161 साल पुराने इंजन ने पहली बार धौलाधार की पहाड़ियों में विदेशी पर्यटकों को घुमाया
इंग्लैंड से भारत भ्रमण पर आए पर्यटकों की स्टीम इंजन के साथ घुमने की मांग को भारतीय रेलवे ने 161 वर्षीय जेडबी-66 स्टीम इंजन के साथ पूरा किया।
जासं, पठानकोट : इंग्लैंड से भारत भ्रमण पर आए पर्यटकों की स्टीम इंजन के साथ घुमने की मांग को भारतीय रेलवे ने 161 वर्षीय जेडबी-66 स्टीम इंजन के साथ पूरा किया। पालमपुर से बैजनाथ तक कुल 15 किलोमीटर सफर को स्टीम इंजन ने 1 घंटा बीस मिनट में पूरा किया। इसके लिए लगभग दो टन कोयले की खपत हुई। इस दौरान यहां इंग्लैंड से आए विदेशी मेहमानों ने अपने विशेष कोच में बैठ कर धौलाधार की हसीन वादियों का लूत्फ उठाया, वहीं फिरोजपुर रेल मंडल के डिवीजनल रेल मैनेजर विवेक कुमार ने रेलवे अधिकारियों सहित इन यादगार पलों को कैमरे में कैद किया। इतना ही नहीं स्थानीय लोगों को भी जैसे ही स्टीम इंजन के छुक-छुक की आवाज सुनाई दी तो वह भी घरों से बाहर निकले और मोबाइल से फोटो व वीडियो बना कर विदेशी पर्यटकों का हाथ हिलाकर स्वागत किया। इतना ही देर सायं जैसे ही विदेशी पर्यटकों का सफर खत्म हुआ तो उन्होंने डिवीजनल रेल मैनेजर से बात की कि भविष्य में यदि इसी प्रकार की सुविधाएं मिली तो हर दो माह के बाद उन्हें उक्त सेक्शन पर बु¨कग मिलना लाजमी है। उधर, पाल कंपनी के एमडी कम विजिटर अमित चोपड़ा ने भी मंडल के अधिकारियों से कहा कि आज का यह सफर यादगार है। विदेशी पर्यटक रेलवे के प्रयासों को बहुत सराह रहे हैं ओर उन्हें पूरी उम्मीद है कि यह लोग वापिस जाकर इसका जिक्र जरूर करेंगे। ऐसा लगता है कि आने वाले कुछ दिनों के भीतर ही उन्हें इस सेक्शन पर विदेशी पर्यटकों की ओर से कोई न कोई बु¨कग आ जाएगी।
जानकारी के अनुसार बीते शुक्रवार को दोपहर 12:15 बजे 13 विदेशी पर्यटकों के विशेष चार्टर्ड कोच के साथ स्पेशल डिब्बे में डिवीजनल रेल मैनेजर विवेक कुमार पालमपुर से बैजनाथ के लिए रवाना हो गए। पंद्रह किलोमीटर के सफर को स्टीम इंजन ने 1 घंटा बीस मिनट में पूरा किया। इस दौरान सेक्शन पर यहां भी मनमोहन नजारा दिखाई देता अंग्रेज वहां पर इंजन को रुकवाते ओर धौलाधार की हसीन वादियों की फोटोग्राफी करने लग जाते। रेलवे अधिकारियों ने भी अंग्रेजों को बताया कि यह पहला ऐसा मौका ही उक्त सेक्शन पर कोई हैरीटेज ट्रेन दौड़ रही हो। स्टीम इंजन के बारे में अधिकारियों ने विदेशी पर्यटकों को विस्तार पूर्वक बताया कि 1857 में लंदन की एक प्राइवेट कंपनी की और से इसे निर्मित किया गया है। प्रतापनगर वर्कशाप से इसे 2003 में पठानकोट भेजा गया था। लेकिन, टेक्निकल फाल्ट आ जाने की वजह से इसे ट्रैक पर नहीं दौड़ाया जा सका। पिछले वर्ष इसे अमृतसर लोको से पूरी तरह से फिट करके पठानकोट भेजा गया। ग्रुप का नेतृत्व कर रहे विदेशी पर्यटक सीनियर सिटीजन ईयान स्टैनली ने बताया कि वह भारत भ्रमण पर आए हैं। