SYL पर नोटिफिकेशन से किसान खुश, पटवारी के बुलावे का इंतजार
एसवाइएल के लिए अधिग्रहीत जमीन पंजाब कैबिनेट द्वारा डी नोटिफाई करने के फैसले से किसान खुश हैं। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें जमीन मिल जाएगी।
पटियाला (पंकज राय)। सतलुज-यमुना लिंक (एसवाइएल) नहर की जमीन किसानों को वापस देने के लिए पंजाब सरकार द्वारा किए गए डी-नोटिफाई के फैसले से पटियाला के 100 अधिक किसानों के परिवार गद्गद् हैं। अब इंतजार है कि पटवारी के बुलावे का, जब राजपुरा व घनौर के 46 गांवों की 1528 एकड़ अधिग्रहित की गई जमीन की मलकीयत किसानों को मुफ्त में वापस सौंपी जाएगी। इरीगेशन विभाग के सचिव काहन सिंह पन्नू द्वारा जमीन वापसी के नोटिफिकेशन जारी करने के बाद जिला प्रशासन नहर के लिए जमीन देने वाले किसानों की सूची बनाने में जुट गया है।
पंजाब सरकार ने पटियाला सहित चार जिलों से गुजरने वाली एसवाइएल के लिए 4824 किसानों से कुल 5314 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था, लेकिन पंजाब के पानी पर नई सियासत पनपने के बाद पंजाब सरकार ने किसानों को जमीन डी-नोटिफाई करने का एक बिल मार्च में विधानसभा से पारित किया था। पटियाला के अंतर्गत राजपुरा व घनौर के गांवों में एसवाईएल नहर के हिस्से को पाटने का भी काम शुरू हो गया था। लेकिन हरियाणा सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने पर स्टे लग गया था। इसी के बाद सरकार ने नहर के लिए जमीन देने वालों का सर्वे करवाया था।
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10 मार्च को मुख्य सचिव सर्वेश कौशल के निर्देश पर तत्कालीन एसडीएम राजपुरा द्वारा राजपुरा व घनौर के 46 गांवों के 100 से अधिक किसानों की सूची तैयार की गई थी, जिन्होंने 1528 एकड़ जमीन नहर के लिए दी थी। इसमें करीब 30 गांव घनौर के हैं, जबकि 16 गांव राजपुरा के हैं।
तैयार हो रही है किसानों की सूची : डीसी
डीसी रामबीर सिंह का कहना है कि जमीन वापस करने की नोटिफिकेशन जारी होने के बाद मार्च में हुए सर्वे के आधार पर किसानों की सूची तैयार की जा रही है। सर्वे में बताया गया है कि किस गांव के किस किसान की कितनी जमीन अधिग्रहण की गई थी, जिसे वापस करनी है।
पटवारी करेंगे किसानों के नाम इंतकाल : एसडीएम
राजपुरा के एसडीएम हरप्रीत सिंह सूदन का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर किसानों को जमीन वापस देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसमें पटवारी गांव जाकर किसानों से सपंर्क करने के साथ ही उनकी मलकीयत की पड़ताल भी करेंगे और फिर नोटिफिकेशन को आधार बनाकर किसानों के नाम पर जमीन का इंतकाल करवाकर उन्हें मलकीयत वापस सौंपी जाएगी।
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