को गुड टच और बेड टच सहित यौन शोषण की जानकारी दें।

-बच्चों के बदले हुए व्यवहार पर खास नजर रखें।

-बच्चों के वॉट्स एप और फेसबुक अकाउंट पर नजर रखें।

-बच्चों को रिश्तेदार के यहां भेजें तो खुद भी साथ जाएं।

-परिवार में आने वाले लोगों के नजरिए और व्यवहार पर नजर रखें।

-बच्चों को सेल्फ डिफेंस का प्रारंभिक कोर्स जरूर कराएं।

-घटना होने पर चुप न रहें, मुकदमा भी दर्ज कराएं।

-नादानी में बच्चा गलती कर दे तो उसे ताने न दें, समझाएं।

-स्कूल और ट्यूशन से आवागमन टाइम पर भी ध्यान दें।

आज पेरेंट्स के साथ होगी वर्कशॉप

दैनिक जागरण की बाल शोषण अब बस विषय पर स्टूडेंट्स और टीचर्स के साथ हुई वर्कशॉप के बाद शुक्रवार को पेरेंट्स के साथ भी वर्कशॉप होगी। जिसमें पेरेंट्स को बाल शोषण के बारे में समझाया जाएगा। इसके अलावा उन्हें बताया जाएगा कि कैसे वे ये सुनिश्चित करें कि उनके बच्चों के साथ किसी तरह की कोई सेक्सुअल हरासमेंट तो नहीं हो रही।

नो की होगी प्रेक्टिस

मानवी ने स्कूल टीचर्स को वर्कशॉप दौरान नो की प्रेक्टिस करवाई। इसी प्रेक्टिस का मक्सद ये था कि अगर कोई व्यक्ति कुछ गलत कर रहा हो तो कैसे उसे गुस्से से रोका जाए। इसके अलावा मानवी ने टीचर्स से आग्रह किया कि वो रोजाना असेंबली में गुड टच और बैड टच के बारे में बताने के अलावा उंची आवाज में नो बोलने की प्रेक्टिस करवाएं।

बच्चों को अपना दोस्त बनाएं- ¨प्रसिपल

कुछ माता-पिता बच्चों की बात को न सुनना चाहते हैं और न समझना। संयुक्त परिवार में अभिभावकों की जिम्मेदारी ज्यादा मुश्किल नहीं थी, अब बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को यौन शोषण से बचाना है तो माता-पिता को हथियार बनना होगा। बच्चों की बातों, उनके व्यवहार को अनदेखा न करें। बच्चों को अपना दोस्त बनाएं। ज्यादा कुछ नहीं पूछ सकते तो उसकी दिनचर्या ही पूछ लें इससे बच्चा माता-पिता को भी अपना सबसे बड़ा सुरक्षा कवच मानने लगेगा। उसके फ्रेंड सर्कल पर भी नजर रखें।

..-¨प्रसिपल चंदनदीप कौर

यौन शोषण बेटियों का ही नहीं होता, बेटों का भी होता है- वाइस ¨प्रसिपल

यौन शोषण बेटियों का ही नहीं होता, बेटों का भी होता है। खासकर, जब लड़का किशोर अवस्था में होता है। लड़के के साथ समस्या यह कि वह अपना दर्द मां और पिता, दोनों को नहीं बता पाता। इसलिए बेहतर है कि लड़कियों के साथ लड़कों को भी बताएं कि मित्रता करते समय अपना दायरा न भूलें। हर लड़की का सम्मान करें। खुद भी यौन शोषण से बचें और अनजाने में भी किसी लड़की से यौन शोषण न करें इसके लिए उन्हें इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दें। ताकि एक स्वस्थ समाज का सृजन किया जा सके।

- ¨बदू कोहली, वाइस ¨प्रसिपल


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