कौन करेगा जिले का विकास? अधिकारी व कर्मचारी तो हैं ही नहीं, 500 से अधिक पद रिक्त,
टाफ की कमी के चलते जहां निगम अपना राजस्व बढ़ाने में लगातार फिसड्डी साबित हो रहा है वहीं शहरवासियों को भी कई प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। शहरवासी आज भी सफाई व्यवस्था सीवरेज ब्लाकेज व गंदे पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।
विनोद कुमार, पठानकोट: राज्य सरकार ने 2011 में पठानकोट को नगर निगम का दर्जा तो दे दिया, लेकिन सुविधाएं व अधिकारियों की नियुक्ति करना भूल गया है। निगम में अभी भी 500 से अधिक पद रिक्त पड़े हैं। स्टाफ की कमी के चलते जहां निगम अपना राजस्व बढ़ाने में लगातार फिसड्डी साबित हो रहा है, वहीं शहरवासियों को भी कई प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। शहरवासी आज भी सफाई व्यवस्था, सीवरेज ब्लाकेज व गंदे पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। सीवरेज व्यवस्था के सुधार को लेकर निगम अपने स्तर पर काम तो कर रहा है, लेकिन यह नाकाफी है। काम न होने संबंधी लोग शिकायत तो दर्ज करवाते हैं, लेकिन उसके समाधान के लिए लोगों को कई-कई दिन इंतजार करना पड़ता है। अधिकारियों के पास शहरवासी जब अपनी समस्या लेकर जाते हैं, तो अधिकारी उन्हें बैठकों में व्यस्तता व स्टाफ की कमी का हवाला देकर शांत करवा देते हैं। इतना ही नहीं 12 साल बाद भी नगर निगम अपना नया कार्यालय तक बनाने में कामयाब नहीं हो पाया है। 50 सदस्यों वाले हाउस को यदि कोई मीटिग करनी हो तो स्विमिग पूल कांप्लेक्स हाल में बनाए गए मीटिग हाल का सहारा लेना पड़ता है, क्योंकि निगम कार्यालय में जो हाउस है उसमें ज्यादा से ज्यादा 30 लोग ही कुर्सी लगाकर बैठ सकते हैं। अपना हाउस न होने के कारण निगम को अपनी सभी बैठकें शाम को ही करनी पड़ती हैं। -------------------------
नगर निगम में स्टाफ की कमी पर एक नजर
पद-पारित पद-काम कर रहे- खाली पद
1. एडिशनल कमिशनर-1-0-1
2. असिस्टेंट कमिश्नर-1-एसई के पास चार्ज-1
3. डीसीएफए -1-0-1
4. ला आफिसर-1-0-1
5. सुपरिटेंडेंट-4-3-1
6. अकाउंटेंट (ग्रेड वन)-1-0-1
7. इंस्पेक्टर-6-4-2
8. एसई-2-1-1
9. एक्सईएन-2-1-1
10. एसडीओ-7-2-5
11. जेई-14-6-8
12. एमटीपी-1-0-1
13. एसआई-6-2-4
14. एडीएफओ-1-0-1
15. एफएसओ-2-0-2
16. एलएफएम-24-1-23
17. क्लर्क-40-26-14
18. सेवादार-40-18-22
19.चौकीदार-15-2-13
20.सफाई सेवक-450-119-331
21. लाइब्रेरियन-2-1-1
22. सर्वेयर-2-0-2
23. असिस्टेंट लाइनमैन-10-0-10
24. माली कम वेल्डर/चौकीदार-95-10-85
25. सेनेटरी इंस्पेक्टर-6-2-4
26. हेल्थ वर्कर-10-0-10
27. प्लंबर-6-0-6
28. कारपेंटर- 1-0-1
29. सीवरमैन-80-22-58
30. मैसन-5-0-5
31. पंप ड्राइवर-34-17-17
32. असिस्टेंट पंप ड्राइवर-6-0-6
33. मीटर रीडर-6-0-6
34. जूनियर स्केल स्टेनो-2-1-1
35. मेट-5-1-4
36. फायरमैन-80-15-65
37. फायर ड्राइवर-24-6-18
38. एएमओ-4-0-4 वेतन देने में ही खत्म हो जाता है 80 प्रतिशत बजट
2015 में निगम का गठन होने के बाद अब तक कुल सात वार्षिक बजट पेश किए गए हैं। 35 करोड़ के वार्षिक बजट में प्रत्येक वर्ष पांच प्रतिशत बढ़ोतरी करते हुए अभी तक निगम का बजट 55 करोड़ रुपये तक पहुंचा था, लेकिन, पिछले साल सरकार ने पानी व सीवरेज के बिलों को आधा कर दिए जाने के बाद इस साल का वार्षिक बजट 44.18 करोड़ रुपये पर ही सीमट गया। उक्त बजट से निगम का लगभग 80 प्रतिशत बजट कर्मचारियों के वेतन में ही चला जाता है। ऐसे में निगम के पास शहर में विकास करवाने के लिए अपने स्तर पर ज्यादा फंड मौजूद नहीं होता।
स्टाफ की भारी किल्लत से कर्मचारी परेशान : कटो
अखिल भारतीय सफाई मजदूर यूनियन के प्रधान रमेश कटो का कहना है कि कौंसिल से निगम बनने के बाद एरिया में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है, लेकिन कर्मचारियों की कमी को दूर करना तो दूर की बात हो गई जो रिटायर हो रहे हैं उनके स्थान पर भी कोई नया कर्मचारी नहीं मिल रहा। ऐसे में कर्मचारियों पर काम को लेकर मानसिक दबाव भी बढ़ गया है। सरकार को पद भरने के लिए लिखा है: मेयर
मेयर पन्ना लाल भाटिया ने कहा कि खाली पदों के बारे में सरकार को लिखा जा चुका है। सरकार निकाय विभाग में तेजी से भर्ती करने की बात कह रहा है। उम्मीद है कि अगले महीने प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसके बाद पठानकोट नगर निगम को भी नए कर्मचारी व अधिकारी मिलेंगे। इससे समस्या का समाधान हो जाएगा।
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