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भारत-पाक जंग की लड़ाई में सिख रेजीमेंट ने जीते थे कई वीरता चक्र : सूबेदार अमरजीत ¨सह

1971 में भारत और पाक की जंग का ऐलान हुआ तो वह झांसी में सिख रेजीमेंट पर पोस्टड रहे हमें झांसी से फरीदकोट विशेष ट्रेन से भेजा गया। हमारी यूनिट बहुत ही बहादुर यूनिट मानी जाती थी क्योंकि 1962 और 1965 पाक और चीन के साथ युद्ध करके सिख रेजीमेंट ने बहुत अच्छा नाम कमाया था और बहुत सारे वीरता चक्र भारतीय सेना की तरफ से दिए गए थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Dec 2018 07:44 PM (IST)Updated: Wed, 05 Dec 2018 07:58 PM (IST)
भारत-पाक जंग की लड़ाई में सिख रेजीमेंट ने जीते थे कई वीरता चक्र : सूबेदार अमरजीत ¨सह

संस, राजपुरा पटियाला

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1971 में भारत और पाक की जंग का ऐलान हुआ तो वह झांसी में सिख रेजीमेंट पर पोस्टड रहे हमें झांसी से फरीदकोट विशेष ट्रेन से भेजा गया। हमारी यूनिट बहुत ही बहादुर यूनिट मानी जाती थी क्योंकि 1962 और 1965 पाक और चीन के साथ युद्ध करके सिख रेजीमेंट ने बहुत अच्छा नाम कमाया था और बहुत सारे वीरता चक्र भारतीय सेना की तरफ से दिए गए थे। हमारे वीर सैनिक सुबेदार जो¨गदर ¨सह जैसे वीर योद्धा इसी यूनिट में थे इन्हीं से प्रेरणा पाकर मैने फौज में भर्ती होने का एलान किया था। 1971 में हुई भारत पाकिस्तान जंग के दौरान अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए सूबेदार अमरजीत ¨सह ने यादें ताजा की।

सुबेदार अमरजीत ¨सह ने कहा कि वह 1970 में सिख रेजीमेंट सेंटर मेरठ कैंट फौज में भर्ती हुए थे, तब उनकी आयु केवल 17 वर्ष थी। अभी उन्हें ट्रे¨नग लिए एक वर्ष ही हुआ था कि उन्हें पता चला कि भारत-पाक में जंग का एलान हो गया है तो हमारी रेजीमेंट को पंजाब में पाक के बार्डर पर लगाने के लिए झांसी से फरीदकोट भेजा गया। जब हम फरीदकोट रेलवे स्टेशन पर देर रात्रि दो बजे पहुंचे तो अपनी यूनिट का सारा सामान उतार कर फौज की गाड़ियों में बार्डर पर स्थित एक गांव में ले जाया गया जो फिरोजपुर में स्थित है हमारी यूनिट फ‌र्स्ट आर्मड में आती थी जिसे रिजर्व में रखा गया और रात्रि के समय हमारी जगह बदल दी जाती थी हमें अपनी गाड़ियों की लाईटें भी बंद करके बंकरों में रहना पड़ता था हमारे पास उस समय एपीसी कार होती थी जिसको टोपा भी कहते थे और वह बुलेटप्रूफ होती थी। उसके उपर छोटे हथियार का कोई असर नहीं होता था और वह पानी और सड़क पर तेजी से चल सकती थी। इसके अंदर एक सेक्शन बैठ सकती थी। एक सेक्शन में 10 जवान होते थे। भारत-पाक लड़ाई बंद होने के एक दिन पहले हमें पाक सेना से युद्ध के लिए एफयूपी फार्म अप पॉजीशन में रात के समय लगाया गया और लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा गया। पाक का बार्डर हमारे से थोड़ा दूर था और हमें सीश फायर होने के चलते पाक फौजियों की हरकतों का पता चलता रहता था। उसी रात लड़ाई को विराम लग गया और हमें फिरोजपुर से अंबाला कैंट ले जाया गया।


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