ईश्वर को समझने के लिए अंत:करण की गहराइयों में लगाएं गोता : यीवेश्वरी
ईश्वर को समझने के लिए तो हमें अंत:करण की गहराइयों में ही गोता लगाना पडे़गा और यह मार्ग हमें एक पूर्ण सद्गुरू ही प्रदान करते हैं। ये विचार दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से प्रेम कॉलोनी सनौरी अड्डा से महिन्द्रा कॉलेज रोड स्थित संस्थान के स्थानीय आश्रम पटियाला में चल रहे साप्ताहिक सत्संग के दौरान साध्वी यीवेश्वरी भारती ने कहे।
जेएनएन, पटियाला
ईश्वर को समझने के लिए तो हमें अंत:करण की गहराइयों में ही गोता लगाना पडे़गा और यह मार्ग हमें एक पूर्ण सद्गुरू ही प्रदान करते हैं। ये विचार दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से प्रेम कॉलोनी सनौरी अड्डा से महिन्द्रा कॉलेज रोड स्थित संस्थान के स्थानीय आश्रम पटियाला में चल रहे साप्ताहिक सत्संग के दौरान साध्वी यीवेश्वरी भारती ने कहे। उन्होंने कहा कि महापुरुषों के प्रवचनों व शास्त्र-ग्रंथों में निहित वाणियों को हम बुद्धि के आधार पर नहीं समझ सकते क्योंकि महापुरुषों ने शास्त्र-ग्रंथ सामान्य बुद्धि के स्तर से नहीं लिखे अपितु अंतरात्मा से जुड़कर, ईश्वरीय प्ररेणा से लिखे हैं। साध्वी ने कहा कि कई ईश्वर की तुलना आकाश के समान की गई है। उसे समझने के लिए तो हमें अंत:करण की गहराइयों में ही गोता लगाना होगा। अंतर जगत में उतरने का मार्ग केवल सद्गुरू ही प्रदान करते हैं। इसी विषय में हमारे धार्मिक शास्त्रों में लिखा गया है कि जब जीवन में पूर्ण गुरु आते हैं तो जीवात्मा की दिव्य दृष्टि खुलती है एवं दिव्य ²ष्टि खुलने के बाद मनुष्य अपनी हृदय गुफा में ईश्वर के प्रकाश सरूप का दर्शन करता है। सत्संग में महेश कुमार, जीवन गुप्ता, सुरिन्द्र कुमार, दिनेश कुमार बालकृष्ण अरोड़ा, प्रदीप कुमार, रवि कुमार, पप्पू कुमार, बलदेव प्रसाद, दलीप कु मार, शिव कुमार, बालकृष्ण गोयल, सुरिन्द्र कुमार, गोपाल दास, प्रदीप कुमार, ओम प्रकाश, मुकेश कुमार, कीमत लाल, रमेश भारती, राजविन्द्र ¨सह, अमरीक ¨सह, ध्यान ¨सह, मलकीत ¨सह, दविन्द्र ¨सह, दरबारा ¨सह, बलबीर ¨सह, सुखदेव ¨सह, दरबारा ¨सह व हरपाल ¨सह मौजूद रहे।