ज्ञान से अज्ञान रूपी अंधकार का होता है नाश : अशोक शास्त्री
जिस प्रकार दीपक अंधकार का नाश करता है, वैसे विवेक व ज्ञान संपन्न महापुरूष अपने हदय स्थित अज्ञान रूपी अंधकार का नाश कर देते है।
संस, घरोटा: जिस प्रकार दीपक अंधकार का नाश करता है, वैसे विवेक व ज्ञान संपन्न महापुरूष अपने हदय स्थित अज्ञान रूपी अंधकार का नाश कर देते है। यह बात गांव ¨सबली में कथावाचक अशोक शास्त्री ने व्यक्त की। वह गांव में तीसरी श्रीमद्भागवत कथा में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। अशोक शास्त्री महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के इतिहास, उद्देश्य और लक्ष्य पर चर्चा की। श्रद्धालुओं को उन्होंने गौ माता के पूजन, तिलक, सूर्य उपासना, गीता पाठ के महत्व पर विस्थार पूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब संसार के प्रति वैरागय सुदृढ़ हो जाता है। तब सत्यपुरुषों का सान्निध्य प्राप्त होता है। भोगों की तृष्णा धीरे धीरे नष्ट हो जाती है। शास्त्रों के वाक्य का यथार्थ बोध होता है। विवेक का अर्थ बताते अशोक शास्त्री ने कहा कि सत्य क्या है, मिथ्या, शास्वत, नश्वर क्या है। यह बात ठीक से समझकर अपने जीवन में ढाल लें। एक परमात्मा सत्य है। शेष सब कुछ जैसे पुत्र, परिवार, भवन, दुकान, मित्र, संबधी यह सब अनित्य है। डोगरी की मधुर भाषा में सत्संग करते शास्त्री ने आगे कहा कि धर्म प्रचारकों व संतों पर हो रहे कुठारघात से सावधान हों। धर्म प्रेमी सज्जन धर्म की रक्षा व प्रचार प्रसार हेतु आगे आये। जिस से महापुरूषों के स्वपन के समाज का निर्माण हो सके। इस मौके पर ¨सबली, नौंरगपुर, नाजोचक्क, अजीजपुर, मिरजापुर के श्रद्वालुओं ने भारी संख्या में भाग लिया।