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तीन दशक पहले पढ़ते थे 350 बच्चे, अब पसरा सन्नाटा

वहीं अध्यापकों की बेरूखी के चलते शिक्षा के मंदिर में इन दिनों ताला लगा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 05:32 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 05:32 PM (IST)
तीन दशक पहले पढ़ते थे 350 बच्चे, अब पसरा सन्नाटा
तीन दशक पहले पढ़ते थे 350 बच्चे, अब पसरा सन्नाटा

राज चौधरी, पठानकोट : जिला पठानकोट के अधीन आते गांव कोट भट्टियां में जिस स्कूल में तीन दशक पहले साढ़े तीन सौ से अधिक बच्चे प्राइमरी की शिक्षा लेते थे, वहीं अध्यापकों की बेरूखी के चलते शिक्षा के मंदिर में इन दिनों ताला लगा हुआ है। ताला लगा होने के कारण इन गांवों के बच्चों को अब पास के अन्य गांवों में शिक्षा लेने के लिए जाना पड़ा है। वहीं, दूसरी ओर हजारों रुपये की लागत से बनी स्कूल की बिल्डिंग अब खंडहर बन चुकी है। स्कूल में जगह-जगह घास-फूस उगी हुई है और बंद रहने के कारण स्कूल के सभी कमरों की हालत बद से बदतर हो चुकी है। हालांकि स्कूल पर तालाबंदी होने के बाद शिक्षा विभाग द्वारा अवैध कब्जाधारियों पर नजर रखने का जिम्मा गांव की पंचायत को सौंपा गया है।

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1962 में हुआ था स्कूल का निर्माण

ग्रामीणों ने बताया कि इस बिल्डिंग का निर्माण 1962 में हुआ था। तब इसमें एक कमरा ही बनाया गया था। दो अध्यापकों द्वारा इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया गया था। दो किले से अधिक जमीन पर फैले इस स्कूल में धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी। इसके बाद इसमें चार कमरे, एक रसोई, एक बरामदा तथा एक बाथरूम तैयार किया गया। बताया जा रहा है कि साल 2007 तक इस स्कूल में बच्चों की संख्या अच्छी खासी थी, परंतु बाद में शिक्षा का स्तर सही न होने के कारण लोगों ने अपना रुख प्राइवेट स्कूलों की ओर कर लिया। सरकारी स्कूलों में नहीं दी जा रही थी सही शिक्षा, इसलिए बंद हुआ स्कूल: ग्रामीण

इस संबंध में जब गांव का दौरा किया गया तो पता चला कि सरकारी स्कूलों में सही ढंग से शिक्षा नहीं दी जा रही थी। इसलिए ही अभिभावकों ने इन स्कूलों में बच्चों को दाखिल करवाना बंद कर दिया था। करीब डेढ़ साल पहले जब इस स्कूल को बंद किया गया तो इसमें बच्चों की संख्या पांच के करीब रह चुकी थी। अभिभावकों ने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिल करवा दिया था। भांग पीकर सोया रहता था अध्यापक: पूर्व छात्र अशोक कुमार

इस स्कूल से 1972 में शिक्षा ग्रहण करने वाले पूर्व छात्र अशोक कुमार ने बताया कि स्कूल के बंद होने के पीछे शिक्षकों की बड़ी लापरवाही रही है। उन्होने बताया कि एक समय में इस स्कूल में आसपास के कई गांवों से बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते थे, परंतु अध्यापकों की लापरवाही के कारण ही यह स्कूल बंद हुआ है। एक अध्यापक आता था जो स्कूल में आकर भांग पीकर सो जाता था। इसी प्रकार एक महिला अध्यापक थी जिसके शादी जम्मू में हुई थी। वह कभी-कभार स्कूल आती थी तथा एक दिन पढ़ाने के बाद पुन: वापस चली जाती।

पिछले कुछ सालों से जिले में बंद हुए तीन स्कूल: डीइओ बलदेव राज

इस संबंधी डीइओ प्राइमरी बलदेव राज ने कहा कि जिला पठानकोट में पिछले कुछ सालों से तीन स्कूल बंद हुए है तथा एक को मर्ज किया गया है। सभी स्कूलों में से किसी भी स्कूल पर किसी का कब्जा नहीं है तथा इनकी देखरेख का जिम्मा पंचायतों को सौंपा गया है। पंचायतें इस जगह पर पौधारोपण करवाती है। इसके साथ ही किसी विशेष कार्य के लिए पंचायती इस जमीन का प्रयोग कर सकती है।


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