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15 के बाद सैलरी मिलने की आस

सितंबर महीने की 10 तारीख भी गुजर गई, मगर पंजाबी यूनिवर्सिटी के मुलाजिमों को सैलरी तक नहीं मिली। यूनिवर्सिटी प्रशासन की इस लापरवाही के कारण मुलाजिमों में रोष है। बताया जा रहा है कि इस महीने मुलाजिमों को 15 सितंबर के बाद ही सैलरी मिलने की संभावना है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 07:44 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 07:44 PM (IST)
15 के बाद सैलरी मिलने की आस
15 के बाद सैलरी मिलने की आस

जागरण संवाददाता:पटियाला

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सितंबर महीने की 10 तारीख भी गुजर गई, मगर पंजाबी यूनिवर्सिटी के मुलाजिमों को सैलरी तक नहीं मिली। यूनिवर्सिटी प्रशासन की इस लापरवाही के कारण मुलाजिमों में रोष है। बताया जा रहा है कि इस महीने मुलाजिमों को 15 सितंबर के बाद ही सैलरी मिलने की संभावना है। क्योंकि यूनिवर्सिटी के खजाने में मुलाजिमों को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अब मुलाजिमों को सैलरी देने के लिए स्टूडेंट्स से एडवांस फीस वसूलने का मन बनाया है। स्टूडेंट्स को नवंबर, सितंबर महीने की समेस्टर फीस भरने के लिए 15 सितंबर तक का समय दिया गया है। फीस एकत्रित होने के बाद भी यूनिवर्सिटी मुलाजिमों को सैलरी जारी करेगी। फाइनांस अफसर आरएस अरोड़ा का कहना है कि एक दो दिन में ही मुलाजिमों को सैलरी जारी कर दी जाएगी।

सैलरी न मिलने पर घर का गुजारा चलाना मुश्किल

पंजाबी यूनिवर्सिटी की एडहॉक कमेटी के कनवीनर अवतार ¨सह ने कहा कि सैलरी पर ही पूरे घर का गुजारा चलता है। मगर इस बार बड़ी मुश्किल से गुजारा करना पड़ रहा है। यूनिवर्सिटी में कुछ मुलाजिम को बिलकुल कम वेतन पर काम करते हैं। सैलरी समय पर न मिलने पर ऐसे मुलाजिमों को बेहद परेशानी उठानी पड़ती है। अवतार ने कहा कि हालांकि घर का कुछ जरूरी सामान किश्तों पर ले रखा है। सैलरी न मिलने के कारण अब किश्त जुर्माने के साथ भरनी पड़ेगी। यूनिवर्सिटी प्रशासन को चाहिए कि वह अपना खुद का खर्च कम करे। क्योंकि यूनिवर्सिटी दिन-प्रतिदिन घाटे में जा रही है। --- हाउस लोन की 12000 रुपये किश्त के अलावा वॉ¨शग मशीन की 6000 किश्त, हर महीने की पहली तारीखों में भरनी पड़ती है। मगर सैलरी समय पर न मिलने के कारण यह दोनों किश्त समय पर नहीं भर पाता। पिछले लंबे समय से एडहॉक कमेटी रीइंप्लाइड प्रोफेसरों को यूनिवर्सिटी से बाहन निकालने की मांग कर रही है। मगर यूनिवर्सिटी प्रशासन रीइंप्लाइड प्रोफेसरों के हक में लग रहा है। यूनिवर्सिटी के वित्तीय घाटे का यही सबसे बड़ा कारण है ।

-सु¨रदर चंदेल, वाइस प्रधान


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