सतगुरु रविदास जी के प्रकाशोत्सव पर विशाल सत्संग सम्मेलन आयोजित
श्री-श्री 108 स्वामी गुरदीप गिरि जी की रहनुमाई में जगत गिरि आश्रम में सतगुरु रविदास महाराज जी के 642वें प्रकाशोत्सव पर विशाल सत्संग सम्मेलन करवाया गया। जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं का सैलाब गुरु महिमा करता हुआ पहुंचा। इस दौरान भोआ के विधायक जोगिंद्र पाल, डिप्टी कमिश्नर रामवीर खास तौर पर शामिल हुए।
संवाद सहयोगी, पठानकोट : श्री-श्री 108 स्वामी गुरदीप गिरि जी की रहनुमाई में जगत गिरि आश्रम में सतगुरु रविदास महाराज जी के 642वें प्रकाशोत्सव पर विशाल सत्संग सम्मेलन करवाया गया। जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं का सैलाब गुरु महिमा करता हुआ पहुंचा। इस दौरान भोआ के विधायक जोगिंद्र पाल, डिप्टी कमिश्नर रामवीर खास तौर पर शामिल हुए। इस दौरान डेरा स्वामी जगत गिरि ट्रस्ट की ओर से रक्तदान कैंप भी लगाया गया। जिसकी देखरेख श्री गुरु रविदास युवा संगठन की ओर से की गई। इस कैंप में लगभग 200 यूनिट रक्तदान किया गया। वहीं, सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. भूपिन्द्र ¨सह, डॉ. एमएल अत्री की अध्यक्षता में डॉ. मादवी अत्रि की मौजूदगी में चेकअप कैंप भी आयोजित हुआ। जिसमें सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने अपना चेकअप करवाने के अतिरिक्त निशुल्क दवाई ली। यही नही सत्संग दौरान गुरु जी का अटूट लंगर बरताया गया। स्मरणीय है कि कल 18 फरवरी को इसी उपलक्ष्य में एक विशाल शोभायात्रा का आयोजन श्री गुरु रविदास सभा ने किया था। इस संबंध में सेवादारों को आज गुरु जी ने अपने कर-कमलों से सम्मानित किया। समारोह में उपस्थित मुख्य अतिथियों के द्वारा गुरु रविदास जी के जन्मदिन की बधाई दी गई।
समारोह के अंत में स्वामी गुरदीप गिरि जी ने सभी को महाराज जी के प्रकाशोत्सव पर कोटि कोटि बधाई दी और अपने प्रवचनों में सत्गुरु रविदास जी की पवित्र वाणी अनुसार सतगुरु रविदास महाराज जी लगभग 600 साल पहले शिक्षा का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि गुरु जी ने ही उस समय गुरमुखी लिपि की शुरुआत की जिसका प्रमाण आप जी की वाणी में मिलता है। गुरु जी ने राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक सभी क्षेत्रों में अपना दूरदर्शी पैगाम दिया और बेगमपुरा का संकल्प लिया। सभी धर्मो एवं वर्णो को ईश्वर के नाम के साथ जोड़ा। वहीं, कर्मकांडी सामग्री का खंडन किया। इससे पूर्व सत्संग की शुरुआत नाम एवं गुरु की महिमा गायन से हुई। स्वामी जी ने कहा कि प्रभु परम पूज्य है और सांसारिक वस्तुओं से उसकी आराधना नहीं की जा सकती बल्कि तन-मन से उसे याद कर उसे भीतर से पाया जा सकता है। इस अवसर पर केवल कृष्ण, चौधरी स्वागत दास, अनिल, गोपाल अत्री, ठेकेदार बिशन दास, विजय कुमार, नरेंद्र कुमार, देस राज, सतपाल, पंजाब दास, हंसपाल, मंगल ¨सह, राज कुमार, सोहन लाल, पूर्ण चंद आदि मौजूद थे।