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चार साल में मात्र एक खाद का सैंपल फेल

पंजाब भर में मिशन तंदरूस्त चलाकर जहां एक ओर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देने के लिये लगातार सैंपल भरे जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Dec 2018 11:17 PM (IST)Updated: Tue, 04 Dec 2018 11:17 PM (IST)
चार साल में मात्र एक खाद का सैंपल फेल
चार साल में मात्र एक खाद का सैंपल फेल

संस, पठानकोट : पंजाब भर में मिशन तंदरूस्त चलाकर जहां एक ओर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देने के लिये लगातार सैंपल भरे जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जिलो में पिछले चार साल में कृषि विभाग कुछ खास नहीं कर पाया है। इसका सबसे बड़ा कारण जिले में अफसरों के अधिकतर पद रिक्त होना है। अधिकारी न होने के कारण जहां क्षेत्र में कीटनाशक तथा रसायनिक खादों की सैप¨लग पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पा रही है वहीं दूसरी ओर किसानों तक खेती की अत्याधुनिक तकनीकें भी नहीं पहुंच पा रही। इस बात का खुलासा कृषि विभाग की ओर से आरटीआइ के बाद मांगी गई रिपोर्ट से भी होता है। दैनिक जागरण की ओर से विभाग को डाली गई आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है कि जिला 1 जनवरी 2015 से लेकर 8 अक्टूबर 2018 तक कीटनाशक तथा खादों के लिये गये सैंपल में मात्र एक खाद का सैंपल ही फेल पाया गया है। ये सैंपल साल 2015-16 में पाया गया था जिसमें भूमि तथा सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले रासायनिक पदार्थों की मात्रा अधिक पाई गई थी। एग्रीकल्चर विभाग ने जहां कार्यवाई करते हुए डीलर का लाइसेंस रद्द कर दिया वहीं दूसरी ओर संबंधित कम्पनी को भी नोटिस दे दिया गया।

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विभाग के पास इस समय कृषि विकास अफसरों के 16 पदों पर मात्र 4 अधिकारी ही काम कर रहे हैं। पर्याप्त मात्रा में कर्मचारियों की संख्या न होने के कारण पूरी तरह से सैंप¨लग नहीं हो पा रही। मालूम हो कि जिला पठानकोट में खादों के कुल 128 तथा कीटनाशकों के कुल 111 लाइसेंस होल्डर हैं। 1 जनवरी 2013 से लेकर 31 दिसम्बर 2014 तक की सूचना गुरदासपुर कार्यालय में दर्ज हैं चूंकि पठानकोट में जिला बनने के बाद 1 जनवरी 2015 के बाद ही कार्य शुरू हो पाया था।

पीटीओ की मात्रा पाई गई थी कम, डीलर का लाइसेंस हुआ रद

जानकारी के अनुसार साल 2015-16 में खेतीबाड़ी विभाग की ओर से जिला पठानकोट में खादों के सैंपल भर कर जांच हेतु लेबोरटरी भेजे गये थे। इनमें से मात्र एक सैंपल फेल पाया गया था। विभाग की ओर से जहां तत्काल कार्यवाई करते हुए डीलर का लाइसेंस रद्द कर दुकान को सील कर दिया गया था वहीं दूसरी ओर इसकी कानूनी प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी। चीफ एग्रीकल्चर विभाग की ओर से खाद तैयार करने वाली संबंधित कम्पनी को नोटिस भी जारी किया गया था। साल 2015-16 से लेकर अप्रैल 2018 तक विभाग की ओर से कुल 139 कीटनाशकों तथा 184 खादों के सैंपल लिये गये थे। अधिकारियों ने बताया कि ¨सगल सुपर फास्फोर्स खाद में पीटीओ-5 की मात्रा 16 प्रतिशत चाहिये जबकि जिस डीलर द्वारा इसे बेचा जा रहा था,उसमें ये मात्रा कम पाई गई थी जिसके बाद ही स्वास्थ्य विभाग के आदेशों पर कार्यवाई करते हुए उक्त डीलर तथा कम्पनी के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई थी।

अधिकारियों का दावा, जिले में देसी खाद का होता है अधिक प्रयोग

कृषि विभाग के अधिकारियों की माने तो जिले में देसी खाद का प्रयोग अधिक होता है। 27 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में की जाने वाली खेती में खेतों में तैयार होने वाली पराली तथा नाड़ को जलाने की बजाये क्षेत्र के किसान गुज्जर समुदाय के लोगों को बतौर चारा के रूप में बेच देते हैं। इसके बाद इस पराली को खाने के बाद पशुओं से जो गोबर प्राप्त होता है। क्षेत्र के अधिकतर कृषक इसे खाद के रूप में प्रयोग करते हैं। एक अनुमान के अनुसार जिले में 1 लाख टन से अधिक देसी खाद का प्रयोग किया जाता है।

कीटनाशक और खादों के सैंपल का ब्यौरा

साल 2015-16

कीटनाशक-45

खाद- 70

साल 2016-17

कीटनाशक-41

खाद- 59 साल 2017-18

कीटनाशक-35

खाद- 35 साल 2018 (8 अक्टूबर तक)

कीटनाशक-18

खाद- 20

कीटनाशकों का प्रयोग बेहद करते हैं कम-एचएस बैंस

उधर, इस संबंध में जब एचएस बैंस से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पठानकोट के किसान बेहद सतर्क है। वह कीटनाशकों तथा रासयिनक खादों का बेहद कम प्रयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त विभाग की ओर से समय-समय पर दबिश कर कीटनाशकों तथा खादों के लाइसेंस होल्डरों की दुकानों पर जाकर दबिश कर सैंपल भरे जाते हैं। यदि कोई सैंपल फेल पाया गया तो संबंधित डीलर का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।


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