अवैध शराब बरामदगी मामले में नया मोड़, आरोपित दर्शन पबरी निकला शिअद का वरिष्ठ उपप्रधान
अकाली नेता व पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा ने शराब मामले में गिरफ्तार जिस आरोपित को पहचानने से इन्कार कर दिया था वह उन्हीं की पार्टी का वरिष्ठ उपप्रधान निकला।
जेएनएन, पटियाला। सियासी रंगत लेते जा रहे शंभू व घनौर में अवैध शराब बरामदगी मामले में एक नया खुलासा हुआ है। एक दिन पहले जिस आरोपित दर्शन सिंह पबरी को वरिष्ठ अकाली नेता व पूर्व मंत्री सुरजीत रखड़ा समेत पूरी लीडरशिप ने पहचानने तक से इन्कार कर दिया था, वह उन्हीं की पार्टी का वरिष्ठ उपप्रधान निकला। अप्रैल 2019 में रखड़ा की ओर से जारी नई जत्थेबंदी की सूची में दर्शन पबरी का नाम था। उसे घनौर हलके का जिम्मा मिला था।
सोमवार-मंगलवार की मध्यरात्रि उसके ट्यूबवेल के कमरे से कच्ची शराब के बीस ड्रम भरे हुए और बीस ड्रम खाली मिले थे। उसकी गिरफ्तारी के बाद सभी पार्टियों ने इसे एक-दूसरे का वर्कर बताना शुरू कर दिया था। बुधवार को रखड़ा से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गैर-कानूनी काम करने वाला चाहे किसी भी पार्टी से संबंधित हो, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। रखड़ा के साथ दर्शन की फोटो होने संबंधी कहा कि पब्लिक प्रोग्राम में बड़ी संख्या में उनके साथ फोटो खिंचवाते हैं, वे क्या कर सकते हैं।
दूसरी तरफ घनौर में हुई इस बरामदगी के तार शंभू की अवैध फैक्ट्री से जुड़ रहे हैं। उस मामले में कांग्रेस सरपंच अमरीक सिंह नामजद है। सूत्रों के अनुसार दर्शन से पूछताछ में पता चला कि वह और अमरीक काफी नजदीकी थे। ट्यूबवेल के कमरे में पड़े कच्चे ड्रम को दर्शन जल्दी हटाना चाहता था। उसके लिए कई दिन से अमरीक पर दबाव बना रहा था। रेड से ठीक एक दिन पहले भी दर्शन ने अमरीक को ड्रम को उठवाने को कहा था। पबरी नकली शराब फैक्ट्री के पकड़े जाने के बाद से ही फरार होने की कोशिश में था, लेकिन कर्फ्यू के कारण उसे भागने का मौका नहीं मिल पाया।
डीएसपी मनप्रीत सिंह ने कहा कि दर्शन सिंह से अभी पूछताछ कर रहे हैं और इस मामले में अन्य लोगों के शामिल होने की जानकारी मिली है। फिलहाल चार हजार लीटर कच्ची शराब बरामद की गई है।
डीजीपी ने कहा-तस्करों पर बनाए रखें सख्ती
डीजीपी दिनकर गुप्ता बुधवार को पटियाला पहुंचे। यहां उन्होंने एसएसपी मनदीप सिंह सिद्धू व आइजी जतिंदर सिंह औलख से राजपुरा में पकड़ी शराब फैक्ट्री के मामले में चर्चा भी की। उन्हें दो लाइनों में निर्देश दिया कि तस्करों के खिलाफ सख्ती बनाए रखें। राजनीतिक नेताओं के बयान व दबाव की चिंता न करते हुए लॉ एंड आर्डर के अनुसार जांच जारी रखी जाए। इस मामले में बनाई गई एसआइटी को भी पारदर्शिता से जांच करने को कहा।