सुख एवं शांति का मूल आत्मिक ज्ञान
दिव्या ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से गोमतीनाथ मंदिर नंवाशहर में सप्ताहिक सत्संग करवाया जा रहा है।
जेएनएन, नवांशहर : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने गोमतीनाथ मंदिर में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन करवाया। स्वामी मंगल ने संगत को प्रवचन दिए। उन्होंने कहा कि यदि हम आपने इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो हमें आज के आधुनिक युग से पुराना जमाना ज्यादा बेहतर नजर आता है। यदि वह जमाना ज्यादा सभ्य था तो ये सोच के हमें अपने आप पर शक होने लगता है कि हम उन्नति की ओर जा रहे है या पतन की ओर पूरी तरह गौर करने से पता चलता है कि उस जमाने के लोग आज के लोगों से ज्यादा सुखी तथा शांत थे चाहे उस समय भौतिक विकास चिटी की चाल ही चल रहा था। आज का मनुष्य शारीरिक सुख सुविधा से पूरी तरह भरपूर है, पर फिर भी ये देख के दुख होता है कि सब से महान कहलवाने वाला मनुष्य आज सबसे ज्यादा दुखी एवं परेशान नजर आ रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि मनुष्य आपने मूल से टूट चुका है। वह मूल है आत्मिक ज्ञान जिसका हमारे सारे धार्मिक ग्रंथों में की गई है परन्तु उस मूल से कोई संत सतगुरुही जोड़ सकता है। इस लिए जितना जल्दी हो सके हमें किसी पूर्ण सतगुरु की शरण मे जाकर आत्मिक ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। इस मौके पर साध्वी वत्सला भारती ने भक्तिमय भजनों का गायन कर भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।