ब्यास दरिया में डालीं एक लाख मछलियां की पुंग
ब्यास दरिया में 17 मई 2018 को कोई रासायनिक पदार्थ के मिक्स होने से लाखों की तादाद में मरी मछलियों के कारण दरिया में स्थित जीवों के बचाव के लिये एक बार फिर प्रयास शुरू हुआ है।
संस, पठानकोट : ब्यास दरिया में 17 मई 2018 को कोई रासायनिक पदार्थ के मिक्स होने से लाखों की तादाद में मरी मछलियों के कारण दरिया में स्थित जीवों के बचाव के लिये एक बार फिर प्रयास शुरू हुआ है। देश में लगभग विलुप्त हो चुकी घड़ियाल तथा डालफिन प्रजातियों को बचाने के लिये शुरू किए गए इस प्रयास के कारण दरिया में अब प्रत्येक माह तीन लाख मछलियां डाली जाएगी। इसका मुख्य कारण जहां एक ओर इन दोनों प्रजातियों क लिए बतौर भोजन की पूर्ति करवाना है। वहीं दूसरी ओर दरिया में जहरीले पानी के कारण मरी मछलियों को पुन: तैयार करना है। इसी के तहत बुधवार को एक लाख मछलियों की पुंग ब्यास दरिया में डाली गई। प्रधान मुख्य वन्यपाल जंगली जीव पंजाब डाक्टर कुलदीप कुमार के दिशा निर्देशों पर शुरू हुई इस पहल के लिए प्रत्येक माह जिला गुरदासपुर, अमृतसर तथा होशियारपुर से लाकर दरिया में तीन लाख मछलियों की पुंग डाली जाएंगी। सितंबर के बाद पौंग डैम से दरिया में बड़ी मछलियां डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
ब्यास दरिया में ही है डालफिन तथा घड़ियाल
पंजाब में ब्यास दरिया ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां डालफिन तथा घड़ियाल प्रजातियां की संख्या पाई जाती है। वन्य जीव अधिकारियों के अनुसार कुछ समय पहले ही मध्य प्रदेश से करीब चालीस घड़ियाल को लाकर इस दरिया में छोड़ा गया था जबकि डालफिन की संख्या इस दरिया में कुदरती तौर पर है। घड़ियाल तथा डालफिन की प्रजातियों की संख्या को बढ़ाने के लिये इस दरिया में आगामी दस माह में 10 लाख मछलियों को छोड़ने की योजना तैयार की गई है। डीएफओ राजेश महाजन ने कहा कि भले ही घड़ियाल देखने में मगरमच्छ की तरह दिखाई देता है परन्तु इन दोनों में बेहद फर्क है। घड़ियाल से किसी भी व्यक्ति अथवा जानवर को अपनी जान का खतरा नहीं होता।
पहली खेप में रोहू, मुराक तथा कतला की पुंग डाली
डीएफओ वन्य जीव विभाग पठानकोट की टीम ने ब्यास दरिया में पहली खेप में रूप में एक लाख मछलियां डाली। इसमें रोहू, मुराक तथा कतला की प्रजायिां मुख्य थी। डीएफओ राजेश महाजन ने बताया कि मछलियों की इस पुंग को गुरदासपुर से लेकर गांव सेरो बागे, गडयाल तथा ब्यास दरिया के पुल में छोड़ा गया है जिसे प्रत्येक आगामी माह में जारी रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि जहरीले पदार्थ के कारण बड़ी मात्रा में मछलियों के मारे जाने के कारण संभावना जताई जा रही थी कि डालफिन तथा घड़ियाल के भोजन में कमी आ सकती है जिस कारण ही ये पग उठाया गया है।