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प्रदूषण की मार से तिलमिलाई एशिया की सबसे बड़ी लौहनगरी

एशिया की सबसे बड़ी लोहा मंडी पंजाब की सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है। इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी के कारण सड़कों पर उड़ती धूल सेहतमंद आदमी को बीमार बनाने के लिए काफी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 26 Nov 2017 02:53 PM (IST)Updated: Sun, 26 Nov 2017 02:53 PM (IST)
प्रदूषण की मार से तिलमिलाई एशिया की सबसे बड़ी लौहनगरी
प्रदूषण की मार से तिलमिलाई एशिया की सबसे बड़ी लौहनगरी

पटियाला [नवनीत छिब्बर]। आप दिल्ली से पंजाब की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर एक पर सफर कर रहे हैं और अंबाला से करीब 50 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद आपको आसमान में धूल और धुएं का गुबार नजर आए तो समझ लीजिए आप लोहा नगरी मंडी गोबिंदगढ़ के करीब हैं।

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पिछले कई सालों से मंडी गोबिंदगढ़ में इंडस्ट्री बंद हुई है तो खुली भी हैं। वहीं इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी के कारण एशिया के सबसे बड़े लोहा बाजार की सड़कों पर उड़ती धूल सेहतमंद आदमी को बीमार बनाने के लिए काफी है। इंडस्ट्री और हाईवे बनने के बाद से भारी वाहनों से पैदा होने वाला प्रदूषण इस स्थिति में इजाफा कर उसे खतरनाक स्तर तक ले जाता है। यही कारण है कि आज पंजाब के सबसे प्रदूषित शहरों में मंडी गोबिंदगढ़ सबसे उपर है।

पिछले कुछ दिनों के दौरान लोहा नगरी का एयर क्वालिटी इंडेक्स दिल्ली व पंजाब के अन्य शहरों से ज्यादा रहा है। आम तौर पर इंडस्ट्री को प्रदूषण के लिए जिम्मेदार माना जाता है और मंडी गोबिंदगढ़ में इंडस्ट्रीज बढ़ी हैं। अक्टूबर 2013 में लोहा नगरी के वायु प्रदूषण का औसत 179 आरएसपीएम था, जबकि इस वर्ष अक्टूबर माह का औसत 201 आरएसपीएम रहा, जो यहां की हवा को रेड लेबल मार्किंग करता है।

आइआइटी कानपुर की एक रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण में इंडस्ट्रियल भागीदारी करीब 17 फीसद के आसपास ही होती है। यानि मंडी गोबिंदगढ़ में भी बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए अन्य स्थितियां भी जिम्मेदार हैं। जी हां, लोहा नगरी का शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर इतना लचर है कि उससे पैदा होने वाला प्रदूषण मौसम की बदलती परिस्थितियों के साथ मिलकर खतरनाक रूप धारण कर रहा है। मंडी गोबिंदगढ़ को सुंदर व प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए यहां की सड़कों के किनारे 10 से 25 फुट जगह ग्रीन बेल्ट के लिए छोड़ी गई है। यह नेशनल हाईवे की सर्विस लेन और स्टेट हाईवे पर है, लेकिन इसे कहीं भी डवलेप नहीं किया गया।

ग्रीन बेल्ट भारी कामर्शियल वाहनों का पार्किंग प्लेस बना हुआ है। ग्रीन बेल्ट और फुटपाथ न होने से सड़क के साथ खाली जमीन की धूल भारी वाहनों के चलने से सड़कों पर आती है और हवा में मिल कर डस्ट पार्टिकल्स को बढ़ाती है। मौसम में ठंडक के कारण वाष्पीकरण न होने से डस्ट पार्टिकल्स वातावरण में ज्यादा उपर तक नहीं जाते, जिससे सर्दी के मौसम में यहां प्रदूषण का स्तर ज्यादा हो जाता है।

हाईवे ने भी बिगाड़ी प्रदूषण की चाल

लोहा नगरी नेशनल हाईवे पर स्थित है। एक स्टेट हाईवे भी यहां से गुजरता है। पिछले पांच सालों के दौरान यहां से गुजरने वाले वाहनों की संख्या में लगभग दोगुना इजाफा हुआ है। मंडी गोबिंदगढ़ में एंट्री के लिए वाहनों को अब सर्विस लेन का इस्तेमाल करना होता है। इंडस्ट्रियल सिटी होने के कारण हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली व अन्य राज्यों से प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक व ट्राले आते जाते हैं। इन भारी कामर्शियल वाहनों ने सड़कों के किनारे छोड़ी गई ग्रीन बेल्ट को पार्किंग प्लेस बना लिया है। इन वाहनों से निकलने वाले धुएं से कार्बनडाईआक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और आरसेनिक जैसी घातक गैसें हवा में प्रदूषण के स्तर को घातक बनाती हैं।

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पीपीसीबी के चेयरमैन केएस पन्नू प्रदूषण के लिए सिर्फ इंडस्ट्री ही जिम्मेदार नहीं है, अन्य कारण भी हैं, जिनमें सुधार के लिए काम किया जा रहा है। शहर का इंफ्रास्ट्रक्चर इसमें इजाफा कर रहा है। संबंधित विभागों को समय-समय पर सुधार के लिए कहा जा रहा है।

पीपीसीबी के सभी सुझावों पर अमल कर रही इंडस्ट्री

स्माल स्केल स्टील री- रोलर्स एसोसिएशन के प्रधान राजीव सूद का कहना है कि इंडस्ट्री पीपीसीबी के सभी सुझावों पर अमल कर रही है। उनके द्वारा सुझाई गई सभी आधुनिक तकनीक को इंस्टॉल किया गया है। प्रदूषण के लिए इंडस्ट्री को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है। सरकार को इंडस्ट्री जैसी सख्ती इंफ्रास्ट्रक्चर, पुराने वाहनों और कृषि क्षेत्र के लिए भी अपनानी चाहिए।

ग्रीन बेल्ट विकसित करने की जिम्मेदारी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की

नगर कौंसिल मंडी गोबिंदगढ़ के ईओ कुलदीप सिंह का कहना है कि नेशनल हाईवे नंबर एक और गोबिंदगढ़-अमलोह-नाभा स्टेट हाईवे के किनारे कच्चे व धूल से भरे होने के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। इंडस्ट्रियल सिटी होने के कारण भारी लोडेड वाहनों की आवाजाही रहती है। सड़कों के किनारे कच्चे होने के कारण भारी वाहनों से धूल के गुबार उड़ते हैं। नेशनल हाईवे के किनारों पर ग्रीन बेल्ट विकसित करने की जिम्मेदारी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की है। इसी तरह स्टेट हाईवे के किनारों पर ग्रीन बेल्ट और फुटपाथ न बनाने के लिए पीडब्ल्यूडी जिम्मेदार है। 

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