राजिदरा अस्पताल में मुलाजिमों व सरकार की खींचतान का खामियाजा भुगत रहे मरीज
सरकारी राजिंदरा अस्पताल में मुलाजिमों और पंजाब सरकार की आपसी खींचतान का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, पटियाला
सरकारी राजिंदरा अस्पताल में मुलाजिमों और पंजाब सरकार की आपसी खींचतान का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले दो दिनों से दर्जा चार कर्मचारियों और एनसिलरी स्टाफ की तरफ से ऑपरेशन थियेटर बंद करने के कारण 150 से ज्यादा मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो पाए। वहीं दूसरी ओर दर्जा चार और एनसिलरी स्टाफ की कामछोड़ हड़ताल के समर्थन में रेगुलर दर्जा चार कर्मचारियों ने भी समर्थन देते हुए काम बंद कर दिया है। इस कारण अस्पताल में साफ सफाई न होने के कारण वार्डो और अन्य स्थानों पर गंदगी के ढेर लगने शुरू हो गए हैं। जिसके चलते जहां मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं अस्पताल में फैली गंदगी के कारण बीमारियां फैलने का डर बना हुआ है।
गौरतलब है कि सोमवार को दर्जा चार और एनसिलरी स्टाफ को पक्का न करने के रोष में राजिदरा अस्पताल में बने जनरल ऑपरेशन थियेटर को फट्टियां लगाकर बंद कर दिया था, जो मंगलवार को भी सारा दिन बंद रहा। इस कारण राजिदरा अस्पताल में ऑर्थो, आंख, कान और नाक के 150 से ज्यादा मरीजों के ऑपरेशन नहीं हो सके। हालांकि इमरजेंसी ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन जारी हैं। इस दौरान प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने एलान किया कि जब तक मांगों का हल नहीं निकलता ऑपरेशन थियेटर खुलने नहीं देंगे। दो महीने में तीसरी बार ऑपरेशन थियेटर बंद
पिछले दो महीने के दौरान हड़ताल के चलते कर्मचारियों ने रोष में तीन बार ऑपरेशन थियेटर को बंद किया है। इस कारण करीब 943 ऑपरेशन प्रभावित हुए हैं और ऑपरेशन नहीं होने का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। गौरतलब है कि पांच जिलों के मरीज इलाज के लिए राजिदरा अस्पताल में आते हैं और आर्थिक पक्ष से कमजोर होने के कारण वह प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाने में असमर्थ हैं।
मामला उच्च आधिकारियों के ध्यान में : एमएस
मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. राजन सिगला ने बताया कि ऑपरेशन थियेटर बंद किए जाने वाले मामले को उच्च अधिकारियों के ध्यान में ला दिया गया है। उच्च आधिकारियों के निर्देशों के अनुसार ही अगली कार्रवाई की जाएगी। बहुत ज्यादा जरूरी ऑपरेशन इमरजेंसी में किए जा रहे हैं। कोशिश की जा रही है कि किसी भी मरीज को परेशानी न झेलनी पड़े।