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शीतल पेय व जलजीरा में मिलावट सेहत के लिए खतरनाक

राजपुरा में बढ़ती गर्मी की तपिश से पारा 42 डिग्री तक पहुंच गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 May 2019 06:12 PM (IST)Updated: Sun, 12 May 2019 06:12 PM (IST)
शीतल पेय व जलजीरा में मिलावट सेहत के लिए खतरनाक
शीतल पेय व जलजीरा में मिलावट सेहत के लिए खतरनाक

संस, राजपुरा

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राजपुरा में बढ़ती गर्मी की तपिश से पारा 42 डिग्री तक पहुंच गया है। ऐसे में आमजन व स्कूली बच्चे प्यास बुझाने के लिए आम तौर पर रेहड़ियों व दुकानों पर बिक रही कांच की बोतल (लैमन सोडा) व जलजीरा का सेवन करते मिलेंगे। शहर में लगने वाली एक सौ से ज्यादा रेहड़ियों व दुकानों पर बिकने वाला जलजीरा व लेमन सोडा अब पहले जैसा नहीं रहा, क्योंकि जलजीरा में इमली के नाम पर एस्टिक एसिड पाउडर और उसे तीखा बनाने के लिए विशेष केमिकल का प्रयोग किया जाता है वहीं लेमन सोडा की बोतल में टाटरी के अलावा चीनी की बजाय स्क्रीन मिलाकर तरल पदार्थ भरा जाता है, जिसे लोग गैस और गर्मी से राहत के लिए पीते हैं, जो शारीरिक तौर पर बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

गर्मी से बचाव के लिए नुस्खे आजमा रहे लोग

लोग गर्मी से बचाव के लिए अलग-अलग नुस्खे आजमा रहे हैं। कुछ लोग विदेशी पेय पदार्थो से अपनी गर्मी दूर करना पंसद करते हैं, तो कई लोग स्वदेशी लेमन सोडा और जलजीरा का सेवन कर रहे हैं। रेहड़ियों व दुकानों पर जहां लेमन सोडा की बोतल नींबू डालकर 15 रुपये में बेचा जा रहा है। वहीं जलजीरा का गिलास भी 15 रुपये में दिया जा रहा है। व्यवसाय में जुड़े लोग अपना धंधा चमकाने के लिए जहां मोटा पैसा कमा रहे हैं। वहीं लोगों की सेहत से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। जलजीरे का कार्य करने वाले व्यक्ति ने अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया कि इमली बहुत महंगी होने के कारण हम जलजीरे में एस्टिक एसिड पाउडर और उसे तीखा व टेस्टी बनाने के लिए कैमिकल आदि का इस्तेमाल करते हैं। इससे हमें रोजाना दो से तीन सौ रुपये की बचत हो जाती है। वहीं, शहर में लेमन सोडा व देसी रंग बिरंगे पेय पदार्थ तैयार करने वाली आधा दर्जन से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं, जिसमें टाटरी और स्क्रीन मिलाकर उसमें तरल पदार्थ भरा जाता है, जिसे स्कूली बच्चे भारी मात्रा में पीते हैं।

चाइल्ड विशेषज्ञ डॉ. मनजीत सिंह का कहना है कि सॉफ्ट ड्रिक सस्ते रेट में बेचकर बच्चों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। इस कारण डायरिया, पेट दर्द, उलटियां, सिरदर्द, चक्कर आना, घबराहट, दस्त जैसी कई बीमारियां होने का खतरा रहता है। सिविल अस्पताल में तैनात छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश बांसल का कहना है कि अगर वह जलजीरा व लेमन सोडा में एस्टिक एसिड पउडर, टाटरी व स्क्रीन का प्रयोग करते हैं तो वह सेहत के लिए नुकसानदायक है इससे गले छाती व पेट की बीमारियां हो सकती हैं।

कोट्स

घटिया पेय-पदार्थ और लेमन सोडा बनाने वाली फैक्ट्रियों पर पहले भी पटियाला और उसके आसपास के इलाकों में शिकंजा कसा जा चुका है। जल्द ही राजपुरा में तैयार होने वाले घटिया किस्म के पेय-पदार्थो को नष्ट करने के साथ उनके मालिकों पर कार्रवाई करने के लिए टीम तैयार की जाएगी। इतना ही नहीं सड़कों पर खड़ी जलजीरे व अन्य पेय पदार्थ बेचने वालों की भी जांच की जाएगी। अगर उसमें एसिड पाउडर व टाटरी मिक्स मिली तो उसे डिस्ट्रॉय करने के साथ उन पर कार्रवाई भी की जाएगी।

डॉ. सतिंदर सिंह, डीएचओ

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