दो दिन की नीलामी में हिदू बैंक को नहीं मिला एक भी खरीदार
80 करोड़ का एनपीए होने के बाद बंद होने के कगार पर पहुंच चुके हिदू बैंक को दूसरे दिन भी नीलामी के लिए रखी प्रॉपर्टी के लिए कोई खरीदार नहीं मिला।
राजीव शर्मा, लुधियाना
लॉकडाउन के दौरान धरातल पर आए होजरी उद्योग में रिकवरी देखने को मिल रही है। गर्मी सीजन खराब होने के बाद इंडस्ट्री में अब सर्दी सीजन को ध्यान में रखते हुए वुलेन गारमेंट्स की मैन्युफैक्चरिग हो रही है। गारमेंट, निटिग व डाइंग उद्योग में उत्पादन पचास फीसद से अधिक हो गया है। पहले यह 10 प्रतिशत तक सिमट गया था। उद्यमी यह भी मानते हैं कि कोरोना को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति है, ऐसे में बाजार के सेंटिमेंट फिलहाल कमजोर हैं। रिटेलर भी खुलकर माल की एडवांस बुकिग नहीं करा रहे हैं। इसके चलते उद्यमी कोई रिस्क नहीं ले रहे और फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं। लुधियाना में माइक्रो स्मॉल एंड मिडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) सेक्टर में वुलेन गारमेंट का उत्पादन हो रहा है। यहां पर करीब 12 हजार इकाइयां कपड़े बना रही हैं व सालाना कारोबार भी आठ से दस हजार करोड़ का है। गारमेंट में यार्न का उपयोग होता है। पिछले साल एक्रेलिक यार्न का रेट करीब 250 रुपये प्रति किलो था, जोकि 15 दिन पहले केवल 172 रुपये रहा। बाजार में मांग निकलने से इसकी कीमत बढ़कर 182 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई। इसी तरह पॉलिएस्टर यार्न की कीमत में ज्यादा अंतर नहीं आया। पिछले साल जहां 128-30 रुपये प्रति किलो कीमत थी, जो अब 120 रुपये है। यार्न कारोबारी कहते हैं कि धागे की कीमते मांग पर निर्भर करेंगी। इसके अलावा डाइंग में पिछले साल कॉटन डाइंग का रेट 54 रुपये व पॉलिएस्टर डाइंग का रेट 35 रुपये प्रति किलो था, जो अभी भी स्थिर है। पटरी पर लौटने लगा है काम
लुधियाना यार्न डीलर्स एसोसिएशन के प्रधान राधे श्याम आहूजा का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान तीन माह तक कोई काम नहीं हुआ। इसके बाद अब धीरे धीरे काम निकल रहा है। यार्न मार्केट में पचास फीसद तक मांग है। पिछले साल के मुकाबले यार्न के रेट अभी कम ही हैं, लेकिन बाजार की मांग के अनुसार उतार चढ़ाव आने की संभावना है।
उद्योग में आ सकती और तेजी
पंजाब डायर्स एसोसिएशन के प्रधान अशोक मक्कड़ व एसोसिएशन में फोकल प्वाइंट डिवीजन के प्रवक्ता राहुल वर्मा कहते हैं कि डाइंग इकाइयां क्षमता का साठ से सत्तर फीसद तक उपयोग कर रही हैं। धीरे धीरे स्थिति सुधर रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर परिस्थितियां साफ होने के बाद उद्योग में और तेजी आ सकती है।
वर्किग कैपिटल व पेमेंट को लेकर दिक्कतें
बहादुरके निटवियर एंड टेक्सटाइल्स एसोसिएशन के चेयरमैन ललित जैन के अनुसार कोविड ने इंडस्ट्री का गर्मी सीजन बर्बाद कर दिया। अब सर्दी सीजन से उम्मीद है। अभी घरेलू बाजार के अलावा निर्यातकों व बड़े रिटेल ब्रांड और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भी डाइंग के ऑर्डर आ रहे हैं। इसके चलते इंडस्ट्री में रिकवरी हो रही है, लेकिन वर्किग कैपिटल को लेकर भारी दिक्कतें हैं। दूसरी तरफ, बाजार से पेमेंट नहीं आ रही। पहले पैसे 45 से नब्बे दिन में आते थे, लेकिन अब नब्बे से 180 दिन में मिल रहे हैं।
असमंजस के चलते सेंटिमेंट कमजोर
निटवियर क्लब के महासचिव नरेंद्र मिगलानी का कहना है कि कोविड के चलते पहले इंडस्ट्री बिलकुल ठप हो गई थी, लेकिन अब बाजार में वुलेन के माल की मांग निकल रही है। ओवरसीज मार्केट से भी ऑर्डर आ रहे हैं। उधर, निटवियर अपैरल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना के प्रधान सुदर्शन जैन के अनुसार असमंजस के चलते सेंटिमेंट कमजोर है। रिटेलर खुलकर एडवांस में बुकिग नहीं करा रहे। ऐसे में इंडस्ट्री बिना कोई रिस्क लिए संयम के साथ ही उत्पादन कर रही है।