पहले सरकार-निगम की तकरार का रहा पंगा, योजना बनी तो आचार संहिता का अड़ंगा
दो साल से शहर की सड़कों के लिए कुछ नहीं कर सकी पंजाब सरकार और नगर निगम ने अब जब सड़कों की दशा सुधारने के लिए कदम उठाया ही था कि कोड ऑफ कंडक्ट ने सड़कों पर ग्रहण लगा दिया है।
जासं, पठानकोट : दो साल से शहर की सड़कों के लिए कुछ नहीं कर सकी पंजाब सरकार और नगर निगम ने अब जब सड़कों की दशा सुधारने के लिए कदम उठाया ही था कि कोड ऑफ कंडक्ट ने सड़कों पर ग्रहण लगा दिया है। दो साल से अनदेखी झेल रहीं इन सड़कों का निर्माण या मरम्मत अब कोड ऑफ कंडक्ट के चलते करीब चार माह के लिए रूक गया है। बता दें कि पंजाब की कांग्रेस सरकार और भाजपा के बहुमत वाले नगर निगम पठानकोट के बीच शुरू से ही आपसी तकरार होती रही है। सरकार के नुमाईंदों और निगम की इसी आपसी तकरार की भेंट चढ़ीं शहर की प्रमुख एवं लिक सड़कों के लिए महज कुछ दिन पहले ही नगर निगम और पंजाब सरकार अपने-अपने स्तर पर आगे आए ही थे कि कोड ऑफ कंडक्ट ने अड़ंगा डाल दिया है। नगर निगम ने जहां दो माह के अपने सर्वे के बाद इस बार के बजट में 2 करोड़ सड़कों के लिए रखे हैं तो वहीं विधायक अमित विज पंजाब सरकार से सड़कों के लिए तीन करोड़ मंजूर करवा कर लाए हैं।
जानकारी के अनुसार 2017 के बाद से शहर में किसी भी सड़क का न तो निर्माण हुआ है और न ही मरम्मत हो सकी है। इन दो सालों में कांग्रेस की सरकार के नुमाईंदे और भाजपा के बहुमत वाले नगर निगम के नुमाईंदे आपसी तकरार में ही उलझे रहे। राजनीतिक उलझनों और मतभेदों के चलते एकसाथ मिलकर दो सालों में शहर की सड़कों के लिए कोई भी योजना नहीं बनाई जा सकी। ऐसे में दो सालों से यह सड़कें खस्ताहाल हो चुकी हैं। लेकिन अब जब शहर की सड़कों की हालत सुधारने के लिए पंजाब सरकार और नगर निगम दोनों अपने स्तर पर आगे आए हैं तो अब चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के चलते कोड ऑफ कंडक्ट लगा दिया है। इन सड़कों में एपीके रोड, सैली रोड, ढाकी रोड जैसी प्रमुख सड़कें भी शामिल हैं और काली माता मंदिर रोड, लमीनी रोड, मिशन रोड जैसे विभिन्न लिक मार्ग भी। इनमें कुछ मार्गाें का निर्माण होना है तो वहीं कुछ की मरम्मत होनी है।
चार माह बाद काम आएंगे मेयर के दो और विधायक के तीन करोड़
कोड ऑफ कंडक्ट के चलते पंजाब सरकार से शहर की सड़कों के विकास के लिए 3 करोड़ का फंड मंजूर करवा कर लाए विधायक अमित विज का यह फंड अब चार माह बाद ही काम आएगा। वहीं नगर निगम के बजट में सड़कों के लिए 2 करोड़ रखने वाले मेयर अनिल वासुदेवा का फंड भी कोड ऑफ कंडक्ट के दौरान किसी काम का नहीं है। यह फंड चार माह बाद ही काम आएंगे। 23 मई के बाद चुनाव आचार संहित हटने पर ही सरकार और निगम की सड़क निर्माण-मरम्मत की योजना का टेंडर हो पाएगा। नियमों के अनुसार टेंडर प्रक्रिया भी करीब एक माह चलेगी इसके बाद काम शुरू होने में भी कुछ दिन लगेंगे। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यह काम करीब चार माह और लटकेगा।