ये हैं फादर ऑफ ट्री: पटियाला के जोगिंदर बांट चुके डेढ़ लाख पौधे, प्रकृति को समर्पित कर दिया जीवन
पटियाला के 75 साल के जोगिंदर सिंह बीस साल में डेढ़ लाख से अधिक पौधे लोगों को मुफ्त में बांट चुके हैं। इसके लिए उन्होंने जेब से बीस लाख रुपये से अधिक खर्च भी किए।
पटियाला [सुरेश कामरा]। एक पेड़ दस बेटों के समान होता है। मत्स्य पुराण का एक वाक्य पटियाला के कुतबनपुर नर्सरी के मालिक जोगिंदर सिंह के मन में ऐसा घर कर गया कि उन्होंने पूरा जीवन प्रकृति को ही समर्पित कर दिया। 75 साल के जोगिंदर सिंह बीस साल में डेढ़ लाख से अधिक पौधे लोगों को मुफ्त में बांट चुके हैं। इसके लिए उन्होंने जेब से बीस लाख रुपये से अधिक खर्च भी किए।
गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पिछले साल ही उन्होंने पचास हजार औषधीय पौधे लोगों को बांटकर पर्यावरण प्रेमी बनाया। उनका यह मिशन पौधे बांटने तक ही सीमित नहीं, वह लोगों के घर जाकर देखते भी हैं कि क्या उनके पौधे रूपी बेटों की सही से देखभाल हो रही है या नहीं।
उनका मानना है कि पौधे तो एक बच्चे के समान होते हैं। उनकी जितनी परवरिश की जाए कम है। एक पौधा बड़ा होकर यानि पेड़ बन दस घरों में हरियाली लाता है। हमारे शास्त्रों व गुरुओं की बाणी में भी इसका जिक्र है, तो क्यों न उस बेटे को बड़ा करें जो नि:स्वार्थ होकर सबकी सेवा करता है।
हर कोई पांच पेड़ जरूर लगाए
जोगिंदर सिंह की राजस्थान, उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र में भी नर्सरियां हैं। वहां भी हजारों की संख्या में पौधे लोगों को बांटे जाते हैं। बकौल, जोगिंदर उनका परिवार 1926 से पेड़-पौधों के साथ जुड़ा हुआ है। पिता भगत सिंह पाकिस्तान के फैसलाबाद (लायलपुर) में नर्सरी चलाते थे। बंटवारे के समय परिवार भारत आ गया। 60 साल से नर्सरी चला रहे है। 20 साल पहले उन्होंने पेड़-पौधों में छिपे जीवन की असल सच्चाई को समझा तो मुफ्त में पौधे बांटने शुरू किए। जब कोई पौधा लेने आता है तो वे महज, इतना कहते कि बच्चे की तरह संभाल करना। जीवन में कम से कम पांच वृक्ष जिनमें नीम, आंवला, पीपल, जामुन व आम शामिल हैं को लगाने के लिए प्रेरित करते हैं।
औषधीय पौधों के लिए नहीं लेते पैसे
जोगिंदर सिंह की रुचि सड़कों के किनारे लगने वाले पौधे बांटने की अधिक रहती है, क्योंकि विकास के नाम पर यहीं पर सबसे अधिक तबाही मची है। सागवान, नरमा, डेक, पीपल, बरगद, शीशम, गुलमोहर व जैकरंडा के अलावा तुलसी, आंवला, नियाजमा व नीम को कोई खरीदने आए तो वे किसी से उनके बदले पैसे नहीं लेते।