अनपढ़ कैदियों को पढ़ाएंगे पढ़े लिखे कैदी, गृह मंत्रालय तैयार करेगा प्रोजेक्ट
पटियाला: देशभर की जेलों में सजा काट रहे लाखों कैदियों को शिक्षित किया जाएगा। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने सेक्रेटरी गृह मंत्रालय के पास प्रपोजल भेजकर कार्रवाई करने के लिए कहा है।
जागरण संवाददाता.पटियाला
देशभर की जेलों में सजा काट रहे लाखों कैदियों को शिक्षित किया जाएगा। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने सेक्रेटरी गृह मंत्रालय के पास प्रपोजल भेजकर कार्रवाई करने के लिए कहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत केवल 6 महीने में बिलकुल अनपढ़ कैदी पढ़ना लिखना सीख सकेंगे। इसकी खास विशेषता ये है कि इससे लाखों कैदियों को साक्षर बनाने के लिए केंद्र, राज्य सरकार या जेल प्रशासन को कोई खास स्टाफ या अध्यापकों की भी जरूरत नहीं पड़ेगी । बल्कि जेलों में बंद पढ़े लिखे कैदियों की सहायता से ही इसे पूरा किया जाएगा। इस साक्षरता मुहिम में अपना योगदान डालने वाले कैदियों को अच्छे चाल चलन के लिए सम्मानित किए जाने की सिफारिश भी की गई है।
ये प्रोजेक्ट पटियाला के एसडीएसई स्कूल के एसएस अध्यापक अनिल कुमार भारती के प्रपोजल के बाद संभव हुआ है। अनिल कुमार भारती ने जेलों में अनपढ़ कैदियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से 'भाषा ज्ञान द्वारा आत्म सम्मान' प्रोजेक्ट बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास 18 जुलाई को भेजा था। इस पर कार्रवाई करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इस संबंधी अनिल कुमार भारती को सूचित किया। अनिल कुमार भारती ने बताया कि 21 साल की गहन खोज और मेहनत के बाद उन्होंने एक त्रिभाषा तुलनात्मक ज्ञान विकास पद्धति नामक नई खोज की है। इसके माध्यम से किसी को भी ¨हदी और अंग्रेजी के साथ-साथ उसके किसी भी भाषा का ज्ञान बहुत आसानी से प्रदान किया जा सकता है।
पांच साल पहले पटियाला जेल में कैदियों को किया शिक्षित
अनिल कुमार भारती इस प्रोजेक्ट के तहत 5 साल पहले रोटरी कल्ब के सहयोग से पटियाला जेल में 51 एजूकेशन किटें बांट चुके हैं। इसका उन्हें काफी अच्छा रिस्पांस मिला था। इस किट में उन्होंने कैदियों के लिए तैयार की किताब, स्लेट और डस्टर दिया गया था। कैदियों ने इसके लिए उनका धन्यवाद करते हुए उन्हें कई पत्र भी लिखे। इसके बाद उनके मन में देश भर की जेलों में बंद कैदियों को शिक्षित करने का ख्याल घूम रहा था। लेकिन प्लेटफॉर्म नहीं मिल रहा था, क्योंकि देश भर की जेलों में जाकर ऐसा करना भी संभव नहीं था। इस बारे में काफी विचार करने के बाद उनके मन में प्रधानमंत्री को पत्र लिखने की बात आई और उन्होंने पत्र लिख दिया, जिसका सकारात्मक रिस्पांस आने के बाद उन्हें काफी खुशी हुई।
पंजाब सरकार समेत 16 राज्यों को भी भेज चुके हैं सुझाव
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने से पहले अनिल कुमार भारती 16 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी ये सुझाव भेज चुके हैं। इसमें पंजाब भी शामिल है। लेकिन महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सरकार के अलावा किसी भी राज्य की सरकार की ओर से उन्हें इसका जवाब नहीं दिया। उन्होंने बताया कि पहले भी उन्होंने कई बार पीएमओ दफ्तर से रिपलाई संबंधी कई खबरें पढ़ी थी, उन्हें विश्वास था कि प्रधानमंत्री उनकी सोच को समझते हुए उनके पत्र का जवाब जरूर देंगे।
बेटे की ऑनलाइन और पत्नी के मोर्ल सपोर्ट से हुआ संभव
अनिल कुमार भारती ने बताया कि उनकी शोध सफल होने में उनकी पत्नी वीना कुमारी और बेटे इंजीनियर जश्न की सपोर्ट है। क्योंकि अगर उन्हें कभी कोई ऑनलाइन सहायता चाहिए होती थी तो उनका बेटा उनका पूरा साथ देता था, वहीं पत्नी वीना ने हमेशा उन्हें मोर्ल सपोर्ट किया है।
'भाषा ज्ञान द्वारा आत्म सम्मान' ऐसे करेगा काम
- जो कैदी पढ़ना चाहते हैं उनकी लिस्ट तैयार की जाए
- दूसरी लिस्ट उन कैदियों की तैयार की जाए जो पढ़े लिखे हैं और दूसरे कैदियों को पढ़ाना चाहते हैं।
- पढ़ाने की जिम्मेवारी उठाने और निभाने वाले कैदियों को इस विशेष सेवा काल के पश्चात उनकी चाल-चलन संबंधी रिपोर्ट में भी शामिल किया जाए।
- इस गतिविधि में सहयोग करने वाले कैदियों को जेल प्रशासन की ओेर से सम्मानित भी किया जाएगा।
- बीस कैदियों को पढ़ाने के लिए एक वालंटियर कैदी तय किया जा सकता है।