अाम हो या खास, इस पेट्रोल पंप पर श्रद्धा से झुक जाते हैं सबके सिर
शहीद हुए सिपाही गांव के लाडले सतवंत सिंह की प्रतिमा लगी है, जिसको सजदा करने के लिए हर आम व खास चंद पलों के लिए पेट्रोल पंप पर रुकना नहीं भूलता।
पठानकोट [राज चौधरी]। तीन राज्यों को जोड़ते पंजाब के पठानकोट जिले के गांव भुल्लेचक्क स्थित पेट्रोल पंप पर पहुंचते ही लोगों के सिर श्रद्धा से झुक जाते हैं। तेल भराने आए लोग पेट्रोल पंप पर जाने से पहले जूते व चप्पल उतार देते हैं। कई लोग तो पेट्रोल की जरूरत न होने पर भी सजदा करने के लिए रोजाना पहुंचते हैं। आखिर क्या खास है यहां। दरअसल, यहां कारगिल में शहीद हुए सिपाही गांव के लाडले सतवंत सिंह की प्रतिमा लगी है, जिसको सजदा करने के लिए हर आम व खास चंद पलों के लिए पेट्रोल पंप पर रुकना नहीं भूलता।
इतिहास के सुनहरे पन्नों में अंकित हुआ सतवंत सिंह का नाम
जब भी कोई वीर सिपाही देश के लिए जान देता है तो उसका नाम इतिहास के सुनहरे पन्नों में अंकित हो जाता है। उससे ज्यादा दिलेर तो उसके परिजन होते हैं, जो अपने लाड़ले की शहादत की लौ को अपने दिल में संजो कर बाकी की जिंदगी उसकी याद में गुजार देते हैं। ऐसा ही एक परिवार है कारगिल युद्ध में शहादत का जाम पीने वाले गांव सलाहपुर बेट निवासी सिपाही सतवंत सिंह का। बेटे की शहादत उनके लिए एक इबादत बन चुकी है। परिजनों ने पिछले 19 वर्षो से शहीद बेटे की प्रतिमा के समक्ष देसी घी की अखंड ज्योति प्रज्वलित कर रखी है। पूरा परिवार शहीद की प्रतिमा के समक्ष भोग लगाने के बाद ही अन्न ग्रहण करता है।
4 जुलाई 1999 को शहीद हुए थे सतवंत सिंह
शहीद सिपाही सतवंत सिंह की माता सुखदेव कौर व पिता कश्मीर सिंह ने नम आंखों से बताया कि उनके बेटे ने 4 जुलाई 1999 में कारगिल युद्ध में टाइगर हिल को फतेह करते हुए शहादत दी थी। कारगिल युद्ध के दौरान पठानकोट के मामून कैंट से सबसे पहले 8 सिख यूनिट को वहां पर भेजा गया था। इस यूनिट के संयुक्त आपरेशन से पाक सेना के कई सैनिक मारे गए। 8 सिख यूनिट के 30 सैनिकों ने शहीद होकर टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने में योगदान दिया था। इनमें सतवंत सिंह (21 वर्ष) सबसे कम आयु के थे।
बेटे की याद को जिंदा रखने के लिए जलाई अखंड ज्योति
शहीद की माता सुखदेव कौर ने नम आंखों से बताया कि जिस दिन बेटे का अंतिम संस्कार हुआ था उसी दिन से वह उसकी तस्वीर के समक्ष अखंड ज्योति प्रज्वलित कर रही हैं। पांच वर्ष पहले उन्होंने गांव भुल्लेचक्क में अपने शहीद बेटे की याद में स्थापित पेट्रोल पंप पर अपने खर्चे से उसकी प्रतिमा लगवाई थी। अब यह अखंड ज्योति वहां पर दिन-रात जल रही है।
परिवार का हर सदस्य प्रतिमा को लगाता है भोग
शहीद के पिता कश्मीर सिंह, मां सुखदेव कौर, भाई सतनाम सिंह व भाभी महिंदर कौर ने बताया कि आज भी उनका परिवार सतवंत की प्रतिमा को भोग लगाने के बाद ही अन्न ग्रहण करता है। परिवार का हर सदस्य प्रतिमा को भोग लगाता है। यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी।जिस जगह पर सतवंत सिंह की प्रतिमा लगी हुई है, उस जगह को मंदिर की तरह पूजा जाता है। वहां हर कोई जूते उतार कर जाता है। पेट्रोल पंप पर आने वाले सैनिक भी शहीद को सैल्यूट कर उन्हें सम्मान देते हैं।
बेटे की शहादत के गौरव ने रखा है जिंदा
शहीद के माता-पिता ने बताया कि बेटे की शहादत के दुख से अभी वह उबर भी नहीं पाए थे कि वर्ष 2007 में उनके दूसरे बेटे नरिन्द्र सिंह की बीमारी से व वर्ष 2012 में तीसरे बेटे हरभजन सिंह की असमानी बिजली गिरने से मौत हो गई। तीन बेटों की मौत के बावजूद देश के लिए कुर्बान हुए अपने बेटे की शहादत का गौरव उन्हें जिंदा रखे हुए है।
परिजनों के जज्बे को सलाम
शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने कहा कि शहीद सतवंत सिंह के परिजनों के जज्बे को पूरे देश का सलाम है। 21 वर्ष की अल्पायु में शहीद होने वाले सतवंत सिंह की प्रतिमा के समक्ष पिछले 19 वर्षो से प्रज्वलित अखंड ज्योति एक मशाल बन कर क्षेत्र के युवाओं में देश भक्ति की अलख जगा रही है। यह युवाओं में भारतीय सेना में भर्ती होकर देश पर मर मिटने का जज्बा पैदा कर रही है।
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