समय पर पुल की मरम्मत होती, तो ये नौबत न आती,,, घरोटा कलां और खुर्द को जोड़ने वाला पुल हुआ ध्वस्त
उन्हें मजबूरन स्कूलों तथा खेतों को में जाने के लिए छह किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करने को बाध्य होना पड़ा। करीब पांच महीने पहले गुलपुर चक्की दरिया बना पुल के एक भाग धंस गया था। यह पुल घरोटा कलां और खुर्द को जोड़ता है।
संवाद सहयोगी, घरोटा। घरोटा कलां और खुर्द को जोड़ने वाला चक्की पर पड़ता पुल सोमवार को पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। हालांकि, पांच महीने पहले बरसात के चलते ही यह पुल क्षतिग्रस्त हो गया था, जो सोमवार को पूरी तरह से टूट गया। पुल टूटने के बाद क्षेत्र के करीब आधा दर्जन गांवों का आपसी संपर्क टूट गया है।
दरिया पार खेतों में जाने वाले किसानों के अतिरिक्त स्कूलों में जाने वाले बच्चे को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें मजबूरन स्कूलों तथा खेतों को में जाने के लिए छह किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करने को बाध्य होना पड़ा। करीब पांच महीने पहले गुलपुर चक्की दरिया बना पुल के एक भाग धंस गया था। यह पुल घरोटा कलां और खुर्द को जोड़ता है।
अब एक साइड ध्वस्त होने से पूरा इलाके के गांव घरोटा खुर्द, कोठे, कौंतरपुर, पवार, नौरंगपुर ,चक्की पुल इत्यादि का संपर्क टूट गया। मरम्मत के अभाव के चलते निर्माण कार्य ना होने से इसकी स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती गई। सुरिंदर कुमार ने कहा कि वह घरोटा कला और घरोटा खुद के मध्य क्षतिग्रस्त की मरम्मत जल्द की जाए, ताकि जिससे लोगों को पुल आर पार जाने वाली समस्या का समाधान हो सके।
सोमनाथ ने कहा कि यदि विभाग समय पर रिपेयर करवाता तो आज लोगो को यह हालत देखने को नहीं मिलते, जिससे आज लोगो को हो रही बड़ी परेशानी का सामना न करना पड़ता।
कई बार मरम्मत की गुहार लगाई
दयाल सिंह ने कहा कि लोग कई बार प्रशासनिक अधिकारियों तथा राजनेताओं के समक्ष इस पुल की मरम्मत की गुहार लगा चुके हैं। पर अभी तक समस्या का समाधान ना होने के चलते कार्य आरंभ भी नहीं हो पाया।
विभाग ने कई बार भेजी रिपोर्ट, नहीं मिला फंड
अशोक कुमार ने कहा कि कई बार सिंचाई विभाग, बिजली विभाग, पीडब्ल्यूडी समेत अन्य विभागों के अधिकारी दौरा कर चुके हैं। समय-समय पर अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों तथा सरकार को भेज चुके हैं। इसके बावजूद भी फंड की व्यवस्था ना होने के चलते आज तक कार्य अधर में लटका हुआ है।
पुल ध्वस्त होने से किसान भी चिंतित
अजमेर पठानिया ने कहा कि पुल के क्षतिग्रस्त होने से फसलों के मंडीकरण को लेकर किसान ¨चतित है। वही अब पशुपालकों को अपने खेतों में, बच्चों को स्कूल, बीमार को अस्पताल में जाने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा और उन्हें मजबूरन 6 किलोमीटर का सफर तय करने पर विवश होना पड़ रहा है।