किचन वेस्ट से खाद बनाने का ट्रायल असफल
पटियाला पटियाला किचन वेस्ट से खाद बनाने का ट्रायल पहले दिन सफल नहीं हो सका।
जागरण संवाददाता, पटियाला : किचन वेस्ट से खाद बनाने का ट्रायल पहले दिन सफल नहीं हो सका, स्टेटिक श्रेडर मशीन से नगर निगम दो महीने से ग्रीन वेस्ट की खाद बना रही है। बागबानी के वेस्ट से कम समय में खाद बनाकर नगर निगम ने बेहतर प्रदर्शन किया है। मॉडल टाउन स्थित पार्क नंबर 1 में चल रहे इस प्रोजेक्ट को सोमवार को उस समय दिक्कत का सामना करना पड़ा, जब किचन के वेस्ट को ये मशीन श्रेड (चूर करना) नहीं कर पाई। एक्सईएन दलीप कुमार ने कहा कि किचन वेस्ट में नमी के कारण मशीन काम नहीं कर पाई अब इस मशीन में सुधार को कहा गया है।
पार्क में फूलों को श्रेड (चूर करना) करके विड रोज (खाद को रखने की तकनीक) से खाद बनाई जा रही है। नगर निगम के एक्सईएन दिलीप कुमार ने बताया कि बागबानी वेस्ट से खाद्य बनाने का काम किया जा रहा है। एक दिन में मशीन से पांच से सात टन वेस्ट को श्रेड किया जाता है। सोमवार को मशीन के जरिए किचन वेस्ट (रसोई का कचरा) से खाद्य बनाने का ट्रायल किया गया, लेकिन इसमें कुछ खामियां पाई गई हैं। एक तो किचन वेस्ट पूरी तरह से सेग्रीगेट होकर नहीं पहुंचा था और दूसरा इसमें मौजूद नमी के कारण कचरा मशीन में ही चिपका रह जाता है। जिससे मशीन बार-बार चोक हो रही है। ट्रायल के दौरान मशीन बनाने वाले इंजीनियर भी मौजूद रहे।
यदि किचन वेस्ट से खाद बनने का काम इस मशीन से शुरू हो गया तो कचरे की समस्या का हल आसान हो जाएगा। इंजीनियर्स को मशीन में कुछ बदलाव कर फिर ट्रायल के लिए मशीन भेजने को कहा है। मशीन में 20 फुट की पट्टी लगाने को कहा गया है, ताकि किचन वेस्ट को श्रेड करने से पहले अच्छी तरह से सेग्रीगेट किया जा सके। मशीन में कचरा डालते वक्त किसी तरह का नुकसान न हो इसलिए इसे एक सुरक्षित रूप देने का सुझाव भी दिया गया है। इसके अलावा कचरे में मौजूद पत्थरों से मशीन चोक न हो इसका भी हल करने के लिए कहा गया है। निगम का वेल्थ फ्राम वेस्ट प्रोजेक्ट
एक्सईएन दिलीप कुमार ने कहा कि बागबानी कचरे से खाद्य बनाने के लिए कुछ समय पहले ही 1 लाख 85 हजार रुपये की यह स्टेटिक मशीन खरीदी गई है। रोजाना पांच से सात टन बागबानी कचरे से खाद्य बनाने का काम जारी है। हालांकि सर्दी और धूप कम होने की वजह से खाद बनने में समय लग रहा है, लेकिन निगम के पास अभी भी दो टन आर्गेनिक खाद पड़ी है। इस खाद्य को निगम पांच रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचती है। खाद बनाने के लिए श्रेड हुए कचरे में गोबर भी मिलाया गया है, ताकि नाइट्रोजन की मात्रा पूरी हो सके। आठ से 10 दिन बाद कंपोस्ट पिट्स को छांटा जाता है, ताकि इसमें मौजूद नमी खत्म हो सके।