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बेटे-बहू व भतीजों की ठगी से आहत बजुर्ग ने वृद्ध आश्रम में की खुदकुशी

ताउम्र डाकघर में बतौर पोस्टमैन नौकरी कर रिटायरमेंट के बाद लाखों रुपये मिले और पुश्तैनी जमीन भी अच्छी खासी थी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 04:43 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 04:43 PM (IST)
बेटे-बहू व भतीजों की ठगी से आहत बजुर्ग ने वृद्ध आश्रम में की खुदकुशी

जागरण संवाददाता, पटियाला :

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तमाम उम्र डाकघर में बतौर पोस्टमैन नौकरी कर रिटायरमेंट के बाद लाखों रुपये मिले और पुश्तैनी जमीन भी अच्छी खासी थी। करोड़ों रुपये की प्रापर्टी व पैसा होने पर रिटायरमेंट तक खुद के परिवार व भतीजों ने सेवा की, लेकिन जैसे ही प्रापर्टी उनके पास पहुंची तो बुजुर्ग को घर से निकाल दिया। करीब तीन सालों तक गुरुद्वारा साहिब व सड़कों पर भटकने के बाद वृद्ध आश्रम पहुंचे, लेकिन यहां पर खुद को तन्हा पाने पर मानसिक परेशान हो गए। इस परेशानी के चलते 66 वर्षीय बुजुर्ग रत्न सिंह ने 27 जुलाई को फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली और पीछे दो सुसाइड छोड़े।

इन सुसाइड नोट के आधार पर थाना त्रिपड़ी की पुलिस ने मृतक के छोटे भाई हरमेश सिंह निवासी गांव धर्मगढ़ मोहाली की शिकायत पर मृतक के बेटे हरचरन सिंह, बहू मंजू रानी और पत्नी सुरजीत कौर निवासी गांव धर्मगढ़ मोहाली, भतीजे दविदर सिंह, रविदर सिंह और रविदर की मां सुनहरी देवी निवासी टिब्बा सिंह लुधियाना, प्रापर्टी डीलर बचित्तर सिंह निवासी गांव पत्तो जिला मोहाली, दविदर सिंह निवासी गांव बलटाना जिला मोहाली व जमीन खरीदने वाले करतार सिंह, इंदर कुमार निवासी जिला कुरूक्षेत्र हरियाणा पर केस दर्ज कर लिया है।

यह है पूरा मामला

घटना के अनुसार रत्न सिंह डाकखाना पटियाला से साल 2015 में बतौर पोस्टमैन रिटायर हुए थे। रिटायरमेंट के बाद घर जाने पर उनके साथ बहू व बेटे के अलावा पत्नी भी सही बर्ताव नहीं करती थी, जिस वजह से उन्हें घर से निकाल दिया। घर से बेघर होने पर वह कभी गुरुद्वारा साहिब तो कभी चौरा स्थित साईं वृद्ध आश्रम में रहते थे। इस दौरान उनके भतीजे रविदर सिंह व दविदर सिंह उन्हें सेवा करने के बहाने अपने पास ले गए, जहां पर धोखे से उनकी करीब चालीस लाख की प्रापर्टी व पैसा डीलर के साथ मिलकर हड़प लिए और घर से निकाल दिया। रत्न सिंह फिर से आश्रम पहुंच गए और अक्सर ही अपना पैसा वापस मांगने भतीजों के पास जाता तो उन्हें जलील किया जाने लगा। जून 2019 को रत्न सिंह को डीसी आफिस के जरिए रौंगला गांव स्थित वृद्ध आश्रम में भेज दिया था, जहां पर शुरूआत में वह काफी खुश व एक्टिव रहे। पिछले कुछ दिनों से वह जिदगी में सबकुछ खोने से परेशान चल रहे थे। 27 जुलाई को सुबह चाय पीने के लिए जब आश्रम के संचालकों ने दरवाजा खटखटाया तो दरवाजा नहीं खुला। इसके बाद प्रबंधकों कुंडी तोड़ कर देखा तो रत्न सिंह ने कपड़े का फंदा बनाकर खुदकुशी कर ली थी।

सात भाई व खुद के परिवार के बावजूद नहीं मिली खुशी

रत्न सिंह के परिवार में सात भाई थे, जिनमें से दो बड़े भाईयों की मौत मई व जून में हो गई थी। जुलाई में रत्न सिंह ने खुदकुशी कर ली। सात भाई और खुद का परिवार होने के बावजूद करोड़ों की प्रापर्टी ही रत्‍‌न सिंह की मौत का कारण बन गई। पैसे व प्रापर्टी के लिए हर रिश्तेदार ने रिटायरमेंट तक साथ दिया, लेकिन रिटायरमेंट के बाद घर से निकला तो आश्रम में सुध लेने तक नहीं पहुंचे।

कई बार काउंसलिग की थी : सरीन

आश्रम के संचालक लखविदर सरीन ने कहा कि उनके आश्रम में करीब 18 बुजुर्ग रह रहे हैं, इनमें से रत्न सिंह सबसे फिट व एक्टिव थे। आश्रम के बजुर्ग इंदर सिंह का नाम सुसाइड में नोट में लिखा है, जो खुद 70 साल के हैं। हो सकता है कि थोड़े मनमुटाव की वजह से सुसाइड नोट में नाम लिख दिया हो, लेकिन वह कसूरवार नहीं है। रही बात रत्न सिंह की तो उनकी काफी काउंसलिग की थी, लेकिन उन्होंने अपने ही परिवार से परेशान होकर यह कदम उठाया, जिसका उन्हें गहरा दुख भी पहुंचा है।


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