घग्गर नहर ने जमीन की प्यास के साथ तोड़ी किसानों की आस
छतबीड़ जू के पास बनाए गए घग्गर डैम से निकाली गई बनूड़ नहर में गेहूं के सीजन में एक बार भी किसानों को पानी नहीं मिला है।
जेएनएन, बनूड़ (पटियाला) : छतबीड़ जू के पास बनाए गए घग्गर डैम से निकाली गई बनूड़ नहर में गेहूं के सीजन में एक बार भी किसानों को पानी नहीं मिला है। घग्गर पर डैम बनाने के साथ-साथ नहर निकालने के लिए 145 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
धान के बाद किसानों ने गेहूं की फसल के लिए महंगे दाम पर डीजल फूंक कर खेतों को पानी से सींचा था। गांव बूटा सिंह के किसान हरपाल सिंह ने कहा कि किसानों को आस थी कि नहर से खेतों के लिए पानी मिल जाएगा, जिससे जहां बिजली बचेगी, वहीं डीजल पर खर्च भी बचेगा। लेकिन किसानों के हाथ निराशा ही लगी है। नहर से गेहूं की फसल के दौरान पहला पानी भी नहीं मिल रहा। पानी न मिलने के कारण किसान परेशान हो रहे हैं।
उद्घाटन के छह घंटों बाद ही टूट गई थी नहर
जुलाई में सांसद परनीत कौर ने छतबीड़ में नहर प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था। उद्घाटन के छह घंटे बाद ही नहर बनूड़ में टूट गई थी। जिससे नहर के मटीरियल पर प्रश्नचिन्ह लग गया था। बनूड़ नहर राजपुरा हलके के विधायक हरदयाल सिंह कंबोज का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस नहर से डेराबस्सी, घनौर और राजपुरा सब डिवीजनों के करीब 40 गांवों के किसानों की 50 हजार एकड़ जमीन को पानी उपलब्ध होना है।
सफेद हाथी बनी नहर
भारतीय किसान यूनियन मोहाली के प्रधान बलंवत सिंह नंडियाली ने कहा कि बनूड़ नहर सफेद हाथी साबित हो रही है। गेहूं की फसल को पहला पानी दिया जाना है, लेकिन नहर में पानी ही नहीं है। पुलियों का काम अधूरा है। नहर का काम भी पूरा नहीं किया गया है। जब नहर कंप्लीट ही नहीं है तो उद्घाटन करने की जल्दबाजी क्यों की गई।
कोट्स
फसल के लिए पानी लेट किया जाना सही नहीं
अक्टूबर-नवंबर महीने में गेहूं की फसल की बुआई की जाती है और 22 दिन बाद फसल को पहला पानी लगाना बहुत जरूरी है। फसल को पानी देने का यह सही समय है। वैसे स्थिति मौसम पर निर्भर करती है लेकिन पानी लेट करना सही नहीं है।
-जगदीप सिंह, ब्लॉक टैक्नोलॉजी मैनेजर, कृषि विभाग
लाइनिग जोड़ने का हो रहा काम
नहर पर करीब 60-65 पुल बनाए गए हैं। नहर की लाइनिग जोड़ने का काम किया जा रहा है। कई जगह पर फाउंडेशन गहरी है। इस वजह से नहर में पानी नहीं छोड़ा गया। काम जल्द पूरा हो जाएगा और नहर में पानी छोड़ दिया जाएगा।
-अवतार सिंह, एसडीओ, इरीगेशन एंव वॉटर रिसोर्स डिपार्टमेंट पंजाब।