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¨प्रसिपल साहब भी देंगे टेस्ट, 50 फीसदी से कम नंबर लिए तो हो सकती कार्रवाई

स्कूल में स्टूडेंट्स के टेस्ट तो अक्सर होते हैं लेकिन अब शिक्षा ने ¨प्रसिपलों की वर्किंग का मुल्यांकन करने के लिए टेस्ट लेने जा रहा है। असल में शिक्षा विभाग ने ये टेस्ट लेने से पहले 19 अप्रैल 26 मई तक राज्य के सभी ¨प्रसिपलों और मुख्य अध्यापकों को इसकी ट्रे¨नग दी थी। अब विभाग उस ट्रे¨नग का टेस्ट लेने जा रहा है। इस टेस्ट के लिए 25 सितंबर निर्धारित किया गया है। डायरेक्टर जर्नल स्कूल एजूकेशन द्वारा जारी निर्देशों में पटियाला के 1

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 06:00 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 06:00 PM (IST)
¨प्रसिपल साहब भी देंगे टेस्ट, 50 फीसदी से कम नंबर लिए तो हो सकती कार्रवाई
¨प्रसिपल साहब भी देंगे टेस्ट, 50 फीसदी से कम नंबर लिए तो हो सकती कार्रवाई

जागरण संवाददाता, पटियाला : स्कूल में स्टूडेंट्स के टेस्ट तो अक्सर होते हैं लेकिन अब शिक्षा विभाग जिले के ¨प्रसिपलों की वर्किंग का मूल्यांकन करने के लिए उनका टेस्ट लेने जा रहा है। असल में शिक्षा विभाग ने यह टेस्ट लेने से पहले 19 अप्रैल 26 मई तक जिला के सभी ¨प्रसिपलों और मुख्य अध्यापकों को ट्रे¨नग दी थी। अब विभाग उस ट्रे¨नग का टेस्ट लेने जा रहा है। इस टेस्ट के लिए 25 सितंबर निर्धारित किया गया है। डायरेक्टर जनरल स्कूल एजूकेशन द्वारा जारी निर्देशों में पटियाला के 18 और फतेहगढ़ साहिब के 7 ¨प्रसिपलों को सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल फेज 3 मोहाली में सुबह 11 बजे पहुंचने को कहा है। टेस्ट एक बजे तक चलेगा। वहीं अध्यापक जत्थेबंदियां इस फैसले के विरोध में हैं। अध्यापक जत्थेबंदियों का तर्क है कि ¨प्रसिपल लंबा समय स्कूल में पढ़ाने के बाद मुख्य अध्यापक या ¨प्रसिपल के ओहदे तक पहुंचता है और ऐसे में ¨प्रसिपलों की योग्यता पर शक करते हुए दोबारा उनका टेस्ट लेना गलत है। टेस्ट में 50 फीसदी अंक न आए तो सकती है कार्रवाई

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अगर टेस्ट में ¨प्रसिपल साहब 50 प्रतिशत से कम अंक लाए तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। इसलिए ¨प्रसिपलों ने पहले ही टेस्ट की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि अभी तक विभाग की ओर से केवल तारीखें फाइनल की गई हैं। नंबर कम आने पर किसी प्रकार की कार्रवाई का कोई जिक्र नहीं है। लेकिन विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अगर नंबर कम हुए शिक्षा विभाग इन ¨प्रसिपलों और मुख्य अध्यापकों के खिलाफ कोई कदम उठा सकता है, क्योंकि इसे पहले भी 3 जुलाई विभाग द्वारा ऐसा ही टेस्ट लिया गया था और इस टेस्ट में 50 फीसदी से कम और टेस्ट न देने वाले अधिकारियों को एक मौका और दिया गया है। अगर ऐसे में भी अधिकारी ये टेस्ट पास नहीं कर पाते तो विभाग कार्रवाई कर सकता है। प्रबंधकीय नियमों पर आधारित है टेस्ट

¨प्रसिपलों की दी गई ट्रे¨नग में अधिकारियों को प्रबंधकीय नियमों संबंधी जानकारी दी गई। इसके तहत ¨प्रसिपलों और मुख्य अध्यापकों के अधिकारियों और जिम्मेदारियों के बारे में बताया गया था। ऐसे में कितने अधिकारियों को अपने अधिकारों और जिम्मेवारियों का ज्ञान है, यह चेक करने के मकसद से विभाग टेस्ट लेने जा रहा है। ¨प्रसिपलों का टेस्ट लेना उनका अपमान करने के बराबर : पूनिया

¨प्रसिपल स्कूल का मुखी होता है और उसका टेस्ट लेना किसी शिक्षा शास्त्री के ज्ञान का मूल्यांकन करने के बराबर है। शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी स्कूलों में डर का माहौल पैदा करना चाहते हैं ताकि कोई आवाज न उठा सके। ¨प्रसिपल और मुख्य अध्यापकों का टेस्ट लेना भी इसी कड़ी का हिस्सा है क्योंकि इससे ¨प्रसिपल और मुख्य अध्यापक को नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में अगर किसी स्कूल के ¨प्रसिपल या मुख्य अध्यापक के 50 फीसदी से कम नंबर आते हैं तो उसका अपने स्टाफ और स्टूडेंट्स में सम्मान कम होगा। इसलिए विभाग को ये फैसला तुरंत वापिस लेना चाहिए।

- द¨वदर ¨सह पूनिया, मुख्यअध्यापक व जनरल सेक्रेटरी डैमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट


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