आस्था का केंद्र है माता वैष्णो देवी मंदिर
यह मंदिर नानकशाही ईटों से बना है जो करीब चार सौ साल पुराना है। यहां पर दो शिवलिग हैं। इसकी पुरातनता को और मजबूत करते समीप लगे पुराने पीपल बर्गद के वृक्ष है। वहीं साथ सटे प्राचीन तलाब व खूह इसकी ऐतिहासिकता का साक्ष्य हैं।
संवाद सहयोगी, घरोटा: घरोटा का प्राचीन बाबा नागा मंदिर का अपना अलग पुरातन इतिहास है। माता वैष्णो देवी का मंदिर है जो लोगों की आस्था का केंद्र है। वही अनेकों दंत कथाएं भी इस से जुडी हुई है। वहीं अनेकों देवी देवताओं की मूर्तियां व मंदिर भक्तों को अपनी और आकर्षित करते हैं। लोग सुबह सायंकाल मंदिर में पूजा अर्चना व आशीर्वाद को आते है। वही करीब चार सौ साल पुराना तालाब तथा पीपल, बर्गद के वृक्ष इसकी सुंदरता को बढ़ाते हैं। इतिहास: नानक शाही ईटों से बना है मंदिर
यह मंदिर नानकशाही ईटों से बना है, जो करीब चार सौ साल पुराना है। यहां पर दो शिवलिग हैं। इसकी पुरातनता को और मजबूत करते समीप लगे पुराने पीपल, बर्गद के वृक्ष है। वहीं साथ सटे प्राचीन तलाब व खूह इसकी ऐतिहासिकता का साक्ष्य हैं। आजादी के उपरांत बाबा ज्ञानगिरी की ओर से इस स्थान की संभाल व यहां उपासना की जाती थी। उन्होंने इस स्थान के उत्थान करने के अतिरिक्त मेले के आयोजन शुरू किए। उनकी समाधि भी मंदिर परिसर में ही स्थित है। वही भगवान गणेश जी, संकटमोचन हनुमान जी के प्रतिमाओं के अतिरिक्त माता वैष्णो देवी का मंदिर लोगों को अपनी आकर्षित करता है। यहां पर लोग अपनी धार्मिक रस्में पूरी करते हैं। नवरात्र में रहती है भक्तों की भीड़
वैसे तो प्राचीन बाबा नागा मंदिर में निर्जला एकादशी के दिन मेला का आयोजन होता है। उस दिन हवन यज्ञ, महामाई जागरण, भंडारा, खेल मेला भी आयोजित होता है। वहीं नवरात्रों में भी मां वैष्णों देवी मंदिर में सुबह सांयकाल भक्तों की भीड़ होती है। लोग मां की पूजा अर्चणा करके आशीर्वाद प्राप्त करते है। हर रोज माता के भजनों से यहां रौनक लगी रहती है।