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बेसहारा पशुओं व कुत्तों की बढ़ती संख्या से शहरवासियों में फिर से दहशत

पशु पालन विभाग की ओर से पिछले वर्ष अगस्त महीने में करवाई गई सर्वे के अनुसार जिला पठानकोट में 7200 से ज्यादा बेसहारा कुत्ते हैं। सिटी पठानकोट में ही 4500 से अधिक कुत्तों के बारे में बताया गया था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 06:11 AM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 06:11 AM (IST)
बेसहारा पशुओं व कुत्तों की बढ़ती संख्या से शहरवासियों में फिर से दहशत

जागरण संवाददाता, पठानकोट : शहर में बेसहारा पशुओं व कुत्तों के झूंड फिर से लोगों के लिए परेशानी का कारण बनना शुरू हो गए हैं। बेसहारा पशु व कुत्ते झुंड के रूप में शहर के विभिन्न बाजारों में देखे जा सकते हैं। यह कब किस राहगीर पर हमला बोल दें कुछ कहा नहीं जा सकता। बेसहारा पशुओं की आड़ में कई पशु पालक अपने दुधारु पशुओं को भी बाजारों में चरने के लिए छोड़ देते हैं, जो हादसों का कारण बनते हैं। सब कुछ जानते हुए भी निगम प्रशासन हाथ पर हाथ धरे सब देख रहा है। ऐसा लगता है कि निगम किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है कि उसके बाद ही इस पर काम शुरू करवाया जा सके।

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पिछले वर्ष नगर निगम ने शहर में बेसहारा पशुओं की बढ़ती तादाद को देखते हुए उन्हें पकड़कर कैटल पाउंड पहुंचाने का काम शुरू किया था, लेकिन कोविड-19 के चलते यह अभियान पिछले कई महीनों से बंद है। इस कारण आस-पास के कस्बों से बेसहारा पशु शहर में प्रवेश कर रहे हैं। शहर प्रत्येक चौक में सांड, गाय के अलावा भारी संख्या में घोड़े भी देखे जा रहे हैं जो अचानक से सड़क के बीच आकर खड़े हो जाते हैं और परेशानी का कारण बनते हैं। वाहन चालकों के साथ-साथ आम जन के लिए भी यह समस्या पैदा कर रहे हैं। एक साल में 3150 कुत्तों की ही हुई नसबंदी

पशु पालन विभाग की ओर से पिछले वर्ष अगस्त महीने में करवाई गई सर्वे के अनुसार जिला पठानकोट में 7200 से ज्यादा बेसहारा कुत्ते हैं। सिटी पठानकोट में ही 4500 से अधिक कुत्तों के बारे में बताया गया था। निगम द्वारा एक वर्ष अभी तक केवल 3150 कुत्तों की ही नसबंदी करवाई गई है। लिहाजा पूरे कुत्तों की नसबंदी करने में अभी कम से कम एक साल का और समय लगेगा, जबकि सिटी व ग्रामीण एरिया में आए दिन आवारा कुत्तों के काटे जाने के समाचार आ रहे हैं। वहीं निगम दावा कर रहा है कि नसबंदी का काम पूरा होने के बाद बेसहारा कुत्तों की संख्या में वृद्धि पर आगामी कई वर्षों तक रोक लग जाएगी।

लोग बोले, बेसहारा पशुओं को पकड़ने के काम में हो तेजी

वार्ड नंबर 46 निवासी साहिल शर्मा, प्रबोध चंद्र, सचिन वालिया, सेठी प्रधान आदि ने बताया कि पिछले चार-पांच महीने पहले बेसहारा पशुओं की संख्या में थोड़ी कमी आई थी, लेकिन अब दोबारा उनकी संख्या में बढ़ोतरी होने से परेशानियां पैदा हो गई है। बेसहारा पशुओं की भांति आवारा कुत्ते भी झुंड के रूप में नजर आने लगे हैं। जिस कारण बच्चों को बाहर भेजना तक मुश्किल हो गया है। लोगों को चिता सताने लगी है कि यह कुत्ते कब किसे अपना शिकार बना लें कुछ कहा नहीं जा सकता। इसलिए निगम कुत्तों व बेसहारा पशुओं पर जल्द से जल्द नकेल कसे। दिवाली के बाद काम में लाई जाएगी तेजी : मेयर

मेयर पन्ना लाल भाटिया से जब बेसहारा पशुओं और आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या संबंधी पेश आ रही परेशानियों के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि बेसहारा पशुओं को पकड़ने का काम अब नई कंपनी को दिया जाएगा। दिवाली के बाद काम अलाट कर दिया जाएगा, जबकि कुत्तों की नसबंदी का काम रुटीन में चल रहा है। कहा कि शनिवार-रविवार व छुट्टी वाले दिन नसबंदी नहीं होती जिस कारण काम थोड़ा धीमा है।


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