'बच्चों की परीक्षा समाप्ति पर मौज-मस्ती' ने लूटी वाहवाही
¨हदी भाषा सम्मेलन की मासिक गोष्ठी डीएवी पब्लिक स्कूल के लेक्चर हाल में हर्षकुमार 'हर्ष' की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. अविनाश कौशल और विशिष्ट अतिथि डॉ ह¨रदर उपस्थित हुए। गोष्ठी का आरम्भ करते हुए सर्वप्रथम सजनी देवी ने अपनी कविता के माध्यम से बच्चों की परीक्षा समाप्ति के बाद उनकी मौज मस्ती भरे क्षणों पर सहज उद्गार प्रस्तुत किए। पुनीत गोयल ने अपनी कविता में खामोशी को एक भाषा का रूप देते हुए उसके प्रभाव एवं महत्व पर प्रकाश डाला। मोनिका ठाकुर ने तन की अपेक्षा मन के सौंदर्य पर कविता कही। जिसे खूब प्रशंसा मिली।
जागरण संवाददाता, पटियाला : ¨हदी भाषा सम्मेलन की मासिक गोष्ठी डीएवी स्कूल के लेक्चर हाल में हर्षकुमार 'हर्ष' की अध्यक्षता में करवाई गई। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. अविनाश कौशल और विशिष्ट अतिथि डॉ. ह¨रदर उपस्थित हुए। गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए सर्वप्रथम सजनी देवी ने अपनी कविता के माध्यम से बच्चों की परीक्षा समाप्ति के बाद उनकी मौज मस्ती भरे क्षणों पर विचार प्रस्तुत किए। पुनीत गोयल ने अपनी कविता में खामोशी को एक भाषा का रूप देते हुए उसके प्रभाव एवं महत्व पर प्रकाश डाला। मोनिका ठाकुर ने तन की अपेक्षा मन के सौंदर्य पर कविता कही। जिसे खूब प्रशंसा मिली। अमन अरोड़ा की लघु कथा भी उत्तम थी।
इनके बाद नवदीप ¨सह, गीतिका और पर¨वदर शोख ने अपनी गजलें सुनाई, जिन्हें भरपूर वाहवाही प्राप्त हुई। शोख की गजल देखिए जिन्हें हम ने यहां हंसना सिखाया था, वो हमें मुस्कुराने की अदा सिखला रहे, सूबेदार दिवाकर मिश्र ने कविता क्या है इसकी विभिन्न परिभाषाएं अपनी कविता के माध्यम से ही पेश कीं। संजय दर्दी, गीतिका मलहोत्रा, स्वराज शर्मा, विजेता भारद्वाज की कविताओं में सांस्कृतिक मानव मूल्यों पर प्रकाश डाला गया।
कैप्टन चमकौर ¨सह ने इश्क हकीकी और इश्क मिजाजी पर कविता सुना अपने फन का कमाल दिखाया। कृष्ण धीमान, शाम ¨सह, जगदीश जग्गी, डॉ. राकेश तिलक राज, संजय दर्दी, पुनीत गोयल, सुख¨वदर आही ने प्रेम गीतों से माहौल बदल दिया। पूनम गुप्त ने आइने को परिभाषित करती हुई कविता का पाठ किया। यूएस आतिश ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्यात्मक संवाद रचाया। बलबीर जलालाबादी ने नारी सशक्तीकरण को उकेरती कविता कही। हरदीप कौर, श्रवण कुमार, र¨वदर रवि, देवेंद्र, आरडी ¨जदल, डॉ. जीएस आनंद ने इंसानियत का संदेश देने वाली रचनाएं पढ़कर श्रोताओं का मन मोह लिया। महिला अध्यक्ष डॉ. नविला सत्यादास ने देश में अभावग्रस्त ¨जदगी के अधिकारों की बात की 'क्या यूं ही सांत्वनाओं को हथेली पर लिए चलता रहूं।'
निर्मला गर्ग और हर्षकुमार 'हर्ष' ने गुरु गो¨बद ¨सह जी के बच्चों को बुनियादों में चिनवाए जाने को लेकर कविताएं कहीं। इनके अतिरिक्त नवकिरण जोत कौर, बबिता रानी कांसल, बल¨वदर चुघ, जसपाल ¨सह ने भी अपने काव्य रंगों को शब्दों में उकेरा।