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पटियाला के 28 गांवों में प्राकृति खेती की अलख जगा रही महिलाएं

जिले के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुने 33 गांवों में से 28 में किसान और पशु सखियां योगदान डाल रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jul 2019 11:35 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 06:33 AM (IST)
पटियाला के 28 गांवों में प्राकृति खेती की अलख जगा रही महिलाएं
पटियाला के 28 गांवों में प्राकृति खेती की अलख जगा रही महिलाएं

जागरण संवाददाता पटियाला

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किसानों को कम लागत पर अधिक मुनाफे वाली कुदरती खेती करने की तरफ प्रेरित करने लिए पंजाब सरकार की तरफ से शुरू किए मिशन तंदरुस्त पंजाब के अंतर्गत पंजाब राज्य देहाती आजीविका मिशन अधीन पटियाला जिले के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुने 33 गांवों में से 28 में किसान और पशु सखियां कुदरती खेती को प्रफुल्लित करने में योगदान डाल रही हैं। हरी क्रांति आने के बाद चाहे पंजाब में फसली पैदावार में तो विस्तार हुआ परंतु इस बदले बिना परखे मिट्टी में कीट नाशक, खाद सहित जरूरत से और अधिक पानी और यूरिया आदि की उपभोग करने के कारण खेती उत्पादों की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई। जिस कारण पंजाब में पैदा हुए अनाज की मांग बढ़ने की जगह वर्तमान समय में घट रही है। इसलिए पंजाब सरकार ने मुख्यमंत्री कै. अमरिदर के नेतृत्व में राज्य में पंजाब राज्य देहाती आजीविका मिशन के अंतर्गत कुदरती खेती को उत्साहित करने के लिए पायलट प्राजैक्ट के तौर पर राज्य के चार जिलों को चुना है, जिन में जिला पटियाला भी शामिल है। यह जानकारी देते डिप्टी कमिशनर कुमार अमित ने बताया कि कुदरती खेती का उद्देश्य खादें और कीटनाशक कुदरती तौर पर तैयार करके उसकी जरूरत पड़ने पर ही प्रयोग करना, मिट्टी की गुणवत्ता बरकरार रखना और कीटनाशक, जरूरत से अधिक यूरिया और सिचाई को घटाना है। इसके इलावा सहायक और दुश्मन कीट व रोगों की पहचान, फसलों में वृद्धि के लिए नई तकनीकों का प्रयोग करके कम खर्च पर अधिक मुनाफा कमाने और फसलों के बीज तैयार करने आदि बारे जानकारी देना है।

कुमार अमित ने बताया कि इस काम की शुरुआत मध्य प्रदेश से आई खेती माहिरों की टीम ने जिले के 33 गांवों में करवाई थी। इन माहिरों ने मूलभूत तौर पर महिला किसानों को कुदरती खेती के बारे और कम लागत के साथ और ज्यादा लाभ कमाने सहित सेहतमंद जिदगी जीने के बारे बताया और अब सनौर ब्लॉक के 17 और पटियाला ब्लॉक के 9 गांवों में काम हो रहा है। इन गांवों में एक -एक किसान और एक-एक पशु सखियों का चयन किया गया है, जिनको प्राथमिक प्रशिक्षण आजीविका मिशन के तहत ही नेहरू युवा केंद्र में भी करवाई गई है। डिप्टी कमिशनर ने बताया कि इन सखियों की तरफ से अपने गांववासियों के घरों और खेत में छोटे -छोटे किचन गार्डन बनाए जा रहे हैं जिससे लोग बिना केमिकल से उगाईं कुदरती सब्जियां अपने घरों में इस्तेमाल कर सकें और साथ ही अतिरिक्त पैदावार को अच्छे रेट पर बेच भी सकें।

इसी दौरान अतिरिक्त डिप्टी कमिशनर (विकास) पूनमदीप कौर ने बताया कि इन किसान सखियों को मिट्टी और पानी की सेहत संभाल के तरीके भी सिखाए जाते हैं जिससे वातावरण की सुरक्षा को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब के गांवों में घर -घर पशु पाले जाते हैं परंतु यह क्षेत्र भी कैमीकलो से खाली नहीं रहा इस लिए पशुओं की सेहत संभाल भी कुदरती तरीको साथ करने और इनसे दूध की अधिकुपैदावार लेने के प्रयास करनें के लिए इस पायलट प्रोजैक्ट के अंतर्गत 33 पशु सखियों की भी चुनाव किया गया है। पूनमदीप कौर ने बताया कि इसी प्राजैकट के अंतर्गत जिले में 330 न्यूट्रीशियन गार्डन, 180 कम्पोस्ट पिट, 350 बाओ पेस्टीसाइड जिसमें नीम, अग्नि और ब्रह्म अस्त्र शामिल हैं सहित 30 किसान कृषि पाठशालाएं, 225 मिट्टी परख सेंपल और 825 महिला किसानों को ट्रेनिग करवाई जा चुकी है।


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