जड़ी बुटियों को अब एमएसपी पर खरीद करेगी राजस्थान की कंपनी
अर्ध पहाड़ी क्षेत्र के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वन विभाग व सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
संवाद सहयोगी, पठानकोट : अर्ध पहाड़ी क्षेत्र के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वन विभाग व सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब धार क्षेत्र में उगाई जा रही जड़ी बुटियों को एमएसपी पर बेचा जाएगा। इससे किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिलेगा। वन विभाग इसमें सहयोग करेगा। इसके तहत आंवला, अर्जुन, सुहाजन, बासुरी व गलोय को राजस्थान की विनायक हर्बल कंपनी को बेचा जाएगा। इस कंपनी ने किसानों के साथ संपर्क कर संधि की है।
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वन विभाग ने तीन शेड बनाए
वन विभाग की ओर से 43 लाख रुपये की राशि से धार में तीन शेड बनाए हैं। इन शेडों में आसपास के क्षेत्र के हर्बल जड़ी बुटियों को एकत्रित किया जाएगा। इसी जगह से विनायक हर्बल कंपनी अपनी गाड़ियों में माल को लोड करके ले जाएगी। इसके एवज में किसानों को उनके माल की समय रहते कीमत भी अदा हो जाएगी।
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शोषण से बच सकेंगे किसान
वन विभाग की ओर से शुरू किए गए इस प्रयास के बाद निर्धन परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत होने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही मंडीकरण में खरीदार कंपनियों के शोषण से भी उनका बचाव हो पाएगा। विभागीय अधिकारियों ने इस योजना के तहत सेल्फ हेल्प ग्रुपों में कंडी क्षेत्र के उन ग्रामीणों को भी साथ लिया है, जोकि अपने खेतों में मेडीकल प्लांट की प्रजातियों को उगाकर आगे इनका मंडीकरण करते हैं। अधिकारियों की माने तो अकसर ही ये लोग जब तैयार की गई वस्तुओं को बेचने मार्केट लाते हैं तो खरीदार कंपनियां अकसर ही इनकी गुणवत्ता व पैंकिग से लेकर अन्य त्रुटियां निकाल इस सामान को अत्यंत सस्ते दामों पर खरीद उनका शोषण करते हैं। अब इन वस्तुओं को तैयार करने के बाद इनके मंडीकरण की जिम्मेवारी विभाग अधिकारियों की होंगी। वन अधिकारियों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के तहत एक बड़ा कारण पर्यावरण संरक्षण के लिये लोगों को जागरूक करना, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले इन लोगों को मार्केट में होने वाले शोषण से बचाना तथा आर्थिक रूप से मजबूत बनाना भी है।
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औषधीय पौधों पर ध्यान केंद्रित करेगा विभाग : डीएफओ
वन विभाग की ओर से इस साल धार व दुनेरा क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता देते हुए औषधीय पौधों व लोकल पौधों पर खास ध्यान केंद्रित किए जाने की योजना बनाई है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में आंवला, अर्जुन, सुहाजन, बासुरी, गलोय इत्यादि प्रजातियां को अधिक तरजीह दी जा रही है। इन्हें अधिक से अधिक मात्रा में लगाया जाएगा, ताकि लोग आर्थिक रुप से मजबूत हो सकें।