बदलाव पसंद है हलका शुतराणा, उम्मीदवारों की टिकी नजरें
लोकसभा हलका पटियाला का विधानसभा हलका शुतराणा बदलाव पसंद करता है। इसने जहां कई मतदान में प्रमुख राजनैतिक पक्षों का समीकरण बिगाड़ा है वहीं नई पार्टियों के उम्मीदवारों को दिल खोल कर वोटों भी भुगताईं हैं।
दीपक मौदगिल, पटियाला
लोकसभा हलका पटियाला का विधानसभा हलका शुतराणा बदलाव पसंद करता है। इसने जहां कई मतदान में प्रमुख राजनैतिक पक्षों का समीकरण बिगाड़ा है, वहीं नई पार्टियों के उम्मीदवारों को दिल खोल कर वोटों भी भुगताईं हैं। लोकसभा चुनाव में भी सभी राजनैतिक पक्षों के उम्मीदवारों की नजर विधानसभा हलका शुतराणा पर ही टिकी हुई हैं। इस हलके के वोटरों को अपने तरफ खींचने वाले उम्मीदवार की जीत का रास्ता कुछ आसान माना जा सकता है।
हलके में दो बड़े शहर और 4 बड़े गांव
पिछले मतदान पर गौर करें तो विधानसभा हलका शुतराणा के वोटरों ने हमेशा ही तीसरे पक्ष को मौका देते बदलाव लाने की कोशिश की है। हलके में दो बड़े शहर पातड़ां, घग्गा और 4 बड़े गांव ककराला, गुलाहड़, शुतराणा और कुलारां पड़ते हैं। इनमें से गुलाहड़ और शुतराणा में एससी भाईचारे की सबसे अधिक वोट होती है। शहरी वोटरों का झुकाव जहां कांग्रेस पार्टी की तरफ रहता है वहीं अधिकतर ग्रामीण वोट विरोधी या फिर नए पक्ष को देने में रूचि रखते हैं। शिरोमणि अकाली दल से टूट कर साल 2012 में मनप्रीत बादल की तरफ से पीप्लज पार्टी ऑफ पंजाब को अस्तित्व में लाया गया। हैरानी वाली बात है कि विधानसभा हलका शुतराणा में इस पार्टी के उम्मीदवार को पूरे लोकसभा हलके में अधिक वोटों पड़ीं थीं। इतना ही नहीं पिछले लोकसभा चुनाव में इस हलके के वोटरों ने अस्तित्व में नई आई आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट भुगताए थे।
साल 2014 में हुई लोकसभा मतदान में आम आदमी पार्टी नए पक्ष के तौर पर सामने आई। जिसके उम्मीदवार डॉ. धर्मवीर गांधी को हलका शुतराणा में से सबसे अधिक 39587 मिले जबकि शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के साझा उम्मीदवार दीपइंदर सिंह ढिल्लों 35401 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे। कांग्रेस की उम्मीदवार परनीत कौर को 33660 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा। इस मतदान में कांग्रेस की हार को हलका शुतराणा में सबसे कम वोट पड़ना माना गया।
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