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बुजुर्गो ने पौधारोपण कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश

बुजुर्गो के लिए कार्य करने वाली संस्था हेल्पेज इंडिया ने वृद्ध आश्रम गांव रोगला में विश्व शांति दिवस (व‌र्ल्ड पीस डे) पर कार्यक्रम करवाया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 11:13 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 11:13 PM (IST)
बुजुर्गो ने पौधारोपण कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश

जेएनएन, पटियाला : बुजुर्गो के लिए कार्य करने वाली संस्था हेल्पेज इंडिया ने वृद्ध आश्रम गांव रोगला में विश्व शांति दिवस (व‌र्ल्ड पीस डे) पर कार्यक्रम करवाया। जिसमें संस्था के बुजुर्गो और स्टाफ ने पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। वृद्ध आश्रम के प्रबंधक सरीन लखविदर ने बताया के विश्व शांति दिवस हर साल 21 सितंबर को मनाया जाता है, इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य अंतराष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों और नागरिकों के बीच शांति व्यवस्था कायम करना हे। इसके लिए प्रयास करना और अंतरराष्ट्रीय संघर्ष और झगड़ों पर विराम लगाना है। शांति का संदेश दुनिया भर में पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कला, साहित्य, सिनेमा, संगीत और खेल जगत की विश्वविख्यात हस्तियों को शांतिदूत भी नियुक्त किया है। इस वर्ष इसका थीम Þकलाइमेट एक्शन फॉर पीसÞ है, इस थीम के जरिए दुनिया भर के लोगों को ये संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि शांति बनाए रखने के लिए जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करना सबसे जरूरी है। जलवायु में हो रहा परिवर्तन विश्व की शांति और सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक है।

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उन्होंने बताया के हमें जानना चाहिए के विश्व शांति दिवस मनाने की शुरुआत कैसे हुई क्यों के युवाओं को पता होना चाहिए, दुनिया के तमाम देशों और लोगों के बीच शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने साल 1981 में विश्व शांति दिवस मनाने की घोषणा की। जिसके बाद पहली बार 1982 में विश्व शांति दिवस मनाया गया जिसकी थीम 'राइट टू पीस ऑफ पीपल' रखी गई। 1982 से लेकर 2001 तक सितंबर माह के तीसरे मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस या विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया जाता था। लेकिन 2002 से इसके लिए 21 सितंबर की तरीख निर्धारित कर दी गई।

2002 से यह दिवस हर साल 21 सितंबर को मनाया जाता है, सफेद कबूतर को शांति का दूत माना जाता है, विश्व शांति दिवस पर सफेद कबूतरों को उड़ाकर शांति का संदेश दिया जाता है।

इस अवसर पर माता अमरजीत कौर, डॉ नवनीत कौर, डॉ. प्रियंका वाधवा, सुनील कुमार, दूनी कुमार के इलावा रक्षा रानी, मंजीत कौर, मोहन लाल, ठाकुर दास और यादविदर सिंह उपस्थित थे।


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