मेडिकल कॉलेज शुरू करने से पहले दूर करने होंगे रास्ते के कई रोड़े
पंजाब सरकार ने यूं तो पठानकोट के लिए मेडिकल कॉलेज की घोषणा कर दी है, परंतु मेडिकल कॉलेज खोलना इतना आसान नहीं है जितना की एक एलान को सुन लेने से प्रतीत हो रहा है। मेडिकल कॉलेज की राह में अभी भी अनेक रोड़े हैं। सबसे बड़ा तकनीकी रोड़ा सरकार की मंशा है। पंजाब सरकार ने यह मेडिकल कॉलेज खुद चलाने की बजाए प्राइवेट सहयोगी के साथ मिल कर चलाने का फैसला किया है।
श्याम, पठानकोट
पंजाब सरकार ने यूं तो पठानकोट के लिए मेडिकल कॉलेज की घोषणा कर दी है, परंतु मेडिकल कॉलेज खोलना इतना आसान नहीं है जितना की एक एलान को सुन लेने से प्रतीत हो रहा है। मेडिकल कॉलेज की राह में अभी भी अनेक रोड़े हैं। सबसे बड़ा तकनीकी रोड़ा सरकार की मंशा है। पंजाब सरकार ने यह मेडिकल कॉलेज खुद चलाने की बजाए प्राइवेट सहयोगी के साथ मिल कर चलाने का फैसला किया है। इसका मतलब है कि राज्य सरकार को अब ऐसे लोगों की तलाश है जो मेडिकल कॉलेज चलाने में सक्षम हों। पठानकोट में साल 2010 में प्राइवेट मेडिकल कालेज एक सोसाइटी ने खोला भी था। इसे चलाने के लिए बैंकों ने एक सौ करोड़ का लोन भी जारी कर दिया गया, परंतु विभिनन तकनीकी दिक्कतों के चलते आखिर यह कालेज चल नहीं सका। इसी प्रकार का अंदेशा घोषित मेडिकल कॉलेज को लेकर भी जताया जा रहा है। दूसरा सबसे बजा रोड़ा कालेज के लिए एक साथ सौ एकड़ जमीन का प्रबंध करना भी है। पठानकोट का एक हिस्सा जहां जम्मू-कश्मीर से सटा है वहीं दूसरा हिस्सा हिमाचल प्रदेश के साथ जुड़ा हुआ है। तीसरा हिस्सा पाकिस्तान की सीमा को टच कर रहा है। इस भौगोलिक विभिन्नता के अतिरिक्त पठानकोट में जमीन अधिग्रहण में सबसे बडी दिक्कत धार तहसील की लगभग सारी जमीन के फारेस्ट एक्ट के अधीन आने की है। इस जमीन में किसी तरह का निर्माण वैसे ही प्रतिबंधित है। ऐसे में उचित जमीन की तलाश करना भी बड़ी चुनौती है। मेडिकल कॉलेज को साढ़े सात सौ बेड का अस्पताल भी चाहिए। सरकार सिविल अस्पताल को मेडिकल कालेज के साथ जोड़ना भी चाहे, तो वह सारी जरूरत पूरी नहीं कर सकता है। सिटी का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण परिवेश का है। मेडिकल कॉलेज खुलने पर यहां तकरीबन पांच सौ से ज्यादा रेजीडेंट डॉक्टरों की •ारूरत रहेगी। ऐसे डाक्टरों का यहां रहना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। सरकारी नहीं होगा मेडिकल कॉलेज
चूंकि सरकार ने कालेज खोलने के लिए प्राइवेट पार्टनर का सहयोग अपेक्षित किया है। जाहिर है कि कालेज सरकारी नहीं होगा। फिलहाल गुरु रामदास मेडिकल कालेज अमृतसर पर पठानकोट के लोग पूरी तरह से निर्भर हैं और यह कॉलेज पूरी तरह सरकारी है। इसलिए ही इस कालेज में इलाज भी सरकार की ओर से तय रेटों पर ही उपलब्ध है। अगर पठानकोट का मेडिकल कालेज प्राइवेट पार्टनर की हिस्सेदारी में रहेगा, तो उसमें सेवाएं सरकारी अस्पतालों के रेटों पर अपेक्षित करना गलत होगा। बहरहाल सरकार ने घोषणा करके पठानकोट के लोगों को मेडिकल कालेज का सपना दिखाया है परंतु यह कालेज कैसा होगा और उसमें सुविधाएं कैसी रहेगी कहना जलदबाजी होगा। गरीबों का होगा मुफ्त इलाज, अत्याधुनिक सुविधाओं से होगा लैस : विज
विधायक अमित विज का कहना है कि पंजाब सरकार मेडिकल कॉलेज में गरीबों का मुफ्त इलाज करेगी। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कॉलेज का अस्पताल एकदम अत्याधुनिक होगा। उन्होने कहा की प्राइवेट पार्टनर तो मैनेजमेंट के लिए अपेक्षित है। प्राइवेट पार्टनर को मनमर्जी करने का अधिकार नहीं होगा। ओवरआल कंट्रोल सरकार के पास रहेगा। संसाधनों के अभाव में नहीं चल सका था सीएमसी बुंगल
¨चतपूर्णी मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) संसाधनों की कमी के मद्देनजर पहले ही बंद हो चुका है। इस कालेज को डेढ सौ सीटें अलाट थी, परंतु इंफ्रास्ट्रक्चर कम होने तथा कॉलेज के अस्पताल में रोगियों की भर्ती नियमों से कम होने व टी¨चग फैकलटी भी उपलब्ध नहीं होने के कारण अंतत: इसे ग्रहण लग गया और कालेज बंद हो गया। कालेज मैनेजमेंट और बैंक किसी भी तरीके से इस कालेज को चलाने का प्रयास कर रहें हैं परंतु वित्तीय संसाधनों की कमी के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा है। कहा जा रहा है कि बैंक ने अपना लोन उगाहने के लिए प्रतिक्रिया शुरू कर दी है। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि इसी कालेज को कोई दोबारा से चलाने के लिए भी संभावनाएं तलाशना शुरू की जाएं।