हिमाचल - जेंडके बॉर्डर बंद, ठप पड़ा कारोबार
पठानकोट कोरोना महामारी के बीच बॉर्डर से सटे पठानकोट वासियों की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
वीरेन पराशर, पठानकोट: कोरोना महामारी के बीच बॉर्डर से सटे पठानकोट वासियों की दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। हिमाचल व जेएंडके बॉर्डर के बीच जिले के लोग पिसने को मजबूर हैं। कोरोना महामारी के कारण दोनों पड़ोसी राज्यों में यहां के लोगों का आवागमन करना कठिन हो गया है। हिमाचल में पास के साथ ही जहां लोगों को प्रवेश मिल पा रहा है, तो जेएंडके में अभी भी एंट्री पर रोक लगाई हुई है। यही कारण है कि नौकरीपेशा से लेकर व्यापारी वर्ग को परेशानी झेलनी पड़ी है। बॉर्डर से सटे यह इलाके एक - दूसरे की आर्थिकी में अहम भूमिका निभाते हैं। जितने संबंध आर्थिक तौर पर पठानकोट का पड़ोसी राज्यों के साथ है, उतने ही पारिवारिक रिश्ते भी दोनों के मध्य हैं। देश के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन चार से भले ही राहतें मिली हों, पर पठानकोट के लोगों की परेशानियां पहले जैसी हैं। व्यवसायी एवं नौकरीपेशा राम, अजीत, दीपक, मुकेश, सुरजीत ने कहा कि वह लंबे समय से काम पर नहीं गए हैं। इस कारण उनके काम बंद होने की कगार पर हैं। कारण यह है कि कोरोना में उन्हें जेएंडके जाने की अनुमति नहीं मिल रही। स्थानीय प्रशासन से आग्रह है कि इस मुद्दे को उठाए, नहीं तो उनके पास कोई काम नहीं बचेगा। महामारी के संभलने तक वे बेरोजगार हो जाएंगे। वहीं एडीसी अभिजीत कपलिश ने कहा है कि मामले को पड़ोसी राज्यों के साथ उठाएंगे और कामकाजी लोगों को राहत दिलाने का प्रयास किया जाएगा। एक हजार से ज्यादा लोगों की रोजी- रोटी पर संकट जेएंडके के कठुआ, सांबा एवं जम्मू में पठानकोट के लोगों का व्यवसाय है। सीमा से सटे सुजानपुर, माधोपुर, बमियाल आदि क्षेत्रों के एक हजार के करीब लोग जेएंडके की इंडस्ट्री में काम करते हैं। समीपवर्ती क्षेत्र होने के कारण लोगों का यहां पर रोजाना आवागमन होता है। इसके अलावा हिमाचल के जसूर - नूरपुर तक भी पठानकोट के वाशिदों के व्यवसाय एवं रोजगार हैं। करीब तीन माह से यह लोग अपने कामकाज पर लौट नहीं सके हैं। उन्हें चिता सताने लगी है कि काम - धंधे शुरू हो गए हैं, पर उनके न लौटने से सब चौपट होने लगा है। बेरोजगारी केआलम में परिवारों का पालन पोषण भी मुश्किल होगी।