प्रभु आश्रय से बढ़कर कुछ नहीं: संत हरिदास
प्रभु के आश्रय से बढ़कर दूसरा कोई आश्रय नहीं है। यह विचार कथावाचक संत श्री हरिदास महाराज ने घरोटा में तीसरे दिन श्रीमद भागवत कथा में उपस्थित श्रद्वालुओं को संबोधित करते हुए कहे। कार्यक्रम में लाल द्वारा बहरामपुर मंदिर के संचालक 100
संवाद सहयोगी, घरोटा
प्रभु के आश्रय से बढ़कर दूसरा कोई आश्रय नहीं है। यह बात कथावाचक संत हरिदास महाराज ने घरोटा में तीसरे दिन श्रीमद्भागवत कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम में लाल द्वारा बहरामपुर मंदिर के संचालक 1008 महामंडलेश्वर स्वामी राम दास महाराज विशेष तौर पर उपस्थित रहे।
कथावाचक संत श्री हरिदास महाराज ने सत्संग, लक्ष्य, नियम, प्रभु भक्ति, सेवा, सुप्रचार पर चर्चा करते कहा कि जो लोग प्रतिकूलता को अपनाते हैं, ईश्वर उनके सम्मुख रहते हैं। ईश्वर जिन्हें अपने से दूर रखना चाहते हैं उन्हें अनुकूल परिस्थितियां देते हैं। इसके बावजूद जिनको सब वस्तुएं अनुकूल व पवित्र, सभी घटनाएं लाभकारी, दिन शुभ और सभी मनुष्य देवता के रूप में दिखते हैं वह पुरूष महान होता है। संत हरिदास महाराज ने सनातन संस्कृति पर हो रहे कुठारघात पर ¨चता व्यक्त की और कहा कि समाज को आज जाग्रित होने की आवश्यक्ता है। जिस से सनातन संस्कृति, चरित्र, नैतिक मूल्यों, संस्कृति का प्रसार हो सके। उन्होंने कहा कि सत्य को स्वीकार करने से शांति मिलती है। कुछ लोग योग्यता के आधार पर शांति खरीदना चाहते हैं। योग्यता से शांति नहीं मिलती, बल्कि उसके सदुपयोग से शांति मिलती है। संपत्ति से शांति नहीं मिलती। संपत्ति के सदुपयोग से शांति मिलती है। संत हरिदास महाराज ने नाम, जप, कीर्तन, पाठ, एकाग्रता व सेवा को बढ़ाने पर जोर दिया। जिससे अध्यात्मिक उन्नति हो सके। इस मौके पर पटवारी स¨वद्र कुमार, एनआरआई विनयकांत, कैप्टन प्रशोत्म, सूबेदार अजीत ¨सह, विजय महाजन, मास्टर द¨वद्र कुमार, मास्टर अशोक कुमार, नंद कुमार, सुभाष ¨सह, प्रवेश, ¨रकू, लाभ ¨सह, सतपाल इत्यादि उपस्थित थे।