सिविल अस्पताल में डीसी के दौरे का नहीं दिखा असर
डीसी रामबीर के सिविल अस्पताल के दौरे का असर डॉक्टरों पर नहीं दिखा है।
संस, पठानकोट : डीसी रामबीर के सिविल अस्पताल के दौरे का असर डॉक्टरों पर नहीं दिखा है। डीसी की चेतावनी के बाद अगले ही दिन शनिवार को सिविल के डॉक्टर धड़ल्ले से इथिकल दवाईयां लिखते हुए दिखे। जबकि एक दिन पहले ही सिविल अस्पताल के औचक दौरे के दौरान डीसी ने डाक्टरों को सख्त निर्देश दिए थे कि वह मरीजों को जेनेरिक दवाईयां लिख कर दें। ताकि लोग यह दवाईयां सिविल अस्पताल की मुफ्त डिस्पेंसरी अथवा जन औषधि केंद्र से ले सकें। लेकिन शनिवार को हर बार की तरह ही डॉक्टरों ने इथिकल दवाईयां लिखीं जो न तो डिस्पेंसरी से मिलतीं हैं और न ही जन औषधि केंद्र में। मजबूरन लोगों को निजी प्राइवेट अस्पतालो में जाकर महंगी इथिकल दवाइयां खरीदनी पड़ीं। काबिलेगौर हो कि सरकारी डाक्टरों को सरकारी निर्देश हैं कि वह सिर्फ जेनेरिक दवाएं हीं प्रिस्क्रिप्शन में लिखें। पीएम मोदी भी यह निर्देश दे चुके हैं।
चर्चा में है कि डाक्टरों द्वारा महंगी इथिकल दवा लिखने का मुख्य कारण मोटी कमीशन कमाना है। इसके लिए न तो पीएम मोदी के निर्देश की कोई पालना है और न ही डीसी की सख्त हिदायत की। डाक्टरों द्वारा लिखी दवा को लेने के लिए जैसे ही मरीज सिविल अस्पताल के जन औषधि सेंटर पहुंचतें हैं तो यहां उन्हें पता चलता है कि यह दवा बाहर के निजी मेडिकल स्टोर से ही मिलेगी। ऐसे में बेबस मरीज प्राईवेट मेडिकल स्टोर से महंगी दवा खरीदते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि हर बार की तरह ही शनिवार को भी मरीजों की भीड़ सरकारी जन औषधि सेंटर में कम और प्राईवेट मेडिकल स्टोरों पर अधिक देखी गई।
इथिकल दवा लिखने वाले डॉक्टर पर होगी कार्रवाई
एसएमओ डाक्टर भूपेन्द्र ¨सह का कहना है कि मरीजों को बेहतर सेहत सुविधाएं उपलब्ध करवाए जाने पर सिविल अस्पताल प्रबंधन बचनबद्ध है। अस्पताल के डाक्टरों को जेनरिक दवा ही लिखने के निर्देश हैं। यदि कोई डाक्टर इथिकल दवा लिखता पाया गया तो उन पर सख्त कार्यवाई होगी। इसके लिए वह एक बार फिर डाक्टरों से बैठक भी करेंगे। ताकि मरीजों को सरकार की योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सके।