कर्मचारी पीपा बजाएं या थाली, नहीं मिलेगा वेतन, खजाना है खाली
आर्थिक तंगी से जूझ रही नगर निगम के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं।
जागरण संवाददाता, पठानकोट : आर्थिक तंगी से जूझ रही नगर निगम के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। निगम के 750 कर्मचारियों को दिसंबर का वेतन नहीं मिला है जबकि, जनवरी खत्म होने को हैं। निगम के 300 पेंशनरों को दो माह तथा मेयर सहित 50 पार्षदों को भी पिछले चार महीनों का मान भत्ता नहीं मिल पाया है। इसका कारण नगर निगम का खजाना खाली होना है। नगर निगम के खाते में जो राशि है उसका इस्तेमाल बिल्डिग ब्रांच ने कॉलोनियों को लीगल करने पर प्राप्त किया है जिसे उक्त कॉलोनियों में ही इस्तेमाल किया जाना है। कुछ राशि पेट्रोल-डीजल व अन्य कार्यो के लिए रिजर्व रखी गई है। रिजर्व राशि को भी निगम प्रशासन के लिए वेतन में खर्च करना मुश्किल है। उपर से जीएसटी की राशि समय पर नही मिली। निगम कर्मचारी यूनियन नेता अश्वनी शर्मा, रमेश कटो, रमेश दरोगा, मंदीप सिंह डिपी, सेवानिवृत कर्मचारी बीआर गुप्ता ने बताया कि दिसंबर का वेतन देने के लिए पिछले दिनों उन्होंने चार दिन गेट रैलियां कर निगम प्रशासन को चेताया। बात नहीं बनी तो उन्हें मजबूरी में पीपे भी बजाए ताकि कुंभकर्णी नींद में सोए निगम प्रशासन को जगाया जा सके। वक्ताओं ने कहा कि अगर जरुरत पड़ी तो वह जरुरी सेवाएं ठप्प करने का फैसला भी ले सकते हैं।
टारगेट अधूरे, प्रशासन मजबूर
प्रॉपर्टी टैक्स विभाग : पांच करोड़ 31 मार्च तक जुटाने थे, मिला सिर्फ 2.70 करोड़
वाटर सप्लाई विभाग : पांच करोड़ का टारगेट था लेकिन पाए दो करोड़
बिल्डिग ब्रांच : 3 करोड़ में से 1.27 करोड़ की प्राप्ति हुई
रैंट ब्रांच : 57 लाख में से 40 लाख रुपये ही हुए रिकवर निगम का खाता
अकाउंट में पैसे : 4.25 लाख रुपये
खर्च होंगे : 4 लाख रुपये बिल्डिग ब्रांच कॉलोनियों के लिए करेगा इस्तेमाल
सुरक्षित रखे : 25 लाख रुपये जो पेट्रोल-डीजल व अन्य कार्यो के लिए हैं।
उधार लेकर काम चला रहे कर्मचारी
नगर निगम के सफाई कर्मी रमेश कटो, दीपक भट्टी व रमेश दरोगा ने कहा कि चार महीनों से समय पर वेतन न मिलने के कारण भारी समस्याएं आ खड़ी हो गई है। वेतन न मिलने की वजह से पिछली बार की तरह इस बार भी पैसे उधार लेकर बच्चों की फीस भरी, राशन लिया, बिजली का बिल भरा है। घर का बजट बिगड़ गया है जिस कारण वह न चाहते हुए भी कभी रोष प्रदर्शन तो कभी पीपा-बजाकर नेताओं व सरकार तक वेतन के लिए अपनी आवाज पहुंचा रहे हैं।
सरकार की पॉलिसियां आर्थिक बदहाली की वजह
समूह नगर निगम कर्मचारी यूनियन के नेता अश्वनी शर्मा ने कहा कि सरकार की नीतियों की वजह से निकाय विभाग की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई है। कहा कि निगम की बिल्डिग ब्रांच ने कॉलोनियों को लीगल कर चार करोड़ से ज्यादा का राजस्व प्राप्त किया है। लेकिन, उक्त पैसे उसी कॉलोनी में खर्च होने हैं। इससे पहले राशि म्यूनिसिपल फंड में जमा होती थी जिसे निगम अपने कार्यो में खर्च कर लेता था। इसी प्रकार 5 मरला वाले उपभोक्ताओं को पानी-सीवरेज बिल माफी, चुंगी को समाप्त करना, हाउस टैक्स की जगह प्रापर्टी टैक्स लगाया जाना जिसमें अमीरों को राहत और आम जनता पर बोझ डाल दिया गया। इससे अमीरों को राहत मिल गई जो आय का मुख्य स्त्रोत था। बिल्डिग ब्रांच में आने वाले निवेदनों की फीस पहले एमसी खाते में आती थी अब सरकार के खाते में जा रही है जिस कारण निकाय विभाग की आय में भारी कमी हुई है।
तीन-चार महीनों से जीएसटी का बनता पैसा देरी से मिल रहा है। सभी ब्रांचों की रिकवरी काफी कम हो गई है जिस कारण कर्मचारियों को समय पर वेतन जारी करने में दिक्कतें आ रही है। कमिश्नर कम डीसी पठानकोट ने इस मसले पर निकाय विभाग की हायर अथॉरिटी से बात की है। अगले कुछ दिनों में कर्मचारियों को दिसंबर का वेतन जारी कर दिया जाएगा।
अजय सूद, एडिशनल कमिश्नर