अहंकार व्यक्ति के ऊपर बैठता है: स्वामी हरिचेतनानंद
श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन शनिवार को व्यासपीठ से स्वामी हरिचेतनानंद हरिद्वार वालों ने कहा कि अहंकार सबसे ऊपर बैठता है।
जेएनएन, नाभा, पटियाला : श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन शनिवार को व्यासपीठ से स्वामी हरिचेतनानंद हरिद्वार वालों ने कहा कि अहंकार सबसे ऊपर बैठता है। स्वामी ने रुकमणि मंगल की रोचक कथा में कहा की श्री कृष्ण ने रुकमणि की शिशुपाल से रक्षा की। आर्य नारी का सम्मान किया, नारी नारायणी है। कन्या धन श्रेष्ठ धन है। आज देश में बेटी को गर्भ में नष्ट किया जा रहा है और यह सबसे बड़ा अपराध है। रुकमणि मंगल तभी हो सकता है जब कन्या की रक्षा का संकल्प लेंगे। अहंकारी व्यक्ति अपने को सबसे श्रेष्ठ मानता है। कंस, जरासंध को यही रोग था, यही दोष था। समुद्र का फन बहुत हल्का होता है पर समुद्र के ऊपर बैठता है, जल के ऊपर तैरता है नीचे नहीं जाता। उसी प्रकार अहंकार भी व्यक्ति के ऊपर बैठता है और सामने वाले का सबसे छोटा समझता है, यही भूल कंस ने की और भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध किया। उस काल में गलत लोगों के संगठन बने थे, आज समाज में अच्छा वातावरण बनाने की आवश्यकता है। समाज का संगठन राष्ट्र को मजबूत करता है। इस मौके पर मंडल के अशोक जिदिया, अशोक जिदल काला, सुभाष गर्ग, सुशील जैन, पवन कुमार, साधुराम शर्मा, राजिदर जिदल, नरिदर कुमार समेत कई श्रद्धालु उपस्थित रहे।