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शहीद विंग कमांडर की मंदीप सिंह की पत्नी बोलीं, दोनों बच्चों को भी सेना में भेजूंगी

अरूणाचल प्रदेश में सैंकड़ों लोगों की जान बचाने के बाद कमांडर मंदीप सिंह ढिल्लों हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हो गए थे। उनकी पत्नी ने कहा कि वह अपने बच्चों को भी सेना में भेजेंगी।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 16 Jul 2017 07:32 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jul 2017 07:32 PM (IST)
शहीद विंग कमांडर की मंदीप सिंह की पत्नी बोलीं, दोनों बच्चों को भी सेना में भेजूंगी
शहीद विंग कमांडर की मंदीप सिंह की पत्नी बोलीं, दोनों बच्चों को भी सेना में भेजूंगी

जेएनएन, पटियाला। अरुणाचल प्रदेश की बाढ़ में फंसे 169 लोगों की जान बचाने के बाद हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए विंग कमांडर मंदीप सिंह ढिल्लों की पत्नी ने कहा है कि वह अपने दोनों बच्चों को देश की सेवा करने के लिए सेना में भेजेगी। उनके ससुर पूरण सिंह ने भी अपना जीवन सेना की सेवा में ही गुजारा है। रविवार को इस तरह की भावनाएं मोती बाग गुरुद्वारा साहिब में शहीद मंदीप सिंह ढिल्लों के भोग समारोह में उनकी पत्नी प्रभप्रीत कौर ने व्यक्त कीं।

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उन्होंने बताया कि उनके पति सहज स्वभाव के थे। वह सेवा करने से पीछे नहीं हटते थे। भोग समारोह में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से शिरकत करने वन मंत्री साधू सिंह धर्मसोत पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार को गर्व है कि मंदीप सिंह पंजाब का पुत्र था, इसलिए सरकार शहीद परिवार के एक सदस्य को नौकरी देगी। सरकार ने परिवार की वित्तीय मदद के लिए 12 लाख रुपये देने का एलान करते हुए पांच लाख रुपये का चेक सौंप दिया। वन मंत्री ने बकाया सात लाख रुपये जल्द भेजने की बात कही।

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मंदीप को श्रद्धांजलि देने के लिए सेना के रिटायर्ड एयर मार्शल केएस गिल, एयर हेडक्वार्टर से ग्रुप कमांडर एनके बल्ला, ट्रेनिंग कमांड से विंग कमांडर टीएस पुरी, 12 विंग कमांडर कैप्टन एसके यादव सहित कई सैन्य अधिकारी मौजूद रहे। इनके अलावा पीआरटीसी के चेयरमैन केके शर्मा, कांग्रेस के जिला प्रधान प्रेम कृष्ण पुरी सहित भगवान दास जुनेजा व हरपाल दास जुनेजा आदि उपस्थित रहे।

पत्नी और बच्चों के साथ शहीद विंग कमांडर मंदीप सिंह ढिल्लों। 

चार जुलाई को हुई थी घटना

मंदीप सिंह ढिल्लों असम के तेजपुर स्थित एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर यूनिट के कमांड विंग ऑफिसर थे। चार जुलाई को अरुणाचल प्रदेश में बाढ़ में फंसे 169 लोगों को मंदीप सिंह ने बचाया था। वह उड़ान भरकर फिर से बाकी लोगों को बचाने के लिए गए थे। तब उनके साथ को-पायलट पीके सिंह, सार्जेंट आरवाइ गूजर व एक कांस्टेबल था। हेलीकॉप्टर हादसे में उक्त सभी लोगों की मौत हो गई थी। 19 साल की सर्विस में मंदीप सिंह के पास चार हजार घंटे की फ्लाइंग अनुभव था और वह देश के जाबांज पायलटों में से एक थे। पटियाला की तेग कॉलोनी निवासी मंदीप के पिता पूरण सिंह भी एयरफोर्स में इंजीनियर थे। शहीद की बेटी सहज बड़ी है, जबकि बेटा एशर छोटा है।

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