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि वह देखना चाहते हैं कि उनके बुर्जुगों ने भारत को क्या-क्या चीजें दी हैं। अपने पंद्रह दिवसीय टूर के दौरान वह केवल हिमाचल प्रदेश के बड़े शहरों को देखा है और देश में आज भी ब्रिट्रिश काल में बनी वस्तुओं व बड़े कार्यों की जानकारी देखना चाहते हैं ताकि वह अपने देश में जाकर उनके इतिहास संबंधी परिजनों को बताएंगे। जेडबी-66 भी उनमें से एक था।
पठानकोट के ड्राइवरों ने चलाया स्टीम इंजन
पठानकोट रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर (लोको) देस राज ने बताया कि बु¨कग आने के बाद पठानकोट रेलवे की ओर से पांच ड्राइवरों को रेवाड़ी से विशेष तौर पर पंद्रह-पंद्रह ट्रे¨नग दिलाई गई थी। शुक्रवार को पठानकोट रेलवे के ड्राइवर मते चंद सहित अवतार ¨सह (गुड्स ट्रेन सहायक लोको पायलट), संजीव कुमार (गुड्स ट्रेन सहायक लोको पायलट), दीपक कुमार (सहायक लोको पायलट) व अमित कुमार (सहायक लोको पायलट) ने स्टीम इंजन के साथ विशेष कोच में अंग्रेजों को धौलाधार की हसीन वादियों की सैर करवाई।
इन स्टेशनों के बीच की बु¨कग आने की संभावना
विदेशी पर्यटकों की ओर से आगामी महीनों में फिर से बु¨कग करवाने की बात के बाद रेलवे ने भी पठानकोट- जो¨गद्र नगर के कई स्टेशनों पर स्टीम इंजन चलाने के लिए तैयारी करना शुरू कर दी है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि स्टीम इंजन को पानी की जरूरत होती है इसे ध्यान मे रखते हुए ज्वालामुखी रोड, पालमपुर व बैजनाथ में वाटर कालम बना दिए हैं ताकि यदि इन स्टेशनों की कोई बु¨कग आए तो परेशानी का सामना न करना पड़े। इसके अलावा पालपमुर-बैजनाथ की भांति ज्वालामुखी रोड से नगरोटा, पालमपुर से नगरोटा सेक्शन का विकास किया जाएगा।
कई स्टेशनों पर स्टीम इंजन चलाने का काम शुरू
उधर, इस संदर्भ में जब फिरोजपुर रेल मंडल के सीनियर डीसीएम हरिमोहन से मोबाइल पर संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि पठानकोट- जो¨गद्रनगर नैरोगेज रेल सेक्शन पर यह पहला ऐसा मौका था जब विदेशी पर्यटकों ने स्टीम इंजन के साथ हिमाचल की हसीन वादियों का नजारा लिया। इस दौरान यहां मंडल के डीआरएम विशेष तौर पर मौजूद थे वहीं रेलवे के कई अधिकारियों ने ग्रुप सदस्यों के नैरोगेज सेक्शन की खूबियां बताई। ग्रुप सदस्यों ने रेलवे अधिकारियों को बताया कि यदि रेलवे उन्हें इसी प्रकार की सुविधा मुहैया करवाते है तो उन्हें हर दो माह बाद इसकी बु¨कग मिल जाएगी। पर्यटकों की ओर से इस प्रकार की फीड बैक मिलने के बाद रेलवे ने भी पालमपुर से बैजनाथ की तरह सेक्शन के कई स्टेशनों पर स्टीम इंजन चलाने की व्यवस्था पर काम करना शुरु कर दिया है।