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छह महीनों में पठानकोट को प्रदेश के सुंदर शहरों में शुमार करवाना लक्ष्य

कुछ समय पहले तक शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर लोगों के मन में निगम के प्रति नकारात्मक सोच बन चुकी थी लेकिन पिछले दस महीनों के भीतर ही जहां लोग भी अपनी जिम्मेदारी समझने लगे हैं वहीं निगम के कामकाज में भी काफी ज्यादा फर्क आ गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 10:13 PM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 10:13 PM (IST)
छह महीनों में पठानकोट को प्रदेश के सुंदर शहरों में शुमार करवाना लक्ष्य

विनोद कुमार, पठानकोट

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कुछ समय पहले तक शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर लोगों के मन में निगम के प्रति नकारात्मक सोच बन चुकी थी, लेकिन पिछले दस महीनों के भीतर ही जहां लोग भी अपनी जिम्मेदारी समझने लगे हैं, वहीं निगम के कामकाज में भी काफी ज्यादा फर्क आ गया है। अब शहर में खुले में गंदगी नहीं दिखाई देती और उसका समाधान भी सही तरीके से हो रहा है। इतना ही नहीं लोगों से मिल रहे गीले कूड़े से निगम खाद बना रहा है। पिछले दस महीनों के भीतर यहां शहर के डंपिग स्थलों को पार्कों में बदलने का काम किया गया है, वहीं 100 से अधिक कंपोस्टिग पिट्स बनाकर गीले व सूखे कूड़े का समाधान भी करवाया गया है। यह सब संभव करके दिखाया है जिले के एडीसी कम निगम के एडिशनल कमिश्नर सुरेंद्र सिंह (पीसीएस) ने। उनका दावा है कि अब पठानकोट में कूड़े की समस्या के कारण लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले छह महीनों के भीतर शहर को जीरो वेस्ट बनाकर पठानकोट को प्रदेश के सुंदर शहरों में शुमार करवाना उनका लक्ष्य है। सरना में एमआरएफ तैयार, सात और बनाए जाएंगे

एडीसी सुरेंद्र सिंह बताते हैं कि चार महीने पहले सरना में एमआरएफ (मल्टी रिकवरी फेसिलिटी) बनाने के का काम शुरू करवाया था। इसके तहत जहां से कूड़ा निकलता है उसका वहीं पर समाधान किया जाएगा। अगले महीने से एमआरएफ शुरू हो जाएगा और रोजाना सात टन गीले कूड़े को कंपोस्ट पिट्स के जरिये सात दिनों में खाद में बदला जाएगा, जो कि किसान इस्तेमाल करेंगे। इसके बाद निगम अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए प्रत्येक माह टनों के हिसाब से निकलने वाली खाद को बेचकर पैसे कमाएगा। जबकि, सूखे कूड़े को डेयरीवाल स्थित डंपिग स्थल पर वेलिग मशीन से नष्ट कर उसे आगे तारकोल व सीमेंट बनाने वाली फेक्ट्रियों को बेचा जाएगा।

प्रतिदिन 100 किलोग कूढ़ा पैदा करने वाली संस्थाओं से बनवाई है पिट्स

एडीसी ने बताया कि पिछले वर्ष चार्ज लेने के बाद उन्होंने कूड़े के समाधान पर जोर दिया। प्रतिदिन जिस संस्थान से 100 किलो कूड़ा निकलता है उन्हें अपनी कंपोस्टिग पिट्स बनाने के लिए कहा गया ताकि जहां से कूड़ा निकले उसका वहीं पर समाधान हो जाए। शहर के लगभग सभी होटल व रेस्टोरेंट मालिक अब अपने संस्थान में कंपोस्टिग पिट्स बनाकर कूड़ा खत्म कर रहे हैं। इससे निगम के कर्मचारियों का काम भी कम हो गया। इसके इलावा सरकारी कार्यालयों में करीब 100 कंपोस्टिग पिट्स तैयार करवाई गई हैं। अब तक इन पिट्स से 35 टन से अधिक कूड़े से खाद तैयार कर जिला प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा किसानों व पार्षदों को निशुल्क वितिरत कर उन्हें भी कंपोस्टिग पिट्स बनाने के लिए अपील की जा रही है। घर से की शुरुआत, खुद तैयार कर रहे खाद

एडीसी सुरेंद्र सिंह ने अपने सरकारी आवास में बकायदा कंपोस्टिग पिट बनाई है। वहां वे खुद गीले कूड़े को डालते हैं और निर्धारित 40 से 50 दिनों बाद उससे खाद तैयार कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिनके पास जगह नहीं है वह अपने घरों में पीपे रखकर गीले कूड़े से खाद तैयार कर सकते हैं। छतों पर मिट्टी डालकर तथा गमलों व पुरानी बोतलों में पौधे वगैरह लगाकर वातावरण को शुद्ध बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं।

प्रयास रंग लाने लगा है

एडीसी सुरेंद्र सिंह का कहना है कि आठ महीनों के दौरान किया गया प्रयास अब मेहनत लाने लगा है। निगम कर्मचारियों के साथ-साथ अब लोग भी अपनी जिम्मेवारी समझने लगे हैं। पहले शहर में डोर-टू-डोर लिफ्टिग नहीं होती थी। अब सारे पचास के पचास वार्डों में डोर टू डोर लिफ्टिग के साथ-साथ एमआरएफ व कंपोस्टिग पिट्स के जरिए कूड़े का समाधान किया जा रहा है। अब सारा ध्यान वैक्सीनेशन पर

वहीं कोरोना के बारे में बताचीत करते हुए एडीसी सुरेंद्र सिंह ने कहा कि कोरोना संकट फिर से गहरा गया है। ऐसे में सरकार का सारा ध्यान लोगों को सुरक्षित कैसे रखा जाए पर केंद्रित है। सभी जिलावासियों की वैक्सीनेशन हो जाए इसके लिए जिले की एनजीओ, धार्मिक संस्थाओं के साथ-साथ जनता के प्रतिनिधियों के साथ मिल कर कैंप लगाए जा रहे हैं। अब तक जिले में 1 लाख 8 हजार लोगों की वैक्सीन हो चुकी है। उम्मीद है कि अगले दो से तीन महीनों में यह आंकड़ा तीन लाख के पार कर जाएगा। उन्होंने अपील की कि सभी लोग वैक्सीन जरूर लगवाएं।


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