चक्की खड्ड का जलस्तर बढ़ा, पठानकोट-चक्की रेल मार्ग बंद
पर्वतीय क्षेत्रों में हुई मूसलाधार बारिश के बाद हुए भूमि कटाव की वजह से पठानकोट-चक्की क्वारी रेलवे ट्रैक को बंद कर दिया गया है।
विनोद कुमार, पठानकोट : पर्वतीय क्षेत्रों में हुई मूसलाधार बारिश के बाद हुए भूमि कटाव की वजह से पठानकोट-चक्की क्वारी रेलवे ट्रैक को बंद कर दिया गया है। जबकि, चक्की पुल के फाउंडेशन को हुए नुकसान से जालंधर-पठानकोट रेल सेवा पर भी खतरा पैदा हो गया है। चक्की पड़ाव व चक्की पुलों की हरेक गतिविधि पर नजर रखने के लिए रेलवे ने दिन-रात्रि दो-दो कर्मचारियों की तैनाती कर दी है जो हरेक स्थिति पर नजर रख रहे हैं। चक्की पड़ाव ओर चक्की पुल के पास तीस-तीस फीट गहरे गड्ढे बन गए हैं। शनिवार की भांति अगर दोबारा इस प्रकार की मूसलाधार बारिश हुई तो रेलवे को इन दोनों पुलों से ट्रेनों का आवागमन रोकना पड़ सकता है। रेलवे के इंजीनियरिग विभाग का कहना है कि पिछले पंद्रह वर्षों से लगातार चक्की खड्ड में हो रही अवैध माइनिग की वजह से हुआ है।
पठानकोट-चक्की क्वारी ट्रैक के पास तक पहुंचा पानी
शनिवार को हुई तेज बारिश के कारण सबसे ज्यादा नुकसान पठानकोट रेलवे यार्ड से चक्की क्वारी तक बने 5.5 किलोमीटर लंबे ट्रैक को हुआ है। मार्ग पर पड़ते बेदी बजरी कंपनी के पास करीब दस से पंद्रह फीट तक भूमि कटाव हुआ है। रेलवे लाइन और चक्की के बीच मात्र आठ-दस फीट ही फांसला बचा है। ऐसे में यदि उक्त रेल मार्ग पर ट्रेन चलाई जाए तो हादसा होना स्वाभाविक है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इंजीनियरिग विभाग ने तुरंत प्रभाव से उक्त सेक्शन पर सप्ताह में दो-तीन बार सेना का समान तथा कंकरीट लेकर जाने वाली मालगाड़ी की रेल सेवा को बंद कर दिया गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस संबंधी उच्चाधिकारियों को सूचित कर दिया गया है। आदेश आया है कि मौसम सामान्य होने के बाद जो भी स्थिति बनी उसके बाद इस पर फैसला लेकर ट्रैक को शुरू किया जाएगा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार पठानकोट से चक्की-क्वारी तक बनी गुडस लाइन का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वर्ष 1937-38 में हुआ था। उस समय शहर की आबादी न के समान होने की वजह से यह लाइन रेलवे यार्ड से होते हुए पटेल चौक, सियाली रोड के बाद चक्की दरिया से होते हुए सीधे सैनिक छावनी मामून में पहुंचती थी।
10 वर्षों में 25 फीट गहरी हुई चक्की
रेलवे सूत्रों की माने तो पिछले दस वर्षों में चक्की खड्ड 25 फीट गहरी हुई है। अवैध माइनिग में लगातार हो रही बढ़ोतरी के चलते प्रत्येक वर्ष ढाई से तीन फीट चक्की खड्ड का लेबल नीचे की ओर जा रहा है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि 9 साल पहले भी हुई तेज बारिश के कारण पठानकोट- जोगिद्रनगर नैरोगेज रेल सेक्शन पर पड़ते ब्रिज नंबर 32 के दो पिलर पानी में बह गए थे। यह तो गनीमत रहा कि ट्रेन गुजरने के बीस मिनट बाद पिलर बहे वरना एक बड़ा हादसा घटित हो सकता था। करीब 12 साल पहले उक्त पुल के सामने सड़क मार्ग का पुल भी पानी के तेज बहाव में बह गया था। रेल पुल की वजह से करीब सात महीने और सड़क मार्ग पुल की वजह से ढाई साल तक यातायात अवरुद्ध रहा था।
अब चक्की पुल से 30 की स्पीड से जाएंगी ट्रेनें
शनिवार को भारी बारिश के बाद उफान पर हुई चक्की खड्ड के बाद रविवार को गुजरने वाली सभी ट्रेनों को कम स्पीड पर चलाया गया। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि उफान के बाद पुल पूरी तरह से सेफ है लेकिन, सुरक्षा के मद्देनजर जालंधर से कटड़ा को जाने वाली लंबी दूरी की सभी ट्रेनों की स्पीड को कम कर दिया गया है। पुल पर पहले 45 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन चलती थी जिन्हें रविवार को 30 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पर चलाया गया।
चक्की पुल पर चल रहा निर्माण कार्य प्रभावित : एडीएमई
एडीएमई (असिस्टेंट डिवीजनल मेकेनिकल इंजीनियर) विपुल गोयल से बात की तो उनका कहना था कि बारिश के चलते पठानकोट-जालंधर रेल सेक्शन पर स्थित चक्की पुल के चल रहा निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है। कहा कि पुलों पर पैनी नजर रखने के लिए डे-नाइट दो-दो कर्मचारियों की तैनाती की गई है जो हर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। उक्त समस्या के समाधान को लेकर रेलवे और राज्य सरकार को एक साथ आगे आना होगा वरना चक्की खड्ड की वजह से तीन प्रमुख पुलों सहित आने वाले कुछ ही वर्षों में पठानकोट सिटी को भी नुकसान होना संभव है।