देश पर बलिदान सपूत राजविंदर को माता-पिता ने सैल्यूट कर दी अंतिम विदाई
माता-पिता ने देश पर बलिदान हुए सपूत राजविंदर सिंह को अंतिम विदाई दी। पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ में बलिदान हुए राजविंदर का सैन्य सम्मान केे साथ अंति संस्कार किया गया।
समाना (पटियाला), जेएनएन। देश की रक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों से लोहा लेते हुए बलिदान हुए नायक राजविंदर सिंह काे हजारों लोगों ने अमरता के घोष के साथ अंतिम विदाई दी। बुजुर्ग माता-पिता ने मातृभूमि के लिए बलिदान हुए सपूत को सैल्यूट कर अंतिम विदाई दी तो लोगोें की आंखों छलक उठीं। नायक राजविंदर का अंतिम संस्कार राजकीय व सैन्य सम्मान के साथ उनके गांव दोदड़ा मंं किया गया।
आसपास के कई गांवों के हजारों लोग पहुंचे, अमर रहे के लगे नारे
देश की सीमाओं को ही अपना घर समझने वाले बहादुर नायक राजविंदरसिंह की इच्छा थी कि वह अपने गांव में अपने मकान को बड़ा बना सकें। इसके लिए जनवरी में घर आने के बाद ईंटें भी खरीदकर रख गए थे, लेकिन वे ईंटे बड़े घर में नहीं बदल सकीं।
सरकारी व सैन्य सम्मान से पैतृक गांव दोदड़ा में अंतिम संस्कार
पुलवामा में आतंकियों का बहादुरी से सामना करते हुए शहादत का जाम पीने वाले राजविंदर की पार्थिव देह बुधवार दोपहर बाद उनके गांव दोदड़ा पहुंची। यहां सैन्य सम्मान से उनका संस्कार किया गया। अंतिम विदाई देने के लिए आसपास के कई गांवों के हजारों लोग पहुंचे। भाई बलवंत सिंह ने बताया कि राजविंदरको 17 जुलाई को गांव आना था। उन्होंने कहा था कि गांव लौटने पर ही घर तैयार करवाएंगे। उसके लिए वह पहले से ईंटें व अन्य मैटीरियल लेकर घर में रखवा गए थे।
हर गली व नुक्कड़ पर तिरंगा लेकर खड़े थे लोग
समाना के प्रवेश रास्ते पर बल्कि गांव की हर गली व चौराहे पर लोग तिरंगा लहराते हुए शहीद को श्रद्धांजलि भेंट करते दिखे। वे शहीद राजविंदर सिंह अमर रहे के घोष कर रहे थे।
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स्कूल के समय से ही कहते थे- सेना में जाकर देशसेवा करूंगा
राजविंदर के दोस्त दोस्त ओम प्रकाश ने बताया कि वह स्कूल में पढ़ाई करते समय से ही कहते थे कि वह देश की रक्षा के लिए सेना में जाएंगे और उन्हाेंन स्टडी के बाद सेना में जाने का ही रास्ता चुना। जब भी वह सेना से छुट्टी से लौटकर गांव में आते तो उसके साथ काफी समय गुजराते थे। कुछ दिन पहले उनका मेरे पास फोन आया था कि वह 17 जुलाई को गांव आ रहे हैं। गांव में आने से पहले वह चंडीगढ़ पहुंचेंगे। मैंने उनको चंडीगढ़ से लेकर आने के लिए तैयारी कर ली थी। राजविंदर के चेहरे पर लगी थी गोली
राजविंदर का जन्म 15 अक्तूबर 1990 को गांव दोदड़ा हुआ। वह भारतीय सेना में 24 मार्च 2011 को भर्ती हुए। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्होंने 24 पंजाब रेजिमेंट ज्वाइन की। सेना के सबसे अधिक शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट सिपाहियों के यूनिट में शानदार सेवाएं निभाने के बाद उन्होंने अपनी इच्छा से 53 राष्ट्रीय राइफल्स के काउंटर टेरोरिस्ट ऑपरेशन में पोस्टिंग करवाई। बीते दिन जम्मू कश्मीर के पुलवामा के गांव गोसू में आतंकवादियों के खिलाफ सेना के चल रहे सर्च ऑपरेशन में हिस्सा लेते हुए आतंकवादियों की गोली का शिकार हुए। गोली उनके चेहरे पर लगी। सेना के अस्पताल में उनका ऑपरेशन भी किया गया, लेकिन वह बच नहीं पाए।