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सफाई सेवकों का ईपीएफ रिकार्ड न देने पर दो कंपनियों के खिलाफ केस

नगर निगम के सफाई सेवकों के सैलेरी ईपीएफ व ईएसआइ को लेकर निगम में बड़े लेवल पर घोटाला चल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 11:04 PM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 11:04 PM (IST)
सफाई सेवकों का ईपीएफ रिकार्ड न देने पर दो कंपनियों के खिलाफ केस
सफाई सेवकों का ईपीएफ रिकार्ड न देने पर दो कंपनियों के खिलाफ केस

जासं, पटियाला : नगर निगम के सफाई सेवकों के सैलेरी, ईपीएफ व ईएसआइ को लेकर निगम में बड़े लेवल पर घोटाला चल रहा है। इसका खुलासा दो दिन पहले सिविल लाइन थाना में ठेकेदार परवीन कुमार द्वारा दर्ज करवाए केस के बाद हुआ है। अब निगम की ज्वाइंट कमिश्नर हरकिरत कौर की कंप्लेंट पर दो कंपनियों को नामजद किया है, जिन्होंने सफाई सेवकों के ईपीएफ का रिकार्ड निगम आफिस में जमा नहीं करवाया है। इससे साबित होता है कि निगम के सफाई सेवकों के फंडों को लेकर गड़बड़ी चल रही है, जिसे अधिकारी सही नहीं कर पाए और पुलिस को कंप्लेंट कर दी। थाना सिविल लाइन पुलिस ने शनिवार रात को दो नए मामले दर्ज किए हैं। पहला मामला ज्वाइंट कमिश्नर हरकिरत कौर की कंप्लेंट पर मैसर्ज आसपेक्ट साल्यूशन प्राईवेट लिमिटेड के खिलाफ दर्ज करवाया है। आरोप है कि इस कंपनी ने निगम के विभिन्न कैटेगरी के मुलाजिम मुहैया करवाए थे। कंपनी के पास अप्रैल 2015 से लेकर 2018 तक का एग्रीमेंट था, इस दौरान ईपीएफ की रकम एक करोड़ 52 लाख 19 हजार रुपये के करीब जमा करवानी थी। कंपनी ने सिर्फ एक करोड़ 17 लाख 86 हजार रुपए के करीब की रसीदें निगम के पास जमा नहीं करवाई थी। निगम द्वारा कहने पर आरोपित ने 94 लाख रुपए जमा करवा दिए लेकिन बाकी रकम खुर्द-बुर्द कर दी। इस वजह से पुलिस को कंप्लेंट कर दी। दूसरा मामला ज्वाइंट कमिशनर की ही कंप्लेंट पर रवि भाटिया, दिनेश कुमार, एसके सिन्हा, सौरव श्रीवास्तव बैंक मुलाजिम व मैस सिक्योर गार्ड मैन पावर सर्विस लिमिटेड के अधिकारी पर दर्ज हुआ है। आरोप है कि इन लोगों को निगम के सफाई सेवकों के ईपीएफ रिकार्ड पेश करने को कहा था लेकिन इस कंपनी ने ईपीएफ रिकार्ड पेश न करते हुए सफाई सेवकों का फंड हड़प लिया।

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कंपनी के पास पूरा रिकार्ड : परवीन

सिक्योर गार्ड कंपनी के मैनेजर परवीन ने कहा कि उनकी कंप्लेंट पहले थाना सिविल लाइन में दर्ज हो चुकी है। अक्टूबर 2018 से लेकर दिसंबर 2018 इन तीन महीनों का रिकार्ड गड़बड़ किया गया है, जिसके खिलाफ केस दर्ज करवाया था। अब निगम द्वारा जो केस दर्ज करवाया है, उसमें कंपनी का नाम आरोपितों में शामिल किया है। यह सरासर गलत है क्योंकि इन तीन महीनों को छोड़ बाकी का पूरा रिकार्ड निगम के पास है।


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