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उद्योगपतियों ने एक स्वर में कहा, महज बातों से नहीं, तालमेल, जिम्मेदारी और ग्राउंड वर्क से खत्म होगा पराली का दंश

पराली अभियान को लेकर फोकल प्वाइंट इलाके में पहुंची दैनिक जागरण की टीम के साथ उद्योगपतियों ने राउंड टेबल कांफ्रेंस (आरटीसी) के दौरान खुलकर अपने विचार रखे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 01:23 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 01:23 AM (IST)
उद्योगपतियों ने एक स्वर में कहा, महज बातों से नहीं, तालमेल, जिम्मेदारी और ग्राउंड वर्क से खत्म होगा पराली का दंश
उद्योगपतियों ने एक स्वर में कहा, महज बातों से नहीं, तालमेल, जिम्मेदारी और ग्राउंड वर्क से खत्म होगा पराली का दंश

जासं, पटियाला : पराली अभियान को लेकर फोकल प्वाइंट इलाके में पहुंची दैनिक जागरण की टीम के साथ उद्योगपतियों ने राउंड टेबल कांफ्रेंस (आरटीसी) के दौरान खुलकर अपने विचार रखे और कहा कि पराली से प्रदूषण के लिए इंडस्ट्री को दोष देना ठीक नहीं है। करीब 9 साल पहले पटियाला के घनौर इलाके में शुरू हुए पंजाब बायो गैस प्लांट अंदरूनी कारण के चलते दो साल पहले बंद हो गया। बंद होने की कगार पर पहुंचने के बारे में सरकार को जानकारी थी और बंद होने के बाद भी सरकार ने इस प्रोजेक्ट को चलाए रखने के लिए मुंबई की मैनेजमेंट से कोई तालमेल नहीं किया। 100 करोड़ का यह प्रोजेक्ट ठप हो गया, जहां पर खेतों की पराली से गैस बनाकर बिजली पैदा की जाती थी। फोकल प्वाइंट इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रधान व अन्य मेंबरों ने आरटीसी ने उक्त जानकारी सांझा करते हुए कहा कि अब तालमेल, जिम्मेदारी व ग्राउंड वर्क से ही पराली के दंश को खत्म किया जा सकता है। उद्योगपतियों तो सरकार के सभी नियमों के अनुसार काम करते हैं, ऐसे में पराली दंश को खत्म करने के लिए कोई योजना बनेगी तो उसपर भी अमल करेंगे।

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पराली को आग लगाने से सिर्फ प्रदूषण ही नहीं हादसे भी होते हैं : परमजीत सिंह

फोकल प्वाइंट इंडस्ट्री एसोसिएशन के पैट्रन परमजीत सिंह ने कहा कि पराली को आग लगाने से सिर्फ प्रदूषण ही नहीं फैलता बल्कि कई बार हादसे भी हो जाते हैं। अक्सर देखा जाता है कि धर्म के लिए लोग जमीन दान कर देते हैं लेकिन इसके साथ-साथ लोग जमीन पर वेल्फेयर के काम करने की सोच भी डेवेलप करें। दान की जमीनों पर बायो गैस प्लांट लगाने की सोच के साथ काम करें तो यह समस्या हल होनी शुरू हो जाएगी।

तालमेल बेहतर बने तो पराली की समस्या होगी खत्म : अश्वनी गुप्ता

एसोसिएशन के प्रधान अश्वनी गुप्ता ने कहा कि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड अक्सर इलाके में आकर प्रदूषण संबंधी सेमीनार या अवेयरनेस को लेकर चर्चा करते रहते हैं। ऐसे में पराली की समस्या खत्म करने के लिए उद्योगपतियों से बात करें या कोई प्रोजेक्ट लागू करे तो इसे भी हल किया जा सकता है। पराली अभियान को लेकर दैनिक जागरण ने अच्छी मुहिम शुरू की है, जिसके लिए सभी महकमों, किसानों, पब्लिक का तालमेल बनाकर एक सांझी सोच के साथ काम करना होगा। फोकल प्वाइंट में प्रदूषण खत्म करने को लेकर पहले ही नियम कड़े ढंग से लागू कर रहे हैं।

सुविधा व जागरूकता की ओर देना होगा ध्यान: सोढी

जनरल सेक्रेटरी आदर्शपाल सिंह सोढी ने कहा कि पराली जलाने के मामले को लेकर समस्या के तौर पर लेकर अबतक काफी चर्चाएं हो चुकी हैं लेकिन जरूरत है कि इसके हल को लागू करने के लिए सुविधा मुहैया करवाने की और जागरूकता फैलाने की। धान की फसल काटने के बाद पराली को जलाने के बजाय किस ढंग से इसकी जड़ें खत्म की जा सकती है या फिर पराली को न जलाएं। इन बातों को जागरूकता की मुहिम बड़े लेवल पर शुरू करनी होगी।

