हादसे के बाद भी नहीं जागा रेल प्रशासन, शहर में ट्रैक के किनारे लगीं दुकानें
शुक्रवार को अमृतसर रेल हादसे के बावजूद भी पठानकोट में न तो रेल प्रशासन जागा ओर न ही दुकानदार रेलवे लाइन के पास समान लगाने से बाज आए।
जागरण संवाददाता, पठानकोट
शुक्रवार को अमृतसर रेल हादसे के बावजूद भी पठानकोट में न तो रेल प्रशासन जागा ओर न ही दुकानदार रेलवे लाइन के पास समान लगाने से बाज आए। सिटी रेलवे स्टेशन के रेलवे यार्ड से चक्की क्वारी को जाने वाले ट्रैक के पास शनिवार को भी दुकानदारों ने बिना किसी खौफ के ट्रैक के पास समान लगाया, वहीं रिहायशी एरिया में बच्चे ट्रैक पर खेलते देखे गए। यही नहीं रिहायशी एरिया में लोगों ने ट्रैक के पास ही अपने वाहन खड़े कर रखे थे। ऐसे में अगर वहां से ट्रेन गुजरती है तो लोगों के लिए भारी परेशानी पैदा हो जाती। अगर हादसा घटित हो जाता है किसकी जिम्मेदारी तय होगी जो अपने आप में कई तरह के सवाल खड़े कर देती है।
काबिलेगौर हो कि बीते शुक्रवार को अमृतसर में दशहरा देख रहे 50 से अधिक लोगों की ट्रेन के नीचे आने से मौत हो गई थी। हादसा के वक्त लोग रेलवे लाइन के पास दशहरा देख रहे थे जो रेलवे नियमों के तहत उल्लंघना है। लेकिन, वहां सैकड़ों की तादाद में लोग रेलवे लाइन के पास दशहरा देख रहे थे जिन्हें कंट्रोल करने के लिए वहां तैनात पुलिस कर्मियों का कोई कंट्रोल नहीं था। अगर समय रहते सुरक्षा के इंतजाम होते तो शायद यह हादसा घटित न हो पाता।
घटना के बाद शनिवार को जागरण प्रतिनिध ने शहर के बीचो-बीच गुजरने वाली ब्राडगेज के किनारे लगने वाली दुकानों व रिहायशी एरिया को चैक किया तो देखा कि रुटीन की तरह आज भी दुकानदारों ने लाइन के पास समान सजाया हुआ था। कई स्थानों पर तो दुकानदारों ने दुकान के बीच ही सामन लगाया हुआ था जो हादसों को न्यौता दे रहा है। मजेदार बात यह है कि शहर के सबसे व्यस्त पीर बाबा चौक के पास लाइन के किनारे स्टाल लगाकर काम कर रहे लोगों ने अपने वाहन पार्क किए हुए थे। वाहनों के पास ही पुलिस कर्मियों ने नाका लगाया हुआ था जिन्होंने लोगों को वाहन अन्य स्थान पर पार्क करने तक की बात नहीं कही। ऐसे में अगर वहां ट्रेन आ जाती तो उसे मजबूरी में रुकना पड़ता। अगर ड्राइवर थोड़ा स्पीड में हो तो वाहनों के साथ-साथ वहां से गुजरने वाले लोग भी उसकी चपेट में आ सकते हैं। इतनी बड़ी घटना के बावजूद भी शनिवार को न तो आरपीएफ ने लाइन के पास समान लगाने वालों पर कोई कार्रवाई की ओर न ही जीआरपी ने ऐसी कोई जहमत उठाई। आरपीएफ व जीआरपी की ढीली कार्यप्रणाली का लाभ उठाते हुए ही दुकानदार बिना किसी खौफ के अपना समान लाइन के पास लगाते हैं। रिहायशी एरिया मोहल्ला प्रीतनगर में भी बच्चे व बड़े बुजुर्ग ट्रैक के पास खेलते देखे गए। मोहल्ला प्रीतनगर स्थित शनिदेव मंदिर के पास तो दुकानदार की ओर से ट्रैक को ही पार्किंग एरिया बनाया हुआ है। दुकान पर समान लेने व देने आए लोग बिना किसी बात के ट्रैक पर ही वाहन खड़े कर रहे थे। प्रतिनिधि ने वहां पर लोगों से बात की तो उनका कहना था कि कोई फर्क नहीं है जब ट्रेन आती है तो उन्हें पता चल जाता है। लेकिन, ट्रेन आने पर पता न चलने की सूरत में हादसा घटित होता है तो इसका जिम्मेवार कौन होगा पर पूछने के बाद लोग तसल्लीबख्श जबाब नहीं दे पाए।
आरपीएफ के जवान रखेंगे नजर : सतनाम ¨सह
उधर, इस संदर्भ में जब आरपीएफ सिटी के पोस्ट कमांडर इंस्पेक्टर सतनाम ¨सह से बात की तो उनका कहना था कि वह आज वह अमृतसर रेल हादसे में व्यस्त हैं जिस कारण वह सभी प्वाइंट चेक नहीं कर पाए। उन्होंने बताया कि पठानकोट के ढाकी रोड व प्रीतनगर रिहायशी एरिया से ब्राडगेज ट्रैक पर कभी-कभार ट्रेन गुजरती है। ट्रेन के आगे-आगे रेलवे कर्मी रहता है ताकि कोई हादसा घटित न हो। लेकिन, बावजूद इसके आगे से जब भी उक्त ट्रेन गुजरेगी उसके साथ आरपीएफ के जवान को भी सुरक्षा के नजरिए से साथ भेजा जाएगा। जवान रास्ते को क्लीयर करवाएगा ओर इस बात को यकीनी बनाएगा कि ट्रैक के आगे कोई न आए।