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आरक्षण ने सरपंच बनने के सपनों पर फेरा पानी

लंबे इंतजार के बाद पंजाब सरकार ने पंजाब में पंचायत चुनाव करवाने की तिथि जारी कर दी है। ऐसे में सर्दी के इस मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक माहौल गर्म होने लगा है। लेकिन दूसरी तरफ कई नेताओं के सरपंच बनने के सपनों पर पानी भी फिर गया है। ऐसा आरक्षण के कारण हुआ है। 50 प्रतिशत आरक्षण महिला वर्ग को और 50 प्रतिशत आरक्षण एससी व ओबीसी वर्ग को मिलने के कारण कईयों के सपने अधूरे रह गए हैं। उन नेताओं के लिए समस्या बन गई है जो किसी आरक्षित वर्ग में नहीं आते और उनकी ग्राम पंचायत को सरकार ने आरक्षित कर दिया है। हालांकि पंचायत के महिला वर्ग के लिए आरक्षित होने पर कुछ नेता अपनी पत्नियों को जरूर मैदान में उतार देंगे लेकिन फिर उन नेताओं का खुद के सरपंच बनने का सपना फिर भी अधूरा ही रह जाएगा। वहीं एससी व बीसी वर्ग के आरक्षण के आगे किसी का कोई जोर नहीं चलेगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 06:00 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 06:00 PM (IST)
आरक्षण ने सरपंच बनने के सपनों पर फेरा पानी

ठाकुर रंधीर बिटटा, माधोपुर

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लंबे इंतजार के बाद सरकार ने पंजाब में पंचायत चुनाव करवाने की तिथि जारी कर दी है। ऐसे में सर्दी के इस मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक माहौल गर्म होने लगा है। लेकिन दूसरी तरफ कई नेताओं के सरपंच बनने के सपनों पर पानी भी फिर गया है। ऐसा आरक्षण के कारण हुआ है। 50 प्रतिशत आरक्षण महिला वर्ग को और 50 प्रतिशत आरक्षण एससी व ओबीसी वर्ग को मिलने के कारण कइयों के सपने अधूरे रह गए हैं। उन नेताओं के लिए समस्या बन गई है जो किसी आरक्षित वर्ग में नहीं आते और उनकी ग्राम पंचायत को सरकार ने आरक्षित कर दिया है। हालांकि पंचायत के महिला वर्ग के लिए आरक्षित होने पर कुछ नेता अपनी पत्नियों को जरूर मैदान में उतार देंगे लेकिन फिर उन नेताओं का खुद के सरपंच बनने का सपना फिर भी अधूरा ही रह जाएगा। वहीं एससी व बीसी वर्ग के आरक्षण के आगे किसी का कोई जोर नहीं चलेगा।

काबिलेगौर हो कि पंजाब सरकार ने 30 दिसंबर को ग्राम पंचायतों के चुनाव करवाने का फैसला लिया है। सितंबर-अक्टूबर में होने वाले यह चुनाव दिसंबर में हो रहे हैं। ऐसे में पिछले कुछ महीनों से कई नेता इस चुनाव की तैयारी में बैठे थे। हालांकि चुनावी बिगुल बजते ही अधिकतर नेताओं ने कमर जरूर कस ली है और कुछ नेता इस चुनाव को लेकर खासे उत्साहित हैं। लेकिन दूसरी तरफ कुछ नेता काफी परेशान दिख रहे हैं। परेशानी का कारण आरक्षण है। इस चुनाव के लिए पंजाब सरकार की ओर से जारी किया गया आरक्षण गजट हर किसी के पास पहुंच गया है और हर कोई इसमें अपनी पंचायत को ढूंढ रहा है। अपनी पंचायत के आरक्षण स्टेटस को देखकर इसके हिसाब से विकल्प ढूंढा जा रहा है। महिला वर्ग के लिए आरक्षित होने पर कुछ नेता अपनी पत्नियों या फिर परिवार की किसी अन्य महिला सदस्य को प्रत्याशी बनाएंगे। इसके लिए नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी हाईकमान से भी संपर्क साधने ा शुरू कर दिए हैं। सबसे ज्यादा परेशानी कांग्रेस पार्टी के लिए भी बनी हुई है। हाल ही में हुए जिला परिषद एंव ब्लाक समिति चुनावों में कांग्रेस ने जिस तरह से विरोधियों का सूपड़ा साफ किया था उसी तरह पंचायती चुनावों के लिए कांग्रेसी अति उत्साहित हैं। लेकिन जो कांग्रेसी नेता अपनी ग्राम पंचायत के आरक्षण स्टेटस में फिट नहीं बैठ रहे हैं उनके लिए समस्या बनी है।

सांसद के समक्ष उठाई समस्या

सूत्रों की मानें तो कई कांग्रेसी नेताओं पार्टी के पंजाब अध्यक्ष व सांसद सुनील जाखड़ के समक्ष यह समस्या उठाई भी है। लेकिन पहली बार पंचायती चुनावों में किए गए आरक्षण के आगे नेताओं का जोर चलना मुश्किल दिख रहा है। वहीं दूसरी तरफ जो नेता आरक्षण में बिल्कुल फिट बैठते हैं उन्होंने लोगों से मेल-जोल बढ़ाते हुए चुनाव की तैयारी अंदर ही अंदर शुरू कर दी है।


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