पराली वातावरण व इंसान दोनों कर रही खोखला : अशोक

चेयरमैन अशोक सिगला ने कहा कि पराली जलाकर किसान अपने लिए तो सुविधा बनाते हैं लेकिन यह काम इंसान व वातावरण दोनो को खोखला बना रही है। यदि इंडस्ट्री को प्रदूषण फैलाने पर चालान काटकर सजा दी जा सकती है तो पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त नियम बनने चाहिए। लोग अपनी सेहत खराब होने तुरंत डाक्टर तलाशते हैं तो अब पराली जलाने की समस्या हल करने के लिए भी आगे बढ़कर उद्योगपतियों का हाथ थामें।

धान के साथ-साथ अन्य फसलों की ओर रूख करें किसान: अग्रवाल

पदाधिकारी पीएन अग्रवाल ने कहा कि किसी समय पंजाब को धान की फसल अधिक करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था क्योंकि अन्य राज्यों में धान की फसल कम होती थी। अब अन्य राज्य धान की फसल उगाने लगे हैं, ऐसे में पंजाब को धान की फसल के लिए अंधाधुंध काम करने के बजाय सिस्टम के अनुसार खेती करें। सरकार इसके लिए किसानों को जानकारी मुहैया करवाए ताकि वह धान के साथ-साथ अन्य फसलों की खेती भी करें। धान की फसल जरूरत के अनुसार होगी तो पराली की समस्या भी कम होगी।

प्रदूषण नहीं मौत का खतरा बढ़ रहा : अरुण गुप्ता

वाइस चेयरमैन अरुण गुप्ता ने कहा कि पराली जलाने से लोगों की लापरवाही से प्रदूषण नहीं बल्कि मौत का खतरा बढ़ रहा है। हमें ही जागरूक होना होगा ताकि किसान भाईचारा, उद्योगपतियों के साथ-साथ अन्य जनता भी मिलकर इस प्रदूषण को खत्म करने के लिए आगे बढ़ें। सरकार ठोस नीति बनाएं, जिसपर सभी वर्ग मिलकर चलेंगे तो यह समस्या खुद ब खुद खत्म हो जाएगी।

हर बात के लिए इंडस्ट्री को कसूर ठहराना गलत ं: जसविदर सिंह

उद्योगपति जसविदर सिंह ने कहा कि हर नुक्सान के लिए इंडस्ट्री का कसूर निकालना ठीक नहीं है। पराली है तो उसे कंज्यूम करने के लिए भी सरकार को रास्ते बनाने होंगे। इंडस्ट्री यूनिट लगानी होगी, पराली के इस्तेमाल के स्त्रोत बढ़ाने होंगे। इसके लिए सब्सिडी जैसी किसी योजना के तहत प्लान बनाकर किसानों तक पहुंचाने होंगे, ताकि इस पराली के दंश को जड़ से खत्म कर सकें। अब किसी फैक्ट्री के बाहर कोई सामान पड़ा हो तो तुरंत प्रदूषण या अन्य किसी कारण का नाम लेकर चालान काट दिया जाता है। ऐसे ही पराली को लेकर भी नियम सख्त होने चाहिए।

पहली जिम्मेदारी किसानों की : बिक्रम मल्होत्रा

इंडस्ट्रियलिस्ट बिक्रम मल्होत्रा उर्फ टोनी ने कहा कि पराली को लेकर सबसे पहले जिम्मेदारी किसानों की बनती है। किसानों को पता होता है कि पराली कैसे और कब इस्तेमाल की जा सकती है या फिर इसे नष्ट किया जा सकता है। किसान अपनी पहली जिम्मेदारी निभाए, जिसके बाद सरकार व अन्य वर्गों को अपना साथ जोड़ें। पराली जलाने से आम जनता ही नहीं बल्कि किसान खुद भी प्रभावित हो रहे हैं, इस बात को समझना होंगा तभी समस्या हल होगी।

अब नहीं जागेंगे तो बाद में संभलना मुश्किल होगा : दीपक

इंडस्ट्रियलिस्ट दीपक गुप्ता ने कहा कि अब तो पराली जलाने को लेकर लोग व किसान जागरूक होना शुरू हो चुके हैं, इसे पूरी तरह से अमल में लाना होगा। अब नहीं जागेंगे तो आने वाले समय में इसको संभालना मुश्किल हो जाएगा। इंडस्ट्रियलिस्ट्स अपने लेवल पर इस समस्या से निपटने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा चुके हैं, अब सरकार किसानों को साथ लेकर कोई मजबूत हल निकाले।

सभी का सहयोग जरूरी : सुनीत नंदा

इंडस्ट्रियलिस्ट सुनीत नंदा ने कहा कि वह सभी पदाधिकारियों के विचार से सहमत हैं। किसी भी बिजनेस या काम को करने से पहले यह सोचना होगा कि हम इंसान हैं। इंसान होने पर कुछ जिम्मेदारियों व जरूरतें हैं, जिसे पूरा करने के लिए स्वार्थ न लाएं। यह सोच जब सबके मन में होगी तो सभी लोग मिलकर पराली के दंश को खत्म करने के आगे बढ़ जाएंगे।


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