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चिल्ड्रन साइंस कान्फ्रेंस में 69 प्राइवेट और सरकारी स्कूलों की टीमों को पछाड़ सरकारी सेकंडरी स्कूल बारन ने नेशनल में जगह बनाई

पंजाब स्टेट काउंसिल आफ साइंस एंड टेक्नोलोजी की तरफ से आयोजित चिल्ड्रन साइंस कान्फ्रेंस में राज्य भर की 69 प्राइवेट और सरकारी स्कूलों की टीमों ने भाग लिया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 12:09 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 12:09 AM (IST)
चिल्ड्रन साइंस कान्फ्रेंस में 69 प्राइवेट और सरकारी स्कूलों की टीमों को पछाड़ सरकारी सेकंडरी स्कूल बारन ने नेशनल में जगह बनाई
चिल्ड्रन साइंस कान्फ्रेंस में 69 प्राइवेट और सरकारी स्कूलों की टीमों को पछाड़ सरकारी सेकंडरी स्कूल बारन ने नेशनल में जगह बनाई

जागरण संवाददाता, पटियाला : पंजाब स्टेट काउंसिल आफ साइंस एंड टेक्नोलोजी की तरफ से आयोजित चिल्ड्रन साइंस कान्फ्रेंस में राज्य भर की 69 प्राइवेट और सरकारी स्कूलों की टीमों ने भाग लिया। इसमें सरकारी सीनियर सेकंडरी स्कूल बारन की जूनियर विग टीम ने नेशनल के लिए क्वालिफाई कर लिया है। बच्चों के प्रोजेक्ट का टॉपिक था फॉलन लीवस, गार्डनस गोल्ड। इसके तहत बच्चों ने पेड़ पौधों से गिरे पत्तों को जलाने की बजाए इसका सही उपयोग करने बारे जागरूक किया, वहीं इसे बिजनेस के लिए इस्तेमाल करने संबंधी भी जानकारी। यही बस नहीं स्टूडेंट्स ने नेशनल के लिए तैयारी शुरू करने के साथ-साथ अगले प्रोजेक्ट प्लांट लैदर पर भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है।

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प्रोजेक्ट गाइड वंदना चोपड़ा ने बताया कि इन पत्तों से कंपोस्ट, विजिटिग कार्ड शीट्स, साबुन और स्क्रब तैयार करके स्कूल स्टूडेंट अंजू और फिजा ने यह मुकाम हासिल किया है।

स्टूडेंट अंजू ने बताया कि लाकडाउन के बाद जब वह स्कूल आए तो देखा कि ग्राउंड और पार्क में हर जगह पत्ते बिखरे हुए थे, जिन्हें माली जलाने के लिए इक्ट्ठा कर रहा था। जैसे ही माली ने पत्ते इकट्ठे कर जलाए तो सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई। उसी समय मन में विचार आया कि क्यों ना इन पत्ते का सही उपयोग करके इन्हें पर्यावरण के लिए फायदेमंद बनाया जाए। इस संबंधी प्रोजेक्ट लीडर और साइंस अध्यापिका वंदना चोपड़ा से डिस्कस किया तो उन्होंने इन पत्तों से कंपोस्ट, विजिटिग कार्ड शीट्स, साबुन और स्क्रब तैयार करने का सुझाव दिया। पहले खुद कुछ दिन पत्ते इक्ट्ठे करके घर में बनाई पिट में इन्हें इक्ट्ठा करके खाद बनाना शुरू किया और जब रिस्पांस अच्छा मिला तो अन्य स्टूडेंट्स के सहयोग से बड़ी पिट बनाकर उसमें पत्तों से खाद तैयार करना शुरू कर दिया। ज्यादा पत्ते इक्ट्ठा होने पर अन्य सामान बनाना भी शुरू कर दिया।

प्लांट लेदर संबंधित रिसर्च पर करेंगे काम

साइंस अध्यापिका वंदना चोपड़ा ने बताया कि बच्चों की इस उपलब्धि से वह काफी खुश हैं और अब स्टूडेंट्स के साथ मिलकर प्लांट लैदर पर रिसर्च की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि लैदर बनाने के लिए जहां जानवरों की हत्या होती है, ऐसे में प्लांट लैदर नेचर को संभालने की दिशा में उन्होंने कदम बढ़ाने के बारे में सोचा है।